बीते चार-पांच दिनों से काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर पर शयन आरती के दौरान एक श्वेत उल्लू देखा जा रहा है। इसे माता लक्ष्मी की सवारी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मंदिर और विद्वानों का मानना है कि यह आने वाले समय में काशी और देश के लिए शुभ संकेत दे रहा है।
वाराणसी: बाबा विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर पर बीते चार-पांच दिनों से शयन आरती के दौरान एक श्वेत उल्लू देखा जा रहा है। इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और श्रद्धालु इसे शुभ संकेत मान रहे हैं। इस अनोखी घटना ने मंदिर परिसर, काशी के विद्वानों और भक्तों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है।
शास्त्रों के अनुसार, उल्लू माता लक्ष्मी की सवारी मानी जाती है और यह समृद्धि, सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। स्वर्ण शिखर पर उल्लू का दिखाई देना भक्तों के लिए आस्था, खुशी और आने वाले समय में शुभ संकेत का संदेश लेकर आया है।
स्वर्ण शिखर पर श्वेत उल्लू का दर्शन: आस्था और शुभ संकेत
बीते चार-पांच दिनों से शयन आरती के दौरान स्वर्ण शिखर पर उल्लू दिखाई दे रहा है। मंदिर में लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं और इस घटना ने उनकी आस्था और उत्साह को और बढ़ा दिया है।
मंदिर के विद्वान नित्यानंद तिवारी ने कहा कि उल्लू माता लक्ष्मी की सवारी माने जाने के कारण धन, सफलता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। शयन आरती के दौरान इसका स्वर्ण शिखर पर दिखाई देना आने वाले समय में काशी और संपूर्ण देश के लिए समृद्धि और खुशहाली का संकेत है।
पूर्व में इस स्थान पर कबूतर दिखाई देता था, लेकिन बीते चार-पांच दिनों से श्वेत उल्लू की मौजूदगी ने श्रद्धालुओं और विद्वानों में नई चर्चा और उत्सुकता पैदा कर दी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर
स्वर्ण शिखर पर दिखाई दे रहे श्वेत उल्लू की तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। भक्त और सोशल मीडिया उपयोगकर्ता इसे शुभ संकेत और आशीर्वाद के रूप में देख रहे हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तस्वीरों के साथ कई प्रतिक्रियाएं आई हैं, जिसमें लोग इसे काशी की समृद्धि, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मान रहे हैं। काशी के विद्वान भी इसे मंदिर और शहर के लिए अच्छे संकेत के रूप में देख रहे हैं।
धार्मिक नजरिया और जनता की राय
हिंदू धर्म शास्त्रों में उल्लू को माता लक्ष्मी की सवारी के रूप में माना जाता है। इसे धन, सफलता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।
शयन आरती के दौरान स्वर्ण शिखर पर उल्लू का दिखाई देना मंदिर और काशी के लिए आस्था और शुभ संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह घटना श्रद्धालुओं में उत्साह और विश्वास को बढ़ा रही है और उन्हें आने वाले समय में खुशहाली की उम्मीद दे रही है।