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सूर्यकांत 24 नवंबर से होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, पेटवार गांव में खुशी का माहौल

सूर्यकांत 24 नवंबर से होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, पेटवार गांव में खुशी का माहौल

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर से देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। हरियाणा के पेटवार गांव के ‘मास्टरजी का बेटा’ ने न्यायिक सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनका कार्य दृष्टिकोण निष्पक्ष और पारदर्शी रहा है।

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। इस बात की घोषणा 30 अक्टूबर 2025 को हुई। जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर से भारत के 53वें चीफ जस्टिस और हरियाणा के पहले चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेंगे। उनकी नियुक्ति ने देशभर में खासा ध्यान खींचा है। उनके जन्म और परिवार से जुड़े किस्से मीडिया में चर्चा का विषय बन गए हैं।

मास्टरजी का बेटा, किसान से लेकर कवि तक जा सफर

सूर्यकांत का जन्म हरियाणा के पेटवार गांव में हुआ। गांववाले और उनके परिवार के लोग उन्हें 'मास्टरजी का बेटा' कहते हैं। उनके पिता अविभाजित पंजाब में संस्कृत के शिक्षक थे। जस्टिस सूर्यकांत चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। बड़े भाई ऋषिकांत बताते हैं कि बचपन में सूर्यकांत हमेशा होशियार और मेहनती छात्र थे।

ऋषिकांत ने कहा कि सूर्यकांत ने हमेशा अपने गांव और किसानों की परेशानियों के बारे में सोचा। "मैंने सूर्यकांत में किसान और मजदूर दोनों की भावना देखी है। वह अब भी गांव के लोगों के हालचाल पूछते हैं," उन्होंने बताया।

सूर्यकांत सिर्फ न्यायाधीश ही नहीं, बल्कि एक कवि भी हैं। उनके भाई ने साझा किया कि कॉलेज में उनकी कविता 'मेंढ पर मिट्टी चढ़ा दो' बहुत लोकप्रिय थी। यह कविता उनके ग्रामीण जीवन और संवेदनशील दृष्टिकोण को दर्शाती है।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

जस्टिस सूर्यकांत ने हाई स्कूल तक गांव के स्कूल में पढ़ाई की। उनके परिवार का कहना है कि बचपन में उनका लगाव शिक्षा और किताबों से हमेशा रहा। ऋषिकांत ने बताया कि सूर्यकांत ने हमेशा अपने छोटे भाई-बहनों और गांव के बच्चों के लिए मार्गदर्शन किया। उनकी यह आदत बाद में उनके न्यायिक करियर में भी दिखाई दी।

भाभी राजबाला ने बताया कि जब उनकी शादी हुई थी, तब सूर्यकांत सिर्फ दस साल के थे। वह अक्सर राजबाला के साथ रहते और घर के छोटे-मोटे कामों में मदद करते। राजबाला ने कहा कि सूर्यकांत उन्हें 'गोदारा साहब' कहकर बुलाते थे। इसका कारण यह था कि उस समय मनीराम गोदारा हरियाणा के गृह मंत्री थे और सूर्यकांत ने इसे अपने घर के संदर्भ में मजाकिया तरीके से लिया।

उनका न्यायिक करियर

सूर्यकांत ने अपने न्यायिक करियर में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। वे आम जनता और विशेषकर सेना के जवानों के हित में कई स्कीमों के लिए जाने जाते हैं। उनके भाई का कहना है कि अब लोग उनसे उम्मीद रखते हैं कि वह हर आम नागरिक को न्याय दिलाने में पूरी मेहनत करेंगे।

सूर्यकांत का न्यायिक दृष्टिकोण हमेशा पारदर्शिता और निष्पक्षता पर केंद्रित रहा है। उनका यह रवैया उन्हें देश के मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए उपयुक्त बनाता है।

परिवार का योगदान

सूर्यकांत के परिवार ने उनके जीवन में शिक्षा और नैतिक मूल्यों को मजबूत किया। बड़े भाई ऋषिकांत ने बताया कि पिता के मार्गदर्शन और मां की स्नेहिल परवरिश ने सूर्यकांत को संवेदनशील और मेहनती बनाया। उनके परिवार ने हमेशा उनके न्यायिक दृष्टिकोण और नैतिकता की सराहना की।

भाभी राजबाला ने याद किया कि सूर्यकांत हमेशा दूसरों की मदद करते थे और घर में छोटे-बड़े कामों में सहयोग करते थे। यह पहल उन्हें केवल परिवार में ही नहीं, बल्कि गांव और समाज में भी सम्मान दिलाती रही।

पेटवार गांव के लोग सूर्यकांत की नियुक्ति से बेहद खुश हैं। एक गांववाले ने कहा, "जस्टिस सूर्यकांत ने गांव का नाम बहुत ऊंचा किया है। हमारे 'मास्टरजी का बेटा' के इतने ऊंचे पद पर होने से गांव के युवाओं को प्रेरणा मिली है।"

गांव में उनकी नियुक्ति को गर्व का क्षण माना जा रहा है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सूर्यकांत अपने न्यायिक करियर में हमेशा समानता और न्याय के मूल सिद्धांतों को बनाए रखेंगे।

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