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सागुन सोहराय पर्व पर हेमंत सोरेन का संदेश, झारखंडवासियों को दी बधाई

सागुन सोहराय पर्व पर हेमंत सोरेन का संदेश, झारखंडवासियों को दी बधाई

झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी पर्व सागुन सोहराय पर जनता को शुभकामनाएं दी। उन्होंने गोहाल पूजा, बर्दखुटा और बांधना पर्व के सांस्कृतिक महत्व और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की परंपरा को उजागर किया।

झारखंड: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को आदिवासी समुदाय के महत्वपूर्ण पर्व सागुन सोहराय (Sagun Sohrai) पर लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं। यह पर्व फसल कटने के बाद मनाया जाता है और दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के साथ आता है। हेमंत सोरेन ने अपनी आधिकारिक सोशल मीडिया प्रोफाइल ‘एक्स’ पर एक संदेश जारी करते हुए सभी झारखंडवासियों और आदिवासी समुदाय को इस पावन अवसर पर शुभकामनाएं दीं।

सागुन सोहराय पर्व का महत्व

सागुन सोहराय झारखंड का प्रमुख आदिवासी पर्व है। इसे फसल कटने के बाद मनाया जाता है और यह प्रकृति की उपज और आभार व्यक्त करने का प्रतीक माना जाता है। आदिवासी समुदाय इस दिन अपने देवताओं और पूर्वजों को याद करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। पर्व के दौरान लोग गोहाल पूजा, बर्दखुटा और बांधना जैसे अन्य पारंपरिक उत्सव भी मनाते हैं।

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा, ‘‘सागुन सोहराय पर्व के पावन मौके पर सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। मैं आप सभी को गोहाल पूजा, बर्दखुटा और बांधना पर्व की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। प्रकृति के ये पर्व आप सभी के जीवन में खुशियां लेकर आएं।’’

गोहाल पूजा, बर्दखुटा और बांधना पर्व

गोहाल पूजा में गायों और अन्य पालतू पशुओं की पूजा की जाती है। यह पर्व पशुपालन और कृषि पर निर्भर आदिवासी जीवनशैली का प्रतीक है। बर्दखुटा और बांधना पर्व में समुदाय अपने खेतों और घरों को साफ-सुथरा रखते हुए पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। इन पर्वों के दौरान लोग अपने पूर्वजों और देवताओं को याद कर आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। 

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