SEBI ने स्टॉक ब्रोकर्स के लिए मार्जिन ट्रेडिंग हेतु नेट वर्थ सर्टिफिकेट जमा करने की समय सीमा बढ़ा दी है। अब 30 सितंबर को खत्म होने वाले छमाही के लिए 45 दिनों में और 31 मार्च को खत्म होने वाले छमाही के लिए 60 दिनों में ऑडिटर का सर्टिफिकेट जमा करना होगा। साथ ही, थोक सौदों के न्यूनतम ऑर्डर आकार को 10 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ करने का प्रस्ताव भी दिया है।
SEBI News: भारतीय बाजार नियामक SEBI ने स्टॉक ब्रोकर्स को बड़ी राहत देते हुए मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा से जुड़े नेट वर्थ सर्टिफिकेट की डेडलाइन में ढील दी है। अब ब्रोकर्स को 30 सितंबर तक की छमाही का सर्टिफिकेट 45 दिनों के भीतर और 31 मार्च तक की छमाही का सर्टिफिकेट 60 दिनों में जमा करना होगा। पहले यह समय सीमा क्रमशः 31 अक्टूबर और 30 अप्रैल थी। सेबी का कहना है कि यह बदलाव नियमों के अनुपालन को आसान बनाएगा और कारोबार की सुगमता बढ़ाएगा। साथ ही, थोक सौदों के लिए न्यूनतम ऑर्डर आकार 25 करोड़ रुपये करने पर भी विचार किया जा रहा है।
पहले क्या था नियम
मौजूदा नियमों के तहत ब्रोकर्स को हर साल 31 मार्च और 30 सितंबर की स्थिति में अपनी नेट वर्थ की पुष्टि करने वाला ऑडिटर का सर्टिफिकेट जमा करना होता था। यह सर्टिफिकेट क्रमशः 30 अप्रैल और 31 अक्टूबर तक स्टॉक एक्सचेंज को सौंपना जरूरी था। यानी ब्रोकर्स को हर छह महीने में दो बार यह दस्तावेज जमा करना होता था।
अब क्या बदला है
मार्केट प्रतिभागियों से मिले सुझावों और समय सीमा बढ़ाने की मांगों को ध्यान में रखते हुए सेबी ने अब इसमें बदलाव कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत 30 सितंबर को खत्म होने वाले छमाही के लिए ब्रोकर्स को 45 दिनों के भीतर और 31 मार्च को खत्म होने वाले छमाही के लिए 60 दिनों के भीतर ऑडिटर का सर्टिफिकेट जमा करना होगा।
इसका मतलब है कि अब नई डेडलाइन 15 नवंबर और 31 मई होगी। पहले ये तारीखें 31 अक्टूबर और 30 अप्रैल थीं। यह बदलाव तुरंत लागू हो गया है।
क्यों लिया गया फैसला
SEBI ने साफ किया है कि यह कदम ब्रोकर्स की सुविधा को ध्यान में रखते हुए और वित्तीय परिणामों की घोषणा के साथ तालमेल बिठाने के लिए उठाया गया है। वित्तीय नतीजे घोषित करने की जो समय सीमा लिस्टिंग ऑब्लिगेशन एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट यानी LODR नियमों के तहत तय होती है, अब उसी के साथ नेट वर्थ सर्टिफिकेट जमा करने की प्रक्रिया भी जोड़ी जाएगी।
स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देश
SEBI ने सभी स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने उपनियम, नियम और विनियमों में आवश्यक संशोधन करें। साथ ही इस बदलाव की जानकारी अपने सभी सदस्यों को तुरंत दी जाए ताकि किसी तरह की दिक्कत न हो।
थोक सौदे के नियमों में बदलाव पर विचार
SEBI ने हाल ही में थोक सौदे यानी ब्लॉक डील से जुड़े नियमों में भी संशोधन का प्रस्ताव रखा है। मौजूदा समय में थोक सौदे का न्यूनतम ऑर्डर आकार 10 करोड़ रुपये है। अब इसे बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया गया है।
थोक सौदे शेयर बाजार के कुल कारोबार का अहम हिस्सा माने जाते हैं। इन सौदों में खरीदार और विक्रेता के बीच एक ही लेनदेन में बड़ी डील होती है। यह लेनदेन शेयर बाजार की विशेष विंडो में किया जाता है, जो दिन में सिर्फ दो बार 15 मिनट के लिए खुलती है।
थोक सौदे की मौजूदा सीमा साल 2017 से लागू है। बाजार नियामक का मानना है कि बदलते समय और बाजार की बढ़ती परिपक्वता को देखते हुए अब न्यूनतम ऑर्डर आकार बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए सेबी ने एक परामर्श पत्र जारी किया है और बाजार प्रतिभागियों से सुझाव भी मांगे हैं।
ब्रोकर्स और निवेशकों को मिलेगी सुविधा
नई समय सीमा लागू होने से ब्रोकर्स को ऑडिटर का सर्टिफिकेट जमा करने में अतिरिक्त समय मिलेगा। इससे उनके लिए अनुपालन करना आसान हो जाएगा। वहीं, थोक सौदे के नियमों में बदलाव से बड़े संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।