SBI लोन फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल अंबानी को ED ने 14 नवंबर को पेश होने का नोटिस भेजा। जांच में Reliance Power की फर्जी बैंक गारंटी और BTPL कंपनी के संदिग्ध लेनदेन शामिल हैं।
New Delhi: बैंक लोन फर्जीवाड़ा मामले में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने अनिल अंबानी को 14 नवंबर को एजेंसी के सामने पेश होने का नोटिस भेजा है। इस पूछताछ में एसबीआई बैंक लोन फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच की जाएगी। इससे पहले ईडी ने 5 अगस्त को भी अनिल अंबानी से लंबी पूछताछ की थी, जिसमें समूह की कई कंपनियों के वित्तीय लेनदेन और कथित धन शोधन गतिविधियों से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी।
रिलायंस पावर से जुड़े फर्जी बैंक गारंटी रैकेट की जांच
ईडी ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर (Reliance Power) से जुड़े फर्जी बैंक गारंटी रैकेट की जांच तेज कर दी है। जांच में पता चला कि कंपनी ने सरकारी प्रोजेक्ट SECI (Solar Energy Corporation of India) के लिए टेंडर भरा था, जिसमें बैंक गारंटी देना अनिवार्य था। इसके लिए रिलायंस पावर ने ओडिशा की Biswal Tradelink Pvt Ltd (BTPL) नाम की कंपनी को यह काम सौंपा।
नकली बैंक गारंटी और भुगतान का मामला
जांच में पाया गया कि BTPL द्वारा दी गई बैंक गारंटी नकली थी। रिलायंस पावर ने इसके बदले BTPL को लगभग 5.4 करोड़ रुपये का भुगतान किया। फर्जीवाड़े में शामिल लोगों ने SBI की असली वेबसाइट (sbi.co.in) की नकल करते हुए s-bi.co.in नाम से नकली डोमेन बनाया और फर्जी ईमेल भेजे, ताकि ऐसा लगे कि बैंक गारंटी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जारी की है।
BTPL के मैनेजिंग डायरेक्टर की गिरफ्तारी
ईडी ने BTPL के मैनेजिंग डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार कर लिया है। जांच में यह भी सामने आया कि BTPL सिर्फ कागजों पर मौजूद कंपनी है। इसका कोई असली कार्यालय नहीं मिला और न ही दस्तावेज सत्यापित हैं। कंपनी के कई गुप्त बैंक खातों में करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेनदेन पाए गए। रैकेट से जुड़े लोग Telegram ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे ताकि संदेश और सबूत गायब हो जाएं।
ईडी के सामने मुख्य सवाल
ईडी इस मामले में कई अहम सवालों की जांच कर रही है। पहला सवाल यह है कि 5.4 करोड़ रुपये का भुगतान BTPL को किसने और क्यों मंजूर किया। दूसरा सवाल है कि क्या अनिल अंबानी को इस फर्जीवाड़े की जानकारी थी। इसके अलावा, यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि फर्जी बैंक गारंटी से किसे लाभ हुआ और पैसे का ट्रांसफर किन चैनलों और लोगों के जरिए किया गया।
68.2 करोड़ रुपये की फर्जी गारंटी का खुलासा
जांच में यह भी सामने आया कि Reliance NU BESS Limited और Maharashtra Energy Generation Ltd, जो अनिल अंबानी समूह की कंपनियां हैं, ने SECI को 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा करवाई थी। इस मामले के बाद ईडी ने रिलायंस ग्रुप के पुराने वित्तीय फ्रॉड मामलों की भी दोबारा जांच शुरू कर दी है।
Reliance Communications Ltd (RCom) पर ₹14,000 करोड़ के लोन फ्रॉड का आरोप है। इसके अलावा Canara Bank से 1,050 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस भी दर्ज है। सरकार ने संसद में बताया था कि SBI ने RCom को 'फ्रॉड अकाउंट' घोषित किया है और CBI को शिकायत भेजने की तैयारी हो रही है।













