Columbus

मुंबई में मराठा आरक्षण धरनों पर हाईकोर्ट ने दी सख्त चेतावनी, बिना अनुमति प्रदर्शन पर होगी रोक

मुंबई में मराठा आरक्षण धरनों पर हाईकोर्ट ने दी सख्त चेतावनी, बिना अनुमति प्रदर्शन पर होगी रोक

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण के धरनों पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति अनिश्चितकालीन प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। प्रशासन और आंदोलनकारियों को शहर की व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया गया।

Maharashtra: मुंबई में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे अनिश्चितकालीन धरनों के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने विशेष सुनवाई की और स्पष्ट किया कि बिना प्रशासन की अनुमति के धरना या प्रदर्शन किसी भी हालत में नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने आंदोलन के नेता मनोज जरांगे को सख्त हिदायत दी कि सार्वजनिक स्थानों पर अनियंत्रित प्रदर्शन से शहर की व्यवस्था और नागरिकों की दैनिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है।

शहर की यातायात व्यवस्था प्रभावित

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी पूछा कि इस धरना प्रदर्शन के कारण स्कूल और कॉलेजों की स्थिति क्या है। सरकार की ओर से बताया गया कि कल से सभी स्कूल फिर से खुलेंगे। सुनवाई में यह भी सामने आया कि एक दिव्यांग नागरिक पांच घंटे तक ट्रैफिक में फंसा रहा। कोर्ट ने साफ कहा कि गणेशोत्सव के दौरान शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है और किसी भी प्रदर्शन को शहर की यातायात व्यवस्था बाधित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

राजनीतिक हस्तक्षेप और मजबूरियां

इस मामले में वकील गुणरत्न सदावर्ते ने बताया कि आंदोलन में राजनीतिक मजबूरियां भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कई विधायक और सांसद सुझाव दे रहे हैं कि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिलना चाहिए। इस पर आनंद काठे नाम के वकील ने कोर्ट में आपत्ति जताई, लेकिन कोर्ट ने उन्हें नाराज होकर कहा कि आपके पास बीच में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि कानूनी प्रक्रिया में केवल निष्पक्ष और प्रमाणित तथ्य ही सामने आएंगे।

आंदोलन के बीच संतुलन

कोर्ट ने कहा कि 2024 के सरकारी नियमों के अनुसार मराठा समुदाय को आरक्षण दिया गया है और सरकार पर यह जिम्मेदारी है कि इसे लागू करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि आंदोलनकारियों और जनता के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है। मुंबई के लोग लगातार परेशान हो रहे हैं और इस परेशानी को बढ़ने से रोकना भी प्रशासन की जिम्मेदारी है।

मनोज जरांगे को निर्देश

सरकार की तरफ से कहा गया कि कोर्ट के आदेश के आधार पर अनुमति दी गई थी, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि मनोज जरांगे को सख्त निर्देश देने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि धरने में 5000 से अधिक लोग शामिल न हों। यदि अधिक लोग इकट्ठा होते हैं तो प्रशासन को तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए।

कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या मुंबईवासियों की यह परेशानी तब तक चलती रहेगी जब तक प्रदर्शनकारी अपनी मांगें नहीं पूरी कराते। कोर्ट ने जोर दिया कि प्रशासन और आंदोलनकारी दोनों को जिम्मेदारी समझनी होगी और कानून-व्यवस्था बनाए रखनी होगी।

Leave a comment