नई दिल्ली: 2025 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात को घटित होगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे भारत सहित विश्व के कई हिस्सों से देखा जा सकेगा। इस खगोलीय घटना की खासियत यह है कि ग्रहण के दौरान ब्लड मून यानी रक्तवर्णी चंद्रमा का दृश्य भी नजर आएगा। यह नजारा खगोल प्रेमियों और वैज्ञानिकों के लिए बेहद खास माना जा रहा है।
कब और कितने समय तक रहेगा ग्रहण?
चंद्र ग्रहण की शुरुआत 7 सितंबर 2025 की रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगी और इसका समापन 8 सितंबर की तड़के 1 बजकर 26 मिनट पर होगा। इस ग्रहण का पूर्ण चरण लगभग 82 मिनट का रहेगा, जिसमें चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में रहेगा।
ग्रहण के कुल चरण की अवधि लगभग 3 घंटे 28 मिनट की होगी। यह समय विभिन्न खगोलीय क्रियाओं का सजीव दर्शन कराने वाला होगा।
ब्लड मून का रहस्य क्या है?
जब चंद्रमा पूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया में चला जाता है, और सूर्य की सीधी रोशनी उस तक नहीं पहुंच पाती, तब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से होकर मुड़ती हैं और लाल रंग की रोशनी चंद्रमा पर पड़ती है। इस समय चंद्रमा पर गहरा लाल या तांबई रंग दिखाई देता है।
इसी लाल छाया की वजह से इस खगोलीय घटना को ब्लड मून कहा जाता है। यह दृश्य अद्भुत होता है और अक्सर धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से भी जुड़ा होता है।
भारत में कहां और कब देखा जा सकेगा यह दृश्य?
भारत में यह पूर्ण चंद्र ग्रहण देश के अधिकांश हिस्सों से साफ दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण का सबसे स्पष्ट दृश्य रात 11 बजे से 12 बजकर 22 मिनट के बीच रहेगा। यह समय तब होगा जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया (अंब्रा) में होगा और उस पर रक्तवर्णी छाया दिखाई देगी।
उत्तर भारत, मध्य भारत, पूर्वोत्तर, पूर्वी और दक्षिणी राज्यों से यह नजारा साफ तौर पर देखा जा सकेगा। मौसम साफ रहने की स्थिति में यह खगोलीय घटना सामान्य आंखों से भी देखी जा सकती है।
पूर्ण चंद्र ग्रहण और सुपरमून का संगम
इस बार का पूर्ण चंद्र ग्रहण सुपरमून के करीब घटित होगा। चंद्र ग्रहण से कुछ दिन पहले चंद्रमा पृथ्वी के निकटतम बिंदु (पेरीजी) पर होगा। ऐसे में चंद्रमा सामान्य आकार से कुछ बड़ा और चमकीला नजर आएगा।
जब चंद्रमा पेरीजी के पास होता है और पूर्णिमा की रात आती है, तो उस स्थिति को सुपरमून कहा जाता है। ऐसे में 7 सितंबर की रात ब्लड मून और सुपरमून दोनों के समन्वय से आसमान का नजारा अत्यंत मोहक और दुर्लभ होगा।
किन देशों में दिखेगा यह खगोलीय दृश्य?
इस पूर्ण चंद्र ग्रहण को दुनिया के लगभग 77 प्रतिशत हिस्से से देखा जा सकेगा। इसमें एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कई हिस्से शामिल हैं।
- चीन, जापान, दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ भागों में यह पूर्ण रूप से नजर आएगा।
- ईरान, केन्या और आस-पास के देशों में भी इसका स्पष्ट दर्शन होगा।
- यूरोप, न्यूजीलैंड और पूर्वी अफ्रीका के कुछ हिस्सों से यह आंशिक रूप से दिखेगा।
यह ग्रहण खगोलविदों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
यह चंद्र ग्रहण खगोलविदों के लिए कई शोधों और अवलोकनों का अवसर प्रदान करता है। पृथ्वी की छाया के कारण चंद्रमा पर पड़ने वाला रंग, उसकी गति, आकार और प्रतिबिंब वैज्ञानिकों को पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के संबंधों को और बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।
साथ ही ब्लड मून जैसी घटनाएं खगोलीय विज्ञान, प्रकाशीय अपवर्तन और वायुमंडलीय प्रभावों के अध्ययन के लिए एक अद्वितीय प्रयोगशाला बन जाती हैं।