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महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल: उद्धव-राज की नजदीकी से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं

महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल: उद्धव-राज की नजदीकी से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं

महाराष्ट्र की राजनीति में बदले हुए सियासी समीकरणों ने कांग्रेस की स्थिति को जटिल बना दिया है। राज्य में जहां पहले कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी (MVA) का हिस्सा थी।

Maharashtra Election: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल देखने को मिल रही है। शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बीच बढ़ती नजदीकियों ने राज्य की महाविकास अघाड़ी (MVA) और इंडिया गठबंधन के समीकरणों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने के संकेतों से सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को लग सकता है, जो इन गठबंधनों का अहम हिस्सा रही है।

स्थानीय चुनाव में MVA की नहीं जरूरत: संजय राउत

10 जुलाई 2025, को शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बयान दिया कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए और महाविकास अघाड़ी विधानसभा चुनाव के लिए बना था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों में इन गठबंधनों की जरूरत नहीं है। राउत ने आगे कहा, जनता चाहती है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के विकास के लिए एक साथ आएं।" यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस और शिवसेना के बीच दरार की बातें सामने आ रही हैं।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया: संयम से जवाब

संजय राउत के इस बयान पर महाराष्ट्र कांग्रेस ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, मैं संजय राउत के बयानों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। पटोले ने आगे कहा, स्थानीय निकाय चुनावों में स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ये चुनाव राष्ट्रीय गठबंधनों की तरह नहीं देखे जाने चाहिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी पीटीआई को दिए बयान में कहा, अगर कांग्रेस मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य नगर निकाय चुनावों में अकेले लड़ने का फैसला करती है, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।

5 जुलाई को ठाकरे ब्रदर्स मंच पर आए साथ

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 5 जुलाई को एक मंच पर नजर आए, जहां 'हिंदी भाषा के मुद्दे' पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में दोनों नेताओं ने भाग लिया। उद्धव ठाकरे ने वहां खुले तौर पर कहा था कि वो और राज ठाकरे आगामी चुनाव साथ लड़ सकते हैं।इस मंच पर एनसीपी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले भी उपस्थित रहीं, लेकिन कांग्रेस की गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े किए।

कांग्रेस का रुख साफ है कि वह राज ठाकरे की आक्रामक राजनीति से दूरी बनाए रखना चाहती है। MNS का इतिहास हिंदी भाषी उत्तर भारतीयों के खिलाफ आक्रामक रुख के लिए जाना जाता है, जिससे कांग्रेस की समावेशी छवि प्रभावित हो सकती है। ऐसे में अगर उद्धव ठाकरे MNS के साथ गठबंधन करते हैं तो कांग्रेस को मजबूरन निकाय चुनावों में अलग रास्ता अपनाना पड़ सकता है।

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