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NEET 2025 Vs JEE: क्या मेडिकल एंट्रेंस अब इंजीनियरिंग से भी टफ?

NEET 2025 Vs JEE: क्या मेडिकल एंट्रेंस अब इंजीनियरिंग से भी टफ?

NEET UG 2025 के नतीजों ने इस बार छात्रों, शिक्षकों और विशेषज्ञों के बीच एक नई बहस को जन्म दे दिया है क्या NEET UG अब JEE से भी कठिन हो गया है?

नई दिल्ली: नीट यूजी 2025 के परिणाम सामने आते ही शिक्षा जगत में एक नई बहस छिड़ गई है कि क्या अब यह परीक्षा देश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में शुमार हो चुकी है और क्या यह JEE (ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन) से भी ज्यादा मुश्किल हो गई है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इस बार NEET का फिजिक्स पेपर अभ्यर्थियों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा और कई विशेषज्ञों ने तो इसे आईआईटी जैसे उच्च स्तर की परीक्षा से भी कठिन करार दिया है।

फिजिक्स पेपर ने तोड़ा आत्मविश्वास

2025 की नीट परीक्षा देने वाले लाखों छात्रों को सबसे अधिक मुश्किल फिजिक्स में आई। पेपर कठिन था, पैटर्न बदला हुआ था और जानकारी का अभाव था। छात्र परीक्षा केंद्रों से निकलते ही मायूस दिखे। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में इतने जटिल और गणितीय आधार पर आधारित सवाल पूछे जाएंगे। यही नहीं, कई छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि एनटीए ने जिस बदलाव की जानकारी दी थी, उसकी भाषा इतनी जटिल थी कि अधिकांश छात्र उसे समझ ही नहीं पाए।

कटऑफ में आई गिरावट और उसका संदेश

इस बार कटऑफ पहले की तुलना में काफी नीचे आई है। टॉप स्कोरर जो पहले 720 में 720 अंक लाते थे, अब वही स्थान 680 अंकों पर आ गया है। यह गिरावट यह दर्शाती है कि अधिकांश छात्रों को पेपर हल करने में मुश्किलें आईं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब टॉपर्स के अंक गिर रहे हों तो सामान्य छात्रों के लिए परीक्षा कितना मुश्किल रही होगी, इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है।

JEE से तुलना क्यों हो रही है

अब तक JEE को देश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षा माना जाता रहा है। इसमें भौतिकी, रसायन और गणित के जटिल सवाल पूछे जाते हैं। लेकिन NEET में गणित नहीं होता, जिससे छात्रों की तैयारी की दिशा अलग होती है। इंजीनियरिंग के इच्छुक छात्र 11वीं से ही गणित के साथ गहन भौतिकी पढ़ते हैं, जबकि मेडिकल के छात्र गणित को पीछे छोड़कर बायोलॉजी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ऐसे में जब NEET में JEE जैसी फिजिक्स पूछी जाती है तो मेडिकल अभ्यर्थियों के लिए समस्या पैदा हो जाती है।

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं

शिक्षाविद डॉ. अजीज खान का कहना है कि यह मानना गलत नहीं होगा कि इस बार NEET का पेपर कुछ हिस्सों में JEE से कठिन हो गया था। वे कहते हैं कि NEET के छात्रों को फिजिक्स की बेसिक समझ होती है, जबकि JEE में बैठने वाले छात्र एडवांस लेवल की फिजिक्स पढ़ते हैं। जब NEET में भी उसी स्तर के सवाल पूछे जाएंगे, तो मेडिकल की दिशा में तैयारी कर रहे छात्रों के आत्मविश्वास को झटका लगेगा।

उनके अनुसार, दो साल पहले ही मेडिकल के छात्र गणित पढ़ना बंद कर देते हैं, ऐसे में जब फिजिक्स में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जिनका हल मजबूत गणितीय ज्ञान के बिना संभव नहीं, तो स्वाभाविक है कि नतीजे प्रभावित होंगे।

डॉ. त्रिवेदी का नजरिया

वहीं शैक्षिक सलाहकार डॉ. डीके त्रिवेदी का कहना है कि एनटीए ने इस बार पेपर सेट करते समय इस बुनियादी बात को नजरअंदाज कर दिया कि NEET के छात्र गणित नहीं पढ़ते। उन्होंने बताया कि एक जैसे विषय होने के बावजूद NEET और JEE के छात्रों की तैयारी का स्वरूप अलग होता है। उनके मुताबिक NEET के छात्रों ने बेसिक फिजिक्स पढ़ी होती है और इस परीक्षा में उसी आधार पर सवाल पूछे जाने चाहिए।

क्या इससे नीट में बैठने वालों की संख्या घटेगी

चिंता की बात यह है कि कहीं इस बार का अनुभव भविष्य में छात्रों को NEET से दूर न कर दे। अभी NEET भारत की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा है, जिसमें हर साल 20 लाख से अधिक छात्र शामिल होते हैं। लेकिन अगर पेपर का स्वरूप छात्रों की तैयारी से मेल नहीं खाता, तो यह संख्या प्रभावित हो सकती है।

 

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