एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को एक पत्र लिखकर एआईएमआईएम को महागठबंधन में शामिल करने की पेशकश की है।
Asaduddin Owaisi: बिहार की सियासत में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को एक चिट्ठी भेजकर महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। एआईएमआईएम का मानना है कि अगर वे महागठबंधन में शामिल होंगे तो सेक्युलर वोटों का बिखराव रोका जा सकता है और बीजेपी को मजबूत चुनौती दी जा सकेगी।
लेकिन आरजेडी की ओर से पार्टी के वरिष्ठ सांसद मनोज झा ने AIMIM की इस पेशकश पर तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी का राजनीतिक आधार मुख्य रूप से हैदराबाद तक ही सीमित है और बिहार की जनता भी इस हकीकत से परिचित है।
मनोज झा ने शुक्रवार को एएनआई से बातचीत में कहा, अगर असदुद्दीन ओवैसी सच में चाहते हैं कि बीजेपी की नफरत की राजनीति को शिकस्त दी जाए, तो कभी-कभी चुनाव न लड़ना भी एक रणनीतिक फैसला हो सकता है। बिहार का यह चुनाव बेहद अहम है, इसलिए ऐसी जिम्मेदारी सभी दलों पर बनती है कि वोटों का बंटवारा न हो।
ओवैसी से मनोज झा की सीधी अपील
मनोज झा ने आगे कहा कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने एक लंबी विकास की लकीर खींच दी है, जिसे पूरा बिहार देख रहा है। ओवैसी को भी उसी संदर्भ में सोचना चाहिए और समझना चाहिए कि अगर महागठबंधन को मजबूत करना है तो व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर उठकर फैसले लेने होंगे। उनके मुताबिक, कई बार राजनीति में ऐसा वक्त आता है जब चुनाव में पीछे हटकर ही आगे का रास्ता बनता है। अगर ओवैसी का असली मकसद बीजेपी को रोकना है, तो उन्हें यह विचार गंभीरता से करना चाहिए।
AIMIM की चिट्ठी में क्या था?
गौरतलब है कि अख्तरुल ईमान ने लालू यादव को जो पत्र लिखा, उसमें AIMIM ने साफ कहा कि वे महागठबंधन में शामिल होकर बीजेपी के खिलाफ साझा लड़ाई लड़ना चाहते हैं। पत्र में यह भी कहा गया कि सेक्युलर वोटों का बंटवारा नहीं हो, इसके लिए जरूरी है कि सभी समान विचारधारा वाले दल एकजुट होकर मैदान में उतरें। अख्तरुल ईमान ने लिखा, अगर हम लोग मिलकर लड़ेंगे तो सेक्युलर वोटों का बिखराव नहीं होगा और महागठबंधन की सरकार बनाना आसान होगा।
ओवैसी के सामने महागठबंधन की शर्तें
मनोज झा के बयान से यह संकेत साफ निकलता है कि आरजेडी की नजर में AIMIM को महागठबंधन में शामिल करने की कोई तत्काल योजना नहीं है, बल्कि ओवैसी को अप्रत्यक्ष तौर पर यह संदेश दिया जा रहा है कि अगर वे बीजेपी को रोकना चाहते हैं तो सीटों पर दावा ठोकने के बजाय सहयोग का तरीका बदलें और कुछ जगहों पर चुनाव न भी लड़ें तो बेहतर होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, आरजेडी ओवैसी की छवि को लेकर भी सतर्क है, क्योंकि बिहार में AIMIM को अक्सर बीजेपी का ‘बी-टीम’ कहकर प्रचारित किया जाता है। यही वजह है कि मनोज झा ने उनकी ‘राजनीतिक नीयत’ पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अगर ओवैसी सच्चे मन से सांप्रदायिक ताकतों को हराना चाहते हैं, तो कुछ बलिदान करने को भी तैयार रहें।
बिहार में इस बयानबाजी का असर साफ दिखेगा। एक तरफ AIMIM सेक्युलर वोटों के नाम पर गठबंधन में एंट्री चाहती है, दूसरी तरफ आरजेडी उसे संदेह की नजर से देख रही है और स्पष्ट संकेत दे रही है कि महागठबंधन में जगह चाहिए तो शर्तें भी माननी होंगी।