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MEA ने अलास्का में ट्रंप-पुतिन शिखर वार्ता का किया स्वागत: कहा- 'संवाद ही शांति की कुंजी हैं'

MEA ने अलास्का में ट्रंप-पुतिन शिखर वार्ता का किया स्वागत: कहा- 'संवाद ही शांति की कुंजी हैं'

भारत ने अलास्का में अमेरिका और रूस के बीच हुई शिखर वार्ता का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह पहल वैश्विक शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अमेरिका और रूस के बीच अलास्का में हुई शिखर वार्ता का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह पहल वैश्विक शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जायसवाल ने यह भी बताया कि भारत इस वार्ता में हुई प्रगति की सराहना करता है और मानता है कि आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही निकलेगा।

भारत की प्रतिक्रिया

रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि वर्तमान समय में पूरी दुनिया की नजर यूक्रेन युद्ध पर है और सभी चाहते हैं कि इस संघर्ष का जल्द से जल्द समाधान हो। उन्होंने कहा, भारत की हमेशा से यही नीति रही है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। बातचीत और आपसी समझ ही शांति का सबसे बड़ा माध्यम हैं।

MEA के अनुसार, अलास्का शिखर सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है। भारत ने इस पहल को सकारात्मक संकेत के रूप में देखा है और इसे दुनिया भर में कूटनीतिक संवाद का एक अहम उदाहरण बताया।

शिखर वार्ता: ट्रंप और पुतिन की पहली सीधी मुलाकात

यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद यह पहली बार है जब दोनों नेताओं की सीधी बातचीत हुई। वार्ता में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन अभी तक कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ। ट्रंप ने वार्ता को “बहुत सकारात्मक” बताया, हालांकि उन्होंने कहा कि अभी तक कोई ठोस डील नहीं बनी। उन्होंने कहा कि कुछ मुद्दों पर मतभेद अब भी हैं और उन्हें दूर करने के लिए आगे और बातचीत की आवश्यकता है। वहीं पुतिन ने ट्रंप की भाषा को मित्रतापूर्ण बताया और कहा कि ट्रंप ने रूस के राष्ट्रीय हितों को समझा और सम्मान दिया।

वार्ता की प्रमुख बातें

  • कोई बड़ा समझौता नहीं: ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अभी किसी बड़े समझौते पर मुहर नहीं लगी है। कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं और उन्हें हल करने के लिए आगे की वार्ता जरूरी है।
  • यूक्रेन पर ध्यान: वार्ता में यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की गई, लेकिन ट्रंप ने इस दौरान नागरिक हताहतों पर कोई टिप्पणी नहीं की।
  • तेल टैरिफ पर संकेत: वार्ता के बाद ट्रंप ने कहा कि चीन द्वारा रूसी तेल खरीद पर लगे टैरिफ फिलहाल टाल दिए जाएंगे।
  • संक्षिप्त प्रेस कॉन्फ्रेंस: वार्ता के बाद आयोजित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस केवल 15 मिनट चली, जिसमें दोनों नेताओं ने सामान्य कूटनीतिक बातें दोहराईं।
  • भविष्य की उम्मीदें: ट्रंप ने संकेत दिया कि जल्द ही पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच बैठक हो सकती है, जिसमें वे स्वयं शामिल हो सकते हैं।

अलास्का शिखर सम्मेलन ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार्ता वैश्विक तनाव और यूक्रेन संघर्ष को कम करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है। हालांकि, दोनों पक्षों में अभी भी गहरे मतभेद हैं और समझौते का रास्ता लंबा प्रतीत होता है। भारत ने इस वार्ता को सकारात्मक संकेत के रूप में देखा है और इसे वैश्विक कूटनीति में संवाद की अहम भूमिका के तौर पर सराहा है। MEA ने दोहराया कि शांति की कुंजी बातचीत और आपसी समझ में ही निहित है।

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