पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड होने के कारण बैंक और एनबीएफसी इस पर अपेक्षाकृत ज्यादा ब्याज दरें वसूलते हैं। इसलिए लोन लेने से पहले अच्छी तरह रिसर्च करना बेहद जरूरी है।
जब कोई पहली बार पर्सनल लोन लेता है, तो सबसे बड़ी गलती वह ब्याज दर के विकल्प को बिना समझे कर बैठता है। आमतौर पर लोन दो तरह की ब्याज दर पर मिलता है फिक्स्ड और रिड्यूसिंग। कई लोग बिना इन दोनों के फर्क को समझे लोन ले लेते हैं और बाद में ज्यादा ईएमआई चुकानी पड़ती है।
फिक्स्ड ब्याज दर में EMI पूरे लोन की अवधि तक एक जैसी रहती है और ब्याज कुल लोन राशि पर लगाया जाता है। दूसरी ओर, रिड्यूसिंग रेट में ब्याज हर EMI भरने के बाद बचे हुए मूलधन पर लगता है, जिससे समय के साथ ब्याज घटता है। इससे कुल भुगतान कम होता है। लेकिन पहली बार लोन लेने वाले इस तकनीकी बात को नजरअंदाज कर बैठते हैं।
गलत लोन देने वाले से लोन लेने की गलती
आजकल लोन मोबाइल ऐप्स से भी आसानी से मिल जाता है, लेकिन यह सुविधा कई बार लोगों को मुसीबत में डाल देती है। कई मोबाइल लोन ऐप कंपनियां बहुत अधिक ब्याज वसूलती हैं, कुछ मामलों में तो यह 40 से 50 प्रतिशत सालाना तक पहुंच जाता है। ऐसे ऐप्स आसान शर्तों में जल्दी पैसा जरूर देते हैं लेकिन बाद में भुगतान करना मुश्किल हो जाता है। इससे बेहतर है कि भरोसेमंद बैंक या पंजीकृत एनबीएफसी से ही लोन लिया जाए।
ब्याज दर की तुलना किए बिना जल्दबाजी में फैसला
बहुत से नए उधार लेने वाले लोग जल्दबाजी में जिस भी बैंक या संस्था से पहले लोन मिल जाए, उसी से लोन ले लेते हैं। वे यह नहीं देखते कि दूसरे बैंक या संस्थाएं कितनी ब्याज दर पर लोन दे रही हैं। जबकि थोड़ा रिसर्च कर लेने से कई बार 2-3 प्रतिशत तक सस्ती ब्याज दर मिल सकती है, जिससे लोन का कुल बोझ काफी कम हो सकता है।
छुपे हुए शुल्क की जानकारी न लेना
पर्सनल लोन में सिर्फ ब्याज ही नहीं होता, बल्कि कई और शुल्क भी लिए जाते हैं, जैसे प्रोसेसिंग फीस, बीमा शुल्क या अन्य एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज। अक्सर पहली बार लोन लेने वाला इन हिडेन चार्ज को नहीं समझ पाता और बाद में उसे भुगतान करना पड़ता है। कुछ बैंक तो लोन के साथ बीमा भी अनिवार्य कर देते हैं, जबकि यह जरूरी नहीं होता। ऐसे में लोन लेने से पहले सभी चार्ज की पूरी जानकारी जरूरी होती है।
प्री-पेमेंट की शर्तों को नजरअंदाज करना
कई बार लोन लेने के बाद जब व्यक्ति के पास पैसे की स्थिति ठीक हो जाती है, तो वह समय से पहले ही लोन चुकाने का विचार करता है। लेकिन तब पता चलता है कि उस पर प्री-पेमेंट चार्ज लगेगा या उस बैंक में यह सुविधा ही नहीं है। यह जानकारी पहले से न होने के कारण ग्राहक को परेशानी झेलनी पड़ती है। इसलिए जरूरी है कि लोन लेते समय यह भी पता कर लिया जाए कि समय से पहले लोन चुकाने पर कोई शुल्क तो नहीं लगेगा।
EMI भरने की योजना नहीं बनाना
बहुत से लोग लोन तो ले लेते हैं, लेकिन ईएमआई भरने की कोई योजना नहीं बनाते। नतीजा यह होता है कि कुछ महीने बाद उन्हें किस्त भरने में मुश्किल होने लगती है और लोन डिफॉल्ट कर बैठते हैं। इससे उनका क्रेडिट स्कोर खराब होता है और भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में परेशानी होती है। ऐसे में जरूरी है कि लोन लेने से पहले EMI कैलकुलेशन कर लिया जाए और अपनी आय व खर्च को ध्यान में रखकर किस्त चुकाने की योजना बनाई जाए।
पहली बार लोन लेने वालों के लिए जरूरी बात
भारत में अब पर्सनल लोन लेना पहले से कहीं आसान हो गया है, लेकिन इस आसानी के साथ कई धोखाधड़ी या महंगे कर्ज के खतरे भी जुड़ गए हैं। पहली बार लोन लेने वाले लोगों को सबसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है क्योंकि उनकी अनुभवहीनता का फायदा उठाया जा सकता है।
अगर कोई व्यक्ति इन छह गलतियों से बचता है, तो उसे न केवल लोन मिलने में सुविधा होगी बल्कि चुकाने में भी परेशानी नहीं आएगी। आज के समय में जहां पर्सनल लोन की डिमांड तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में सही जानकारी के साथ सही कदम ही समझदारी का सबूत है।