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मायावती की महारैली: सपा पर गरम तो BJP पर नरम, जानें UP 2027 चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण

मायावती की महारैली: सपा पर गरम तो BJP पर नरम, जानें UP 2027 चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण

लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में गुरुवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी ताकत का अहसास कराते हुए महारैली की। नीले झंडों की बहार और समर्थकों की भारी भीड़ देखकर मायावती गदगद नजर आईं। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 2027 विधानसभा चुनाव में अभी समय तो बाकी है, लेकिन राजनीतिक समीकरण पहले ही बनने और बिगड़ने लगे हैं। गुरुवार को लखनऊ पूरी तरह नीले झंडों से सज गया था, और हर तरफ बसपा समर्थकों का हुजूम नजर आया। रमाबाई अंबेडकर मैदान में भारी भीड़ देखकर बसपा सुप्रीमो मायावती गदगद दिखीं।

इस महारैली के बाद तमाम तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। रैली में मायावती ने सपा और कांग्रेस पर तीखी टिप्पणियां कीं, वहीं सत्ताधारी बीजेपी के प्रति उन्होंने सॉफ्ट रुख अपनाया। राजनीतिक विश्लेषक इस पूरे घटनाक्रम को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं और उनका कहना है कि अब यह साफ हो गया है कि बसपा यूपी में बीजेपी की B टीम बनकर काम कर रही है।

सपा पर आक्रामक, बीजेपी पर नरम रुख

रैली में मायावती ने सपा और कांग्रेस को खुले तौर पर आड़े हाथ लिया। उन्होंने इन दलों की आलोचना करते हुए कहा कि यूपी में पिछले वर्षों में उनके शासनकाल में कई कार्य अधूरे रह गए और जनहित के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया। वहीं, बीजेपी के प्रति उनका रुख सॉफ्ट दिखाई दिया। मायावती ने कहा कि बसपा शासनकाल में बने पार्कों और स्मारकों के रखरखाव के लिए उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार का आभार व्यक्त किया।

मायावती ने बताया कि सपा सरकार के समय पार्कों में टिकट के पैसे इकट्ठा किए गए थे, लेकिन उनका उपयोग नहीं हुआ। उन्होंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया था कि टिकटों से आए पैसे का इस्तेमाल रखरखाव के लिए किया जाए। बीजेपी सरकार ने इस पर संज्ञान लिया और वादा किया कि अब यह राशि सीधे रखरखाव पर खर्च की जाएगी।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह का कहना है कि मायावती हमेशा सपा और कांग्रेस को निशाना बनाती रही हैं, जबकि बीजेपी के प्रति उनका रुख संतुलित और सहयोगात्मक दिखता है। उन्होंने कहा, मायावती यूपी में बीजेपी की B टीम बनकर काम कर रही हैं। जिस तरह उन्होंने सपा और कांग्रेस पर हमला किया, उससे विपक्षी एकता में दरार आने की संभावना है। जितनी कमजोर विपक्षी एकता होगी, बीजेपी को उतना फायदा मिलेगा।

सुरेश बहादुर ने यह भी जोड़ा कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बना पाती, तो बसपा का समर्थन मायावती की शर्तों के साथ संभव है। इस स्थिति में मायावती मुख्यमंत्री पद से नीचे किसी भी प्रस्ताव पर सहमति नहीं देंगी।

सपा की प्रतिक्रिया

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बिना किसी का नाम लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया, क्योंकि ‘उनकी’ अंदरूनी सांठगांठ जारी है, इसलिए वो जुल्म करने वालों के आभारी हैं। यह पोस्ट मायावती के बीजेपी के प्रति आभार प्रकट करने के बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। सपा इस रैली के राजनीतिक मायने को लेकर चिंतित है, क्योंकि विपक्षी एकता कमजोर होने से आगामी चुनाव में नुकसान हो सकता है।

  • बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि बीजेपी बदले की राजनीति नहीं करती। उन्होंने बताया कि बीजेपी सरकार ने बसपा शासनकाल में शुरू हुए आधे-अधूरे कामों को पूरा किया। उदाहरण के तौर पर: 
  • मेट्रो लखनऊ का चारबाग से अमौसी तक ट्रायल, जिसे पूरी तरह से पूरा किया गया।
  • डीजीपी ऑफिस (सिग्नेचर बिल्डिंग) 30-40% बना था, उसे पूर्ण किया गया।
  • आलमबाग बस अड्डा और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे जैसे अधूरे प्रोजेक्ट पूरे किए गए।

शुक्ला ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव भी इन कामों के लिए आभार प्रकट कर सकते थे, लेकिन राजनीतिक कारणों से ऐसा नहीं किया गया।

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