जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले के बाद राज्य में पर्यटन पर पड़े असर को लेकर एक बार फिर अपनी बात रखी है। गुजरात दौरे के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से घाटी का पर्यटन जरूर प्रभावित हुआ, लेकिन कश्मीर अब भी पर्यटकों से खाली नहीं है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार पर्यटन गतिविधियों को दोबारा गति देने के लिए पूरी तरह सक्रिय है।
उन्होंने बताया कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है ताकि देश के अन्य राज्यों से अधिक से अधिक लोग जम्मू-कश्मीर आएं और यहां की खूबसूरती का आनंद ले सकें। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले समय में पर्यटकों का विश्वास फिर से बहाल होगा और पर्यटन उद्योग फिर से रफ्तार पकड़ेगा।
हमले के बाद डर का माहौल
उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले के प्रभाव को लेकर कहा कि उस दिन ने सब कुछ बदल दिया। गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के 26 पर्यटकों की मौत के बाद घाटी में भय का माहौल बन गया था। उन्होंने स्वीकार किया कि हमले ने पर्यटन सीजन की शुरुआत में बड़ा झटका दिया और बहुत से लोग रातों-रात घाटी छोड़कर चले गए।
हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग हताश नहीं हैं। अमरनाथ यात्रा और वैष्णो देवी दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु कश्मीर पहुंच चुके हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि घाटी में अब भी पर्यटन गतिविधियां जारी हैं। मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि एक बार फिर कश्मीर देश के पर्यटकों की पहली पसंद बनेगा।
गुजरात मॉडल से मिली प्रेरणा
गुजरात दौरे पर उमर अब्दुल्ला ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, नर्मदा बांध, साबरमती रिवरफ्रंट और अटल ब्रिज का दौरा किया। उन्होंने इन स्थानों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के पर्यटन मॉडल जम्मू-कश्मीर में भी लागू किए जा सकते हैं। उनका कहना था कि अगर दूसरे राज्यों से पर्यटक कश्मीर लौटें तो यह न सिर्फ आर्थिक रूप से, बल्कि सामाजिक रूप से भी घाटी को मजबूत करेगा।
उन्होंने दोहराया कि पर्यटन सिर्फ एक उद्योग नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर की पहचान और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसे दोबारा खड़ा करना सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि पूरे देश की जिम्मेदारी है। उमर अब्दुल्ला का यह दौरा राज्य में पर्यटन को दोबारा जीवित करने की कोशिशों का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है।