रूस ने विदेशी ऐप्स के विकल्प के रूप में 'व्लाड्स ऐप' नाम से नया सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जो केवल देश के भीतर उपयोग किया जा सकेगा।
दुनिया भर में डिजिटल संप्रभुता की बहस तेज हो चुकी है। जहां अमेरिका और यूरोप डेटा सुरक्षा को लेकर कड़े कानून बना रहे हैं, वहीं अब रूस ने भी एक बड़ा कदम उठाया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार ने एक नए राज्य नियंत्रित मैसेजिंग ऐप को मंजूरी दे दी है, जिसका नाम 'व्लाड्स ऐप' बताया जा रहा है। इस ऐप को देश में लोकप्रिय और विदेशी मैसेंजर जैसे WhatsApp और Telegram का विकल्प बताया जा रहा है।
क्या है व्लाड्स ऐप?
‘व्लाड्स ऐप’ एक ऐसा स्टेट-कंट्रोल्ड और सिक्योर मैसेजिंग प्लेटफॉर्म होगा, जो न सिर्फ संवाद स्थापित करने के लिए बल्कि सरकारी सेवाओं से जुड़ने के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। इसे डिजिटल स्वायत्तता की दिशा में रूस का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऐप को सीधे सरकारी डेटाबेस और सेवाओं से जोड़ा जाएगा। यानी यूजर अपनी पहचान सत्यापित कर सकेंगे, सरकारी फॉर्म भर सकेंगे, अनुबंधों पर डिजिटल साइन कर सकेंगे और भुगतान भी कर सकेंगे। इसका उपयोग आईडी वेरिफिकेशन, शैक्षिक सेवाओं, और यहां तक कि वोटिंग प्रणाली से जुड़ने के लिए भी हो सकता है।
सरकार क्यों ला रही है यह ऐप?
इस ऐप के लॉन्च के पीछे रूस की दीर्घकालिक रणनीति है – विदेशी टेक कंपनियों पर निर्भरता खत्म करना। पिछले कुछ सालों में रूस और पश्चिमी देशों के बीच संबंधों में खटास आने के बाद, पुतिन सरकार ने डेटा प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कई बार चिंता जताई है।
ड्यूमा की सूचना नीति समिति के प्रमुख सर्गेई बोयार्स्की ने कहा है कि यह ऐप 'WhatsApp और Telegram जैसी विदेशी सेवाओं की जगह लेने के लिए पूरी तरह तैयार है।' उन्होंने यह भी कहा कि 'यह ऐप हमारी डिजिटल सुरक्षा में आखिरी कमी को भी पूरा करेगा।'
क्या भारत या दूसरे देश के यूजर्स इस्तेमाल कर पाएंगे यह ऐप?
नहीं। यह ऐप सिर्फ रूस के अंदर ही उपलब्ध होगा। विदेशी यूजर्स, खासकर जो रूस में नहीं रहते, वे इस ऐप का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस सरकार निकट भविष्य में व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे विदेशी मैसेजिंग ऐप्स को ब्लॉक करने की तैयारी में है। ऐसे में रूस के नागरिकों के पास विकल्प के तौर पर सिर्फ यह नया Vlad’s App ही बचेगा।
क्या रूस करेगा WhatsApp और Telegram पर बैन?
इस सवाल का जवाब अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन संकेत जरूर मिल रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर ‘व्लाड्स ऐप’ सफल रहा और सरकार को अपेक्षित परिणाम मिले, तो रूस के अंदर WhatsApp और Telegram जैसे ऐप्स को ब्लॉक किया जा सकता है।
हालांकि टेलीग्राम की शुरुआत एक रूसी डेवलपर पावेल ड्यूरोव ने की थी, लेकिन वह अब एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी बन चुकी है और उसका मुख्यालय दुबई में है। WhatsApp पहले ही अमेरिका आधारित मेटा कंपनी का हिस्सा है। रूस सरकार का कहना है कि इन ऐप्स के जरिए देश का डेटा विदेशी सर्वरों पर जा सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है।
तकनीकी विशेषताएं क्या होंगी?
हालांकि अभी इस ऐप के इंटरफेस और फीचर्स की पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन कुछ संभावित खूबियां इस प्रकार हो सकती हैं:
- एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (राज्य की निगरानी के साथ)
- सरकारी पहचान पत्र से लिंकिंग
- डिजिटल साइन और डॉक्यूमेंट ट्रांसफर सुविधा
- रियल टाइम चैट, कॉल और वीडियो कॉल फीचर्स
- गवर्नमेंट सर्विस पोर्टल से इंटीग्रेशन
- रूस के क्लाउड पर स्टोरेज और डेटा सिक्योरिटी
इस कदम के क्या हो सकते हैं बड़े प्रभाव?
1. रूस में डिजिटल आज़ादी सीमित हो सकती है
जहां एक ओर सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में उठाया गया कदम मान रही है, वहीं आलोचकों का मानना है कि यह ऐप रूसी नागरिकों की डिजिटल आजादी और निजता पर अंकुश लगा सकता है।
2. विदेशी कंपनियों पर दबाव
यह फैसला फेसबुक, मेटा, टेलीग्राम और X जैसी कंपनियों पर भी दबाव बना सकता है कि वे अपने ऐप्स के लिए स्थानीय नियमों के अनुसार संचालन करें या रूस से बाहर हो जाएं।
3. दूसरे देशों को मिलेगा संकेत
भारत जैसे देश, जो डेटा लोकलाइजेशन पर जोर दे रहे हैं, वे भी इस कदम को एक उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं। हो सकता है भविष्य में भारत भी अपने ‘मेड इन इंडिया’ मैसेजिंग ऐप्स को बढ़ावा दे।