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प्रेमी-प्रेमिका की झड़प को लॉ एंड ऑर्डर से जोड़ना गलत: चिराग पर मांझी का तीखा तंज

प्रेमी-प्रेमिका की झड़प को लॉ एंड ऑर्डर से जोड़ना गलत: चिराग पर मांझी का तीखा तंज

गया के मानपुर में आयोजित 'हम' पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आज बिहार में न तो कोई साम्प्रदायिक तनाव है और न ही जातीय संघर्ष की कोई बड़ी घटना सामने आई है, फिर भी विपक्ष बिना तथ्य के जंगलराज का राग अलाप रहा है।

मांझी ने कहा कि 2005 से पहले की स्थिति कोई नहीं भूला है, जब राज्य में अराजकता का माहौल था और कोर्ट को तक कहना पड़ा था कि बिहार में जंगलराज है। लेकिन आज ऐसी कोई टिप्पणी अदालत की ओर से नहीं आई है। उन्होंने सवाल किया कि जब प्रेमी-प्रेमिका आपस में झगड़कर आत्महत्या कर लेते हैं, या व्यक्तिगत दुश्मनी के चलते हत्या हो जाती है, तो क्या उसे सीधे-सीधे लॉ एंड ऑर्डर की विफलता कहना सही होगा?

अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई

मांझी ने कहा कि वर्तमान सरकार में अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही है और पुलिस त्वरित कदम उठा रही है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने पटना में एक कारोबारी की हत्या का जिक्र किया, जहां आरोपी को पकड़कर एनकाउंटर कर दिया गया। मांझी ने तंज कसते हुए कहा कि उनके शासनकाल में किसी ने कभी एनकाउंटर होते देखा था क्या?

उन्होंने आगे कहा कि पटना के पारस अस्पताल की घटना में भी पुलिस ने दो दिन के भीतर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। मांझी ने दावा किया कि पहले की सरकारों में तो अपराधियों और पीड़ितों दोनों को एक अणे मार्ग बुलाकर फिरौती तक ली जाती थी। लेकिन आज ऐसी किसी भी गतिविधि की हिम्मत किसी में नहीं है। आज राज्य में कानून का शासन है और शांति का माहौल बना हुआ है।

चिराग पासवान पर निशाना

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान पर हमला बोलते हुए मांझी ने कहा कि वे जिस समाज की बात करते हैं, उसकी सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति को समझे बिना सिर्फ बयानबाज़ी करते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की औसत साक्षरता दर 80 फीसदी है, लेकिन अनुसूचित जातियों की साक्षरता दर केवल 32-33 फीसदी है। मांझी ने बताया कि उनके भुइयां-मुसहर समाज की साक्षरता दर सिर्फ 7 प्रतिशत है, जो आज भी सबसे पिछड़ा वर्ग है।

उन्होंने सवाल उठाया कि आजादी के 78 साल बाद भी यदि यह समाज डॉक्टर, इंजीनियर, विधायक या मंत्री नहीं बन पा रहा है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण के आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे नहीं चाहते कि समाज के सबसे पिछड़े तबके के लोग आगे बढ़ें।

विपक्ष को नहीं मिल रहा मुद्दा

मांझी ने यह भी कहा कि विपक्ष के पास अब कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है, इसलिए वे जनता को गुमराह करने के लिए लॉ एंड ऑर्डर जैसे विषयों को बेवजह उछाल रहे हैं। लेकिन बिहार की जनता अब जागरूक है और इन साजिशों में फंसने वाली नहीं है।

उन्होंने कहा कि बिहार की 14 करोड़ की आबादी में कभी-कभार घटनाएं होना स्वाभाविक है, लेकिन उसे राज्य की कानून-व्यवस्था की असफलता से जोड़ना पूरी तरह गलत है। मांझी ने स्पष्ट किया कि अब राज्य में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है, प्रशासन सजग है और कानून के तहत कार्रवाई हो रही है।

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