भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल अगले सप्ताह एक महत्वपूर्ण दौरे पर चीन जाने वाले हैं। यह दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह दिसंबर 2024 के बाद उनका चीन का दूसरा दौरा होगा।
नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक बार फिर दुनिया के कूटनीतिक केंद्र में हैं। इस बार उनका मिशन है आतंकवाद पर वैश्विक कार्रवाई को मजबूती देना और भारत की सुरक्षा चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता दिलाना। डोभाल अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं, जो कई मायनों में अहम मानी जा रही है।
यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार हो रहा है और इसका संदेश साफ है—भारत आतंकवाद को लेकर अब किसी भी तरह की नरमी बरतने के मूड में नहीं है। खासकर जब बात पाकिस्तान के समर्थन वाले सीमा पार आतंकवाद की हो।
डोभाल का मिशन: SCO से लेकर वांग यी तक कड़ा संदेश
डोभाल की यात्रा केवल शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक की तैयारियों तक सीमित नहीं है। यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक रणनीति का हिस्सा है। चीन में वह अपने चीनी समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर सकते हैं। यह वही वांग यी हैं, जिनसे डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद तात्कालिक संवाद किया था।
डोभाल इस बार चीन और अन्य SCO सदस्य देशों को सीधे शब्दों में यह स्पष्ट करने जा रहे हैं कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा—न ही सीमा पार आतंकवाद को अनदेखा करेगा और न ही आतंकियों को मिलने वाले समर्थन को।
पहलगाम आतंकी हमला: एजेंडे में सबसे ऊपर
भारत चाहता है कि SCO के संयुक्त बयान में हाल में हुए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले की निंदा हो। इस हमले में निर्दोष नागरिकों की जान गई थी और इसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की संलिप्तता के सबूत मिले थे। वहीं, पाकिस्तान चाहता है कि भारत के प्रयास को कमजोर किया जाए और उसकी ओर से जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर हमले और बलूच विद्रोहियों की कार्रवाई को भी बराबरी पर लाया जाए।
भारत इस तुलना को न केवल गलत, बल्कि रणनीतिक रूप से भ्रामक मानता है। एक वरिष्ठ सूत्र के अनुसार, "भारत को पाकिस्तान के आंतरिक मुद्दों में घसीटा नहीं जा सकता। पहलगाम हमला आतंक का स्पष्ट उदाहरण है, न कि कोई विद्रोह।
सीधी उड़ानों पर बातचीत और कूटनीतिक कड़ी चालें
इस यात्रा में भारत-चीन द्विपक्षीय उड़ानों को पुनः शुरू करने पर भी चर्चा हो सकती है। चीन ने भारत से अनुरोध किया है कि कोविड के बाद बंद पड़ी सीधी फ्लाइट सेवाएं फिर से शुरू की जाएं। भारत इस पर सुरक्षा चिंताओं के साथ आगे बढ़ेगा। डोभाल की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब इजरायल-ईरान संघर्ष क्षेत्रीय अस्थिरता को जन्म दे रहा है। ऐसे में SCO की भूमिका और RATS (क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना) जैसे संगठन की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।
यह डोभाल की चीन की दूसरी यात्रा है और ऐसे समय पर हो रही है जब भारत वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को आतंक के मसले पर लगातार बेनकाब करता रहा है। भारत की कोशिश होगी कि SCO के मंच पर पाकिस्तान को उसकी दोहरे चरित्र वाली नीति के लिए कटघरे में खड़ा किया जाए—जहां वह आतंक को समर्थन भी देता है और वैश्विक सहयोग का दिखावा भी करता है।