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पूर्व तेज गेंदबाज डेविड लॉरेंस का 61 वर्ष की उम्र में निधन: इंग्लैंड के लिए खेले थे सिर्फ 5 टेस्ट मैच

पूर्व तेज गेंदबाज डेविड लॉरेंस का 61 वर्ष की उम्र में निधन: इंग्लैंड के लिए खेले थे सिर्फ 5 टेस्ट मैच

भारत और इंग्लैंड के बीच लीड्स के हेडिंग्ले मैदान पर चल रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के बीच क्रिकेट जगत को एक बेहद दुखद खबर मिली है। इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज डेविड लॉरेंस का 61 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।

स्पोर्ट्स न्यूज़: भारत और इंग्लैंड के बीच लीड्स में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के बीच एक दुखद समाचार ने क्रिकेट प्रेमियों को भावुक कर दिया। इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज डेविड लॉरेंस का 61 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। लॉरेंस लंबे समय से मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर (MND) जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। साल 2024 में इस बीमारी का पता चलने के बाद वे इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने में जुटे थे।

डेविड लॉरेंस के निधन के बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट बिरादरी में शोक की लहर फैल गई। भारत और इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने तीसरे दिन के खेल से पहले दो मिनट का मौन रखकर और काली पट्टी बांधकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह क्षण न केवल खिलाड़ियों बल्कि दर्शकों के लिए भी बेहद भावुक रहा।

डेविड लॉरेंस: एक उम्मीदभरा करियर और दर्दनाक अंत

डेविड लॉरेंस का क्रिकेट करियर जितना तेज शुरुआत से भरा था, उतना ही असमय और दुखद अंत भी हुआ। उन्होंने इंग्लैंड के लिए महज 5 टेस्ट और 1 वनडे मैच खेला, लेकिन उनका प्रभाव उस समय भी क्रिकेट विश्लेषकों और प्रशंसकों पर खासा था। उन्होंने 1988 में श्रीलंका के खिलाफ लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू किया और उसी साल इंग्लैंड के लिए खेलने वाले पहले ब्रिटिश अश्वेत क्रिकेटर बनने का गौरव हासिल किया। 

लॉरेंस ने अपने 5 टेस्ट मैचों में कुल 18 विकेट चटकाए। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1991 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 106 रन देकर 5 विकेट लेना रहा। वनडे करियर में उन्होंने केवल एक मुकाबला खेला लेकिन उसमें 4 विकेट लेकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।

1992 की वह चोट जिसने सब कुछ बदल दिया

डेविड लॉरेंस का करियर एक भयानक चोट की भेंट चढ़ गया, जो उनके जीवन का सबसे कठिन मोड़ बन गई। 1992 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंगटन टेस्ट में गेंदबाजी के दौरान उनके घुटने में गंभीर फ्रैक्चर हो गया। उस दृश्य को देखने वाले आज भी उसकी भयावहता को याद करते हैं। लॉरेंस ने वापसी की भरपूर कोशिश की, लेकिन उनका शरीर और आत्मबल उस स्तर तक नहीं पहुंच सका जहां से वे वापसी कर सकते।

इस घटना ने न केवल उनका अंतरराष्ट्रीय करियर रोका बल्कि काउंटी क्रिकेट में भी उनका प्रभाव धीरे-धीरे कम हो गया। हालांकि लॉरेंस का नाम इंग्लैंड की राष्ट्रीय टीम में भले ही ज्यादा समय तक न चमका हो, लेकिन ग्लूस्टरशायर काउंटी के लिए वह एक लीजेंड थे। उन्होंने अपने काउंटी करियर में 280 मैचों में 625 विकेट चटकाए। काउंटी क्रिकेट में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और बाद में उसी काउंटी के पहले अश्वेत अध्यक्ष भी बने।

क्रिकेट के बाद की जिंदगी: नई राहों की तलाश

क्रिकेट से बाहर होने के बाद लॉरेंस ने बॉडीबिल्डिंग में दिलचस्पी दिखाई और एक नाइट क्लब का संचालन भी किया। उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा देने की कोशिश की और लगातार चुनौतियों से जूझते रहे। 2024 में MND के डायग्नोसिस के बाद, उन्होंने अपनी जिंदगी बीमारी को समझाने और समाज में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने में समर्पित कर दी। इसी साल जून 2025 में उन्हें ब्रिटेन की किंग्स बर्थडे ऑनर्स में MBE अवॉर्ड से नवाजा गया, जो उनकी सामाजिक जागरूकता में भागीदारी को मान्यता देता है।

डेविड लॉरेंस के निधन की खबर के बाद क्रिकेट जगत के कई बड़े नामों ने सोशल मीडिया पर दुख जताया। इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB), ग्लूस्टरशायर काउंटी क्लब, और पूर्व कप्तान माइकल वॉन सहित कई हस्तियों ने उन्हें याद किया। ECB ने एक बयान में कहा, डेविड लॉरेंस सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि प्रेरणा थे। उन्होंने सीमित अवसरों में भी जो छाप छोड़ी, वह आज भी यादगार है।

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