कर्नाटक के मैसूरु में होने वाले ऐतिहासिक दशहरा उत्सव को लेकर इस बार एक नया विवाद सामने आया है। राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने मशहूर लेखिका और बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को समारोह के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया है।
बेंगलुरु: कर्नाटक में दशहरा समारोह को लेकर इस बार राजनीतिक विवाद गहरा गया है। दरअसल, सिद्दरमैया सरकार ने घोषणा की थी कि मैसूरु दशहरा कार्यक्रम के उद्घाटन के लिए इस बार बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को आमंत्रित किया गया है। सरकार के इस फैसले पर भाजपा ने कड़ा ऐतराज जताया और इसे लेकर विरोध शुरू कर दिया। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने आमंत्रण के लिए चयन करते समय राजनीतिक विचारधारा को तवज्जो दी है।
दशहरा कार्यक्रम में कैसे हुई विवाद की शुरुआत?
मैसूरु दशहरा उत्सव कर्नाटक की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है। हर साल यह कार्यक्रम बड़ी धूमधाम से आयोजित होता है और इसकी शुरुआत देवी चामुंडेश्वरी की पूजा के साथ होती है। इस बार मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने घोषणा की थी कि 22 सितंबर से शुरू हो रहे इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रसिद्ध लेखिका बानू मुश्ताक करेंगी। उत्सव 11 दिनों तक चलेगा और विजयदशमी का पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा था कि बानू मुश्ताक कर्नाटक की एक सम्मानित साहित्यकार हैं और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर ले जाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। इसी कारण उन्हें इस साल समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। लेकिन इस निर्णय ने सियासी विवाद को जन्म दे दिया। भाजपा नेता और मैसूरु के सांसद प्रताप सिम्हा ने सवाल उठाया कि जब यह एक धार्मिक आयोजन है तो इसमें एक मुस्लिम लेखिका को क्यों बुलाया जा रहा है।
बीजेपी ने कर्नाटक सरकार पर उठाए सवाल
प्रताप सिम्हा ने कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से बानू मुश्ताक का सम्मान करता हूं। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में कर्नाटक का नाम रोशन किया है। लेकिन सवाल यह है कि दशहरा केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि धार्मिक महत्व वाला आयोजन है। इसकी शुरुआत देवी चामुंडेश्वरी की पूजा से होती है। ऐसे में क्या यह उचित है कि एक ऐसी लेखिका को बुलाया जाए, जो हमारी परंपराओं का पालन नहीं करतीं? क्या उन्हें देवी चामुंडेश्वरी में आस्था है?'
उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि बानू मुश्ताक अगर अखिल भारत कन्नड़ साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता करती हैं तो यह स्वीकार्य है, लेकिन धार्मिक आयोजन में उनकी उपस्थिति पर सवाल उठते हैं।
जानिए सिद्दरमैया सरकार ने क्या कहा?
दूसरी ओर, सिद्दरमैया सरकार का कहना है कि दशहरा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह कर्नाटक की कला, संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने वाला उत्सव है। सरकार का तर्क है कि बानू मुश्ताक जैसी हस्तियों को बुलाकर यह संदेश देना है कि राज्य की परंपराएं सभी के लिए खुली हैं और इसमें किसी भी धर्म या समुदाय की महान हस्तियां भाग ले सकती हैं।
कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह धार्मिक भावनाओं को भड़काकर राजनीति कर रही है। उनका कहना है कि दशहरा उत्सव का उद्देश्य कर्नाटक की विविधता और एकता को प्रदर्शित करना है।
बानू मुश्ताक कर्नाटक की जानी-मानी लेखिका हैं। उन्होंने अपने साहित्यिक कार्यों से अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल की है। हाल ही में उन्हें बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिससे कन्नड़ साहित्य को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली है। उनके लेखन में समाज, संस्कृति और मानवीय मूल्यों पर गहन दृष्टिकोण देखने को मिलता है।