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Sankashti Chaturthi 2025: सावन की संकष्टी चतुर्थी क्यों है खास? जानें पूजा विधि, तिथि और पौराणिक रहस्य

Sankashti Chaturthi 2025: सावन की संकष्टी चतुर्थी क्यों है खास? जानें पूजा विधि, तिथि और पौराणिक रहस्य

श्रावण मास का पावन महीना हिन्दू धर्म में विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक आस्था का केंद्र होता है। जहां इस मास में शिव आराधना का विशेष महत्व होता है, वहीं इस बार आने वाली संकष्टी चतुर्थी भी विशेष रूप से शुभ और फलदायी मानी जा रही है। कारण है इसका श्रावण सोमवार के दिन पड़ना, जिससे यह व्रत और भी प्रभावशाली और पुण्यदायक बन गया है।

संकष्टी चतुर्थी, जिसे 'गणेश संकटनाशक चतुर्थी' भी कहा जाता है, भगवान गणेश को समर्पित है। यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, लेकिन जब यह श्रावण मास में आता है, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इस बार की संकष्टी चतुर्थी क्यों है खास, इसकी तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।

संकष्टी चतुर्थी 2025: तिथि, समय और मुहूर्त

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 13 जुलाई 2025, रविवार को प्रातः 1:02 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 14 जुलाई 2025, सोमवार को रात्रि 11:59 बजे
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: 14 जुलाई को प्रातः 9:00 से 10:43 बजे तक
  • चंद्रोदय का समय: रात 9:55 बजे

इस दिन उपवास रखने वाले भक्त चंद्रमा के दर्शन कर पूजा संपन्न करते हैं। चंद्रोदय के बाद गणेश जी की विशेष आरती और चंद्र देव को अर्घ्य देना इस व्रत का मुख्य अंग है।

सावन में संकष्टी चतुर्थी का महत्व

सावन के महीने में यह चतुर्थी इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह भगवान शिव और उनके पुत्र गणेश दोनों की कृपा प्राप्त करने का अवसर देती है। इस दिन गणेश जी की पूजा जीवन से कष्ट, रोग, और आर्थिक बाधाओं को दूर करने वाली मानी जाती है। विशेष रूप से इस बार संकष्टी चतुर्थी श्रावण सोमवार के दिन आ रही है, जो शिव-गणेश दोनों की कृपा प्राप्त करने का दुर्लभ संयोग है। यह योग कई वर्षों बाद आया है और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह मांगलिक कार्यों और सिद्धि प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ समय है।

गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत के लाभ

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष रूप से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति
  • कार्यों में आ रही बाधाओं का समाधान
  • आर्थिक संकट से मुक्ति
  • संतान प्राप्ति और बुद्धि-विवेक में वृद्धि
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का नाश
  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा

गजानन स्वरूप का रहस्य: क्यों कहा जाता है गजानन?

‘गजानन’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है – ‘गज यानी हाथी’ और ‘आनन यानी मुख’। अर्थात, हाथी के मुख वाले भगवान। पौराणिक कथा के अनुसार, जब पृथ्वी पर लोभासुर नामक असुर ने आतंक मचाना शुरू किया और देवता भी उससे परेशान हो गए, तब सभी ने मिलकर गणेश जी से प्रार्थना की। गणेश जी ने गजानन रूप में अवतार लिया और लोभासुर को युद्ध में पराजित कर दिया। यही कारण है कि गजानन स्वरूप में पूजन करना संकटों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

व्रत विधि और पूजा सामग्री

संकष्टी चतुर्थी व्रत को श्रद्धा, नियम और सादगी से करना चाहिए।

  • इस दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें। फिर नीचे दी गई सामग्री से पूजा करें:
  • गणेश जी की मूर्ति या चित्र
  • दूर्वा, मोदक, लाल फूल, रोली, अक्षत
  • दीपक, घी, कपूर
  • चंद्र देव को अर्घ्य देने हेतु जल व चावल
  • पूजन के बाद गणेश जी को मोदक अर्पित करें और ‘संकटनाशन गणेश स्तोत्र’ का पाठ करें। रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूर्ण होता है।

धार्मिक संकेत: सावन में दिखे यदि सांप, तो समझिए ये हैं शुभ संकेत

सावन में सांपों के दर्शन भी धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद शुभ माने जाते हैं। नाग देवता भगवान शिव के आभूषण हैं, और सावन के महीने में यदि किसी को सपने या वास्तविक जीवन में सांप दिखाई दे, तो यह निम्नलिखित संकेत माने जाते हैं:

  • धन लाभ की संभावना
  • रुके हुए कार्यों के पूरे होने के संकेत
  • परिवार में खुशियों का आगमन
  • पूर्व जन्म के पुण्य कर्मों का फल
  • किसी बड़ी बाधा या संकट से मुक्ति मिलने का योग

इसलिए ऐसे दर्शन से घबराएं नहीं, बल्कि उसे भगवान का आशीर्वाद समझें। सावन की संकष्टी चतुर्थी 2025 एक बेहद पावन अवसर है, जब श्रद्धालु गणेश जी की आराधना करके अपने जीवन के संकटों से मुक्ति पा सकते हैं। यह संयोग, जब चतुर्थी श्रावण सोमवार को पड़ रही है, और चंद्रोदय का विशेष मुहूर्त मिल रहा है — अत्यंत दुर्लभ और फलदायी माना जाता है।

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