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Sahara group निवेशकों का पैसा कैसे हुआ गुप्त इस्तेमाल? ED ने खोला काला सच

Sahara group निवेशकों का पैसा कैसे हुआ गुप्त इस्तेमाल? ED ने खोला काला सच

सहारा ग्रुप मामले में ED ने कोलकाता की विशेष पीएमएलए अदालत में चार्जशीट दाखिल की। इसमें आरोप लगाया गया कि सहारा ग्रुप ने निवेशकों से जुटाए पैसों का गलत इस्तेमाल किया, पोंजी योजनाओं के जरिए जमाकर्ताओं को चूना लगाया और जमा धन का गुप्त तरीके से निपटान किया। मुख्य आरोपी अब्राहम और वर्मा न्यायिक हिरासत में हैं।

Sahara group: ED ने सहारा ग्रुप के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कोलकाता की विशेष पीएमएलए अदालत में चार्जशीट दाखिल की। आरोप है कि समूह ने जनता से जमा धन का गुप्त तरीके से उपयोग किया, पोंजी योजनाओं के जरिए निवेशकों को धोखा दिया और जमा राशि का निजी व बेनामी संपत्तियों में इस्तेमाल किया। कार्यकारी निदेशक अनिल वी अब्राहम और प्रॉपर्टी ब्रोकर जितेंद्र प्रसाद वर्मा मुख्य आरोपी हैं और फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जमाकर्ताओं के बकाया राशि वितरण की समयसीमा 31 दिसंबर, 2026 तक बढ़ा दी है।

ED के आरोपों का सार

ED ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि सहारा ग्रुप ने जमाकर्ताओं से जुटाए गए धन का इस्तेमाल पोंजी योजनाओं में किया। जमाकर्ताओं को उनकी मैच्योरिटी राशि लौटाने के बजाय जबरन रिनिवेस्ट कराई गई और अकाउंट्स में हेराफेरी कर गैर-भुगतान को छिपाया गया। जांच में यह भी सामने आया कि अब्राहम और जितेंद्र प्रसाद वर्मा ने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर कई संपत्तियों का निपटान भारी नकद लेनदेन के माध्यम से गुप्त तरीके से किया।

ED ने यह भी आरोप लगाया कि समूह की चार सहकारी समितियों पर भारी देनदारियां डाल दी गईं, जबकि वित्तीय स्थिति कमजोर थी। जमाकर्ताओं से राशि जुटाना जारी रहा और इसका अधिकतर इस्तेमाल निजी संपत्तियों और कर्ज चुकाने के बजाय निजी लाभ के लिए किया गया।

सहारा केस में शीर्ष अधिकारी और ब्रोकर आरोपी

चार्जशीट में सहारा ग्रुप के शीर्ष मैनेजमेंट में शामिल कार्यकारी निदेशक अनिल वी अब्राहम और लंबे समय से ग्रुप से जुड़े प्रॉपर्टी ब्रोकर जितेंद्र प्रसाद वर्मा को आरोपी बनाया गया है। दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। ED के मुताबिक, इन आरोपियों ने समूह की संपत्तियों के निपटान और निवेशकों के पैसों के दुरुपयोग में अहम भूमिका निभाई।

जमाकर्ताओं की बकाया राशि

सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को सहारा समूह की सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं को बकाया राशि चुकाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास जमा 24,000 करोड़ रुपये में से 5,000 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने बकाया राशि के वितरण की समयसीमा को 31 दिसंबर, 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2026 कर दिया। इससे जमाकर्ताओं को आंशिक राहत मिली है, लेकिन पूरी राशि मिलने में अभी समय लगेगा।

पैसों का गुप्त इस्तेमाल

ED की जांच में यह भी पाया गया कि सहारा ग्रुप ने वित्तीय नियमों का उल्लंघन कर जमाकर्ताओं से धन जुटाया। जमा राशि का अधिकतर इस्तेमाल निजी संपत्तियों को बनाने, कर्ज चुकाने और निजी लाभ के लिए किया गया। इस प्रक्रिया में निवेशकों को उनके वैध अधिकारों से वंचित रखा गया।

ED की रिपोर्ट के अनुसार, सहारा ग्रुप ने लंबे समय तक जमाकर्ताओं को धोखा दिया और उनके पैसे का गुप्त रूप से इस्तेमाल किया। चार्जशीट में यह स्पष्ट किया गया कि समूह ने जनता को सही जानकारी दिए बिना धन का दुरुपयोग किया।

निवेशकों की स्थिति

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निवेशकों को आंशिक राहत मिली है। 5,000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, लेकिन पूरे बकाया की अदायगी में अभी समय लगेगा। कोर्ट ने वितरण की समयसीमा बढ़ा कर 31 दिसंबर, 2026 कर दी है। इससे निवेशकों को उनके धन के मिलने की उम्मीद बनी हुई है।

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