पितृ पक्ष 2025 का आरंभ 07 सितंबर से होगा। यह 16 दिनों तक चलेगा और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खास माना जाता है। इस दौरान पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज और दान करना शुभ है। वहीं, तामसिक भोजन, नए काम या वस्तुएं खरीदने, झगड़ा और अशुद्ध वातावरण से बचना चाहिए।
नई दिल्ली: 07 सितंबर 2025 से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है, जो 16 दिनों तक चलेगा। इस दौरान हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। दान करना और घर को सात्विक रखना शुभ माना जाता है। इस समय मांस, शराब, नए काम, झगड़ा और अशुद्ध भोजन से बचना चाहिए, ताकि पितरों का आशीर्वाद बना रहे।
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष को श्राद्ध का समय भी कहा जाता है। इसे खासतौर पर उन दिनों में माना जाता है जब पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और दान किया जाता है। इस दौरान किए गए कामों से न केवल पूर्वज प्रसन्न होते हैं बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। हिन्दू धर्मग्रंथों में लिखा है कि पितृ पक्ष में किए गए दान और पूजा का बहुत पुण्य मिलता है।
पितृ पक्ष में क्या करें
पितृ पक्ष में सबसे पहला काम अपने पूर्वजों की स्मृति में श्राद्ध करना है। जिस दिन आपके किसी पूर्वज का निधन हुआ था, उस दिन उनका श्राद्ध करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज कराने का विशेष महत्व होता है।
तर्पण में काले तिल, जौ और जल का प्रयोग कर पितरों को अर्घ्य दिया जाता है। इसे रोजाना करना चाहिए। यदि इस समय ब्राह्मण नहीं मिलते, तो जरूरतमंद व्यक्ति या गाय को भोजन कराना भी श्राद्ध के बराबर पुण्यदायक माना जाता है।
पितृ पक्ष में दान का भी विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, जूते और अन्य जरूरी वस्तुएं दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके अलावा घर में साफ-सफाई और सात्विक वातावरण बनाए रखना भी जरूरी होता है।
पितृ पक्ष में क्या न करें
पितृ पक्ष के दौरान कुछ चीजों से बचना भी जरूरी माना गया है। इस समय तामसिक भोजन जैसे मांस और शराब का सेवन पूरी तरह से वर्जित है। इसके अलावा इस समय विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या किसी नए व्यवसाय की शुरुआत जैसी शुभ कामों से बचना चाहिए।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के 16 दिनों में बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। नई वस्तुएं, कपड़े या गहने खरीदने से भी बचना चाहिए। भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दौरान घर में शांति बनाए रखना और किसी भी प्रकार की बहस या झगड़े से दूर रहना शुभ माना गया है।
पितृ पक्ष का सामाजिक और धार्मिक महत्व
पितृ पक्ष केवल धार्मिक अनुष्ठान का समय नहीं है, बल्कि यह परिवार और समाज में एकजुटता और सम्मान का संदेश भी देता है। इस समय लोग मिलकर पूर्वजों की स्मृति में पूजा, दान और भोजन कराते हैं। ब्राह्मणों को भोजन कराना और जरूरतमंदों को दान देना समाज में सहयोग और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है।
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि पितृ पक्ष में किए गए कार्यों का असर केवल इस जीवन तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक उसके पुण्य का प्रभाव रहता है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में इस समय को अत्यंत महत्व दिया गया है।
पितृ पक्ष का समय
इस साल पितृ पक्ष 07 सितंबर से शुरू होकर 22 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान प्रतिदिन तर्पण और पिंडदान का पालन किया जा सकता है। इस समय ब्राह्मणों को भोजन कराना, जरूरतमंदों को दान करना और घर में सात्विक वातावरण बनाए रखना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान धार्मिक क्रियाओं का पालन करने से न केवल पूर्वज प्रसन्न होते हैं बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहती है। यह समय आत्मचिंतन और धार्मिक अनुशासन का भी होता है।c