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श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति अरेस्ट पर शशि थरूर का बड़ा बयान, जानें क्या कहा

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति अरेस्ट पर शशि थरूर का बड़ा बयान, जानें क्या कहा

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया गया। शशि थरूर ने श्रीलंका सरकार से बदले की राजनीति न करने की अपील की।

Politics: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कोलंबो की अदालत ने उन्हें 26 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है। इस गिरफ्तारी ने न केवल श्रीलंका की राजनीति में हलचल मचाई है, बल्कि भारत में भी इस पर प्रतिक्रियाएं आई हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस मामले पर चिंता जताते हुए श्रीलंका सरकार से बदले की राजनीति से बचने की अपील की है।

गिरफ्तारी कैसे हुई

रानिल विक्रमसिंघे को सरकारी धन के कथित दुरुपयोग के मामले में गिरफ्तार किया गया। यह मामला उनके राष्ट्रपति कार्यकाल से जुड़ा है, जहां लगभग 1.66 करोड़ श्रीलंकाई रुपये के उपयोग पर सवाल उठे हैं। कोलंबो की फीट मजिस्ट्रेट अदालत ने आदेश दिया कि उन्हें 26 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में रखा जाए। अदालत के आदेश के बाद सीआईडी ने पूर्व राष्ट्रपति को हिरासत में लिया और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।

शशि थरूर की प्रतिक्रिया

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह श्रीलंका का आंतरिक मामला है, लेकिन फिर भी वह श्रीलंका सरकार से अनुरोध करते हैं कि बदले की राजनीति से बचा जाए।

शशि थरूर ने लिखा कि रानिल विक्रमसिंघे पर लगाए गए आरोप मामूली प्रतीत होते हैं। गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिससे उनकी सेहत पर भी चिंता जताई जा रही है।

‘सम्मान और गरिमा के साथ हो व्यवहार’

शशि थरूर ने आगे कहा कि श्रीलंका सरकार को पूर्व राष्ट्रपति के साथ सम्मान और गरिमा के साथ पेश आना चाहिए। लोकतंत्र में राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन नेताओं के साथ बदले की भावना से व्यवहार करना सही नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी देश की राजनीतिक प्रणाली में न्याय और निष्पक्षता की अहम भूमिका होती है।

आरोप और कई कानूनी धाराएं

सीआईडी ने रानिल विक्रमसिंघे पर श्रीलंकाई दंड संहिता की धारा 386 और 388 के तहत आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम की धारा 5(1) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो पूर्व राष्ट्रपति को कम से कम 20 साल की सजा हो सकती है। यह श्रीलंका के इतिहास में एक बड़ा राजनीतिक मामला बन सकता है।

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