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ट्रंप के सलाहकार ने भारत को कहा 'टैरिफ के महाराज'? रूसी तेल खरीद पर बढ़ा विवाद

ट्रंप के सलाहकार ने भारत को कहा 'टैरिफ के महाराज'? रूसी तेल खरीद पर बढ़ा विवाद

अमेरिका और भारत के बीच व्यापार और ऊर्जा संबंधों को लेकर तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को “टैरिफ का महाराज” करार दिया और आरोप लगाया कि भारत रूसी तेल खरीदकर मुनाफाखोरी कर रहा है।

World News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का एलान किया है, जो कुछ ही दिनों में प्रभावी हो सकता है। इस कदम से भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में और तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इसी बीच राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को “टैरिफ का महाराज” करार दिया। 

उन्होंने आरोप लगाया कि भारत, रूसी तेल का आयात जारी रखकर मुनाफाखोरी की योजना चला रहा है। नवारो ने यहां तक दावा किया कि आने वाले दिनों में भारत पर कुल 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लागू कर दिया जाएगा।

अमेरिका का आरोप: रूस के लिए ‘लॉन्ड्रोमैट’ बना भारत

व्हाइट हाउस के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में पीटर नवारो ने कहा कि फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत लगभग रूसी तेल नहीं खरीदता था। उनके मुताबिक, उस समय यह आयात भारत की ऊर्जा जरूरतों का केवल 1% था। लेकिन युद्ध के बाद भारत का रूसी तेल आयात बढ़कर 35% हो गया है।

नवारो ने आरोप लगाया, “भारत को वास्तव में तेल की इतनी जरूरत नहीं है। यह सब एक रिफाइनिंग मुनाफा-साझाकरण योजना है। भारत रूसी तेल को आयात कर रिफाइन करता है और फिर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचता है। यह सीधे तौर पर क्रेमलिन के लिए एक लॉन्ड्रोमैट जैसा काम कर रहा है।”

27 अगस्त से नए टैरिफ का खतरा

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह दंडात्मक शुल्क 27 अगस्त से लागू होने की संभावना है। नवारो का कहना है कि यह दर धीरे-धीरे बढ़कर 50% तक जा सकती है, जो किसी भी देश के उत्पादों पर लगाए जाने वाले सबसे ऊँचे टैरिफ में से एक होगा।ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि रूस से बढ़ता भारतीय आयात मॉस्को को युद्ध जारी रखने के लिए आर्थिक सहारा दे रहा है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश पहले ही रूस के कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कैप लगा चुके हैं, ताकि रूस की ऊर्जा से होने वाली आमदनी को सीमित किया जा सके।

भारत ने इन आरोपों का करारा जवाब दिया है। रूस की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत सरकार अमेरिका के सभी बयानों पर कड़ी नजर रखे हुए है। जयशंकर ने कहा, हम एक ऐसा देश हैं जिसे पिछले कई वर्षों से अमेरिका ही कह रहा था कि हमें वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर रखने के लिए हर संभव कदम उठाने चाहिए। इसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और किफायती कीमतों के लिए वही करेगा जो उसके राष्ट्रीय हित में है।

क्यों बढ़ाया भारत ने रूसी तेल का आयात?

2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस ने एशियाई देशों को भारी छूट पर तेल बेचना शुरू किया। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, ने इस मौके का फायदा उठाते हुए रूस से रिकॉर्ड स्तर पर कच्चा तेल आयात किया।विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की यह रणनीति आर्थिक रूप से समझदारी भरी है, क्योंकि इससे घरेलू ऊर्जा कीमतें नियंत्रित रहती हैं और महंगाई पर असर कम पड़ता है। 

हालांकि, अमेरिका और उसके सहयोगियों का मानना है कि यह कदम रूस की युद्ध क्षमता को अप्रत्यक्ष रूप से मजबूत कर रहा है। भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग बढ़ा है। लेकिन रूसी तेल आयात को लेकर दोनों देशों के बीच मतभेद लगातार सामने आ रहे हैं।

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