Pune

रेयर-अर्थ मैग्नेट्स में भारत की बड़ी छलांग, सरकार लाएगी 2500 करोड़ की नई PLI योजना

रेयर-अर्थ मैग्नेट्स में भारत की बड़ी छलांग, सरकार लाएगी 2500 करोड़ की नई PLI योजना

इस योजना का मकसद इलेक्ट्रिक वाहनों और विंड टर्बाइनों जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण मैटेरियल्स के लिए चीन पर निर्भरता को घटाना है।

भारत सरकार अब उन रणनीतिक क्षेत्रों पर फोकस कर रही है, जो भविष्य की तकनीकों की रीढ़ साबित हो सकते हैं। इसी कड़ी में अब केंद्र सरकार रेयर-अर्थ मैग्नेट्स के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई प्रोत्साहन योजना (PLI स्कीम) की तैयारी कर रही है। जानकारी के मुताबिक इस योजना के तहत लगभग 2500 करोड़ रुपये के बजटीय प्रोत्साहन दिए जाने की योजना है, ताकि देश की कंपनियां इस महत्वपूर्ण सेक्टर में निवेश कर सकें।

क्यों जरूरी हैं रेयर-अर्थ मैग्नेट्स


रेयर-अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, विंड टर्बाइनों, मोबाइल फोन, डिफेंस उपकरणों और मेडिकल टेक्नोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होता है। इन मैग्नेट्स की गुणवत्ता और ताकत इन्हें परंपरागत मैग्नेट से काफी बेहतर बनाती है। लेकिन फिलहाल भारत इनका अधिकांश हिस्सा चीन से आयात करता है।

चीन का इन उत्पादों पर एकतरफा वर्चस्व है और वह दुनिया की 90 प्रतिशत रेयर-अर्थ प्रोसेसिंग गतिविधियों को नियंत्रित करता है। यही वजह है कि चीन की पॉलिसी में आया कोई भी बदलाव सीधे तौर पर भारतीय उद्योगों को प्रभावित कर सकता है।

सरकार की योजना क्या है

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की यह प्रस्तावित योजना प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) मॉडल पर आधारित होगी। इसके तहत भारत में बनने वाले रेयर-अर्थ मैग्नेट्स के लिए निजी कंपनियों को आर्थिक मदद दी जाएगी। इसका उद्देश्य देश के भीतर इन मैटेरियल्स का उत्पादन करना और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना है।

सरकार इस नीति का खाका जल्द ही तैयार कर कैबिनेट के पास भेज सकती है। योजना की डिटेल्स अभी आंतरिक विचार-विमर्श में हैं, और इसमें कुछ बदलाव संभव हैं।

कौन-कौन सी कंपनियां दिखा रहीं रुचि

सरकारी दस्तावेजों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश की कई बड़ी कंपनियां इस योजना में शुरुआती रुचि दिखा चुकी हैं। इनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:

  • वेदांत ग्रुप: अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली इस माइनिंग कंपनी ने रेयर-अर्थ खनन और प्रोसेसिंग में रुचि जताई है।
  • JSW ग्रुप: सज्जन जिंदल की अगुआई वाला JSW ग्रुप मेटल और एनर्जी के सेक्टर में अपनी मजबूत पकड़ के चलते इस सेक्टर में विस्तार चाहता है।
  • सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिशन फोर्जिंग्स लिमिटेड: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के पुर्जे बनाने वाली यह कंपनी मैग्नेट्स के उत्पादन को लेकर गंभीर मानी जा रही है।

इन कंपनियों की भागीदारी भारत में तकनीकी आधार और आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) को मजबूत बनाने में मदद कर सकती है।

चीन पर निर्भरता से बाहर निकलने की कवायद

कोविड महामारी और उसके बाद के वैश्विक हालातों ने यह दिखा दिया कि किसी एक देश पर बहुत अधिक निर्भरता कितना बड़ा जोखिम बन सकती है। खासकर जब बात क्रिटिकल मटेरियल्स की हो। चीन ने बीते महीनों में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के साथ व्यापार तनाव के चलते रेयर-अर्थ तत्वों के निर्यात पर रोक जैसी पाबंदियां लगाईं हैं।

इसका असर दुनिया भर की सप्लाई चेन पर पड़ा है और इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रक्षा उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को दिक्कतें आई हैं। ऐसे में भारत सरकार का यह कदम घरेलू उद्योगों को सुरक्षा देने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में देखा जा रहा है।

मेक इन इंडिया को मिलेगा नया आयाम

रेयर-अर्थ मैग्नेट्स का घरेलू निर्माण भारत के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन को आगे बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। अभी तक यह क्षेत्र पूरी तरह से आयात पर आधारित रहा है। लेकिन अगर प्रोत्साहन योजनाएं साकार होती हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत इस क्षेत्र में अपनी खुद की उत्पादन क्षमताएं विकसित कर सकता है।

ईवी और ग्रीन एनर्जी सेक्टर को भी होगा फायदा


भारत ने 2030 तक अपने ग्रीन एनर्जी लक्ष्यों को लेकर बड़ी योजनाएं बनाई हैं। चाहे बात इलेक्ट्रिक वाहनों की हो या फिर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे विंड टर्बाइन की  हर जगह रेयर-अर्थ मैग्नेट्स का उपयोग होता है। अगर ये सामग्री देश में ही तैयार होंगी, तो लागत में कमी के साथ-साथ उत्पादन की स्थिरता भी बनी रहेगी।

नौकरी और निवेश के नए अवसर

रेयर-अर्थ मैग्नेट्स के घरेलू निर्माण की दिशा में उठाया गया यह कदम केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता नहीं लाएगा, बल्कि इससे नई नौकरियों और निवेश के अवसर भी पैदा होंगे। कई मल्टीनेशनल कंपनियां भी भारत में अपने निर्माण केंद्र स्थापित करने के विकल्प तलाश सकती हैं।

नीतिगत समर्थन से आगे बढ़ेगा सेक्टर

अब तक भारत में रेयर-अर्थ के निष्कर्षण और प्रोसेसिंग को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं थी। लेकिन सरकार की इस पहल से निजी कंपनियों को एक स्पष्ट दिशा और समर्थन मिल सकता है। साथ ही, आने वाले समय में राज्यों को भी इस सेक्टर में खनन और उत्पादन की संभावनाओं पर काम करने का मौका मिलेगा।

क्वालिटी कंट्रोल और रिसर्च को भी मिलेगा बढ़ावा

इस योजना के तहत सरकार केवल उत्पादन को ही नहीं, बल्कि गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control), वैज्ञानिक शोध (Research) और टेक्नोलॉजी डेवेलपमेंट पर भी ध्यान केंद्रित कर सकती है। भारत के संस्थानों और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि देश में बनने वाले रेयर-अर्थ मैग्नेट्स अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरें।

Leave a comment