राजस्थान के टोंक ज़िले में रविवार का दिन एक बड़े हादसे का गवाह बन गया। जयपुर से पिकनिक मनाने आए आठ युवकों की बनास नदी में डूबकर दर्दनाक मौत हो गई। गर्मी से राहत पाने के लिए नदी में उतरे ये सभी दोस्त पहले मस्ती कर रहे थे, लेकिन एक की फिसलन से शुरू हुआ हादसा देखते ही देखते सामूहिक त्रासदी में बदल गया।
हादसे के बाद पूरे जयपुर में मातम का माहौल है। स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर शवों को रेस्क्यू कर देर रात जयपुर भेजा, जहां परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
घटना की पूरी कहानी
यह हादसा टोंक जिले के नागवा थाना क्षेत्र में स्थित बनास नदी के किनारे हुआ। जयपुर के झोटवाड़ा और करणी विहार क्षेत्र से कुल 8 दोस्त रविवार सुबह पिकनिक मनाने के इरादे से निकले थे। दोपहर के समय सभी बनास नदी के किनारे पहुंचे और खाने के बाद नहाने के लिए पानी में उतर गए। स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सबसे पहले 22 वर्षीय शाहिद गहराई का अंदाज़ा लगाए बिना तेज बहाव में चला गया। उसे बचाने के लिए बाकी दोस्त भी उतर गए, लेकिन उन्हें तैरना नहीं आता था। एक-एक कर सभी बहाव में फंसते चले गए।
रेस्क्यू ऑपरेशन और प्रशासन की सक्रियता
घटना की जानकारी मिलते ही टोंक पुलिस और एसडीआरएफ की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। रेस्क्यू ऑपरेशन में करीब 5 घंटे का समय लगा। शाम तक सभी युवकों के शव बरामद कर लिए गए। टोंक पुलिस अधीक्षक (SP) उमेश कुमार ने बताया: यह दुर्भाग्यपूर्ण हादसा लापरवाही का नतीजा है। क्षेत्र में कोई लाइफ जैकेट या सुरक्षा इंतजाम नहीं थे और युवकों को नदी की गहराई की जानकारी भी नहीं थी।
कौन थे ये युवक
डूबने वाले युवक जयपुर के मध्यमवर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखते थे। मृतकों में शामिल हैं, शाहिद (22), फैजान (21), आमिर (23), जुबैर (22), साकिब (20), सलमान (21), फरहान (19), और युनुस (24)। इनमें से अधिकतर या तो कॉलेज स्टूडेंट थे या छोटी मोटी प्राइवेट नौकरी करते थे। ये सभी आपस में बचपन के दोस्त थे और अक्सर एक-दूसरे के साथ घूमने जाया करते थे।
जयपुर में ममात का माहौल
जैसे ही हादसे की खबर जयपुर पहुंची, मृतकों के घरों में कोहराम मच गया। रविवार देर रात जैसे ही शव एंबुलेंस से जयपुर लाए गए, मोहल्ले में सन्नाटा छा गया। घरों के बाहर सैकड़ों की भीड़ इकट्ठा थी, हर आंख नम थी। परिजनों को संभालना मुश्किल हो गया। शाहिद के पिता रियाज़ अहमद ने बताया: सुबह हंसते-हंसते निकले थे। कहा था, शाम तक लौट आएंगे। लेकिन अब जनाजे आ रहे हैं। ये कोई कैसे सह सकेगा?
बनास नदी में सुरक्षा को लेकर सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पिकनिक स्थलों पर सरकारी निगरानी और सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं होते। न तो वहां कोई चेतावनी बोर्ड था, न ही कोई चौकीदार या लाइफ गार्ड की व्यवस्था। नदी किनारे बाड़बंदी होनी चाहिए, साथ ही चेतावनी बोर्ड और गश्ती दल की व्यवस्था अनिवार्य की जाए। यह पहला हादसा नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि आखिरी साबित हो।