कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के सोशल मीडिया पोस्ट ने एशियाई विरोध आंदोलनों को लेकर विवाद खड़ा किया। भाजपा ने इसे राहुल गांधी पर तंज के रूप में देखा। तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा, उद्देश्य केवल वैश्विक रुझानों पर ध्यान देना था।
New Delhi: कांग्रेस नेता मनीष तिवारी हाल ही में अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने एशिया के विभिन्न देशों में हुए सरकारी विरोधी आंदोलनों पर एक लेख शेयर किया और इसे लेकर नेपोकिड्स जैसे हैशटैग का इस्तेमाल किया। इस पोस्ट को भाजपा ने तुरंत राजनीतिक हथियार बना लिया और दावा किया कि यह राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए लिखा गया है।
पोस्ट की शुरुआत और मुद्दा
मनीष तिवारी ने मंगलवार की सुबह 10 बजे अपने पोस्ट में लिखा कि जुलाई 2023 में श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को पद से हटाया गया, जुलाई 2024 में बांग्लादेश में शेख हसीना को हटाया गया, सितंबर 2025 में नेपाल में केपी शर्मा ओली के खिलाफ विरोध हुए और अब फिलीपींस में फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेन एक्स, वाई और जेड जनरेशन अब 'एनटाइटमेंट' को स्वीकार नहीं कर रही है।
तिवारी ने लिखा कि सोशल मीडिया के इन रुझानों ने वंशवाद को चुनौती दी है और इसे समझने के लिए उनके लेख और ट्रिलियन पेसो मार्च जैसे अध्ययन देखे जा सकते हैं। उनके इस पोस्ट में कोई स्पष्ट तौर पर राहुल गांधी का नाम नहीं था, लेकिन भाजपा ने इसे तुरंत राजनीतिक बहस में बदल दिया।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा नेता अमित मालवीय ने इस पोस्ट को पकड़ते हुए कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी भारतीय राजनीति के सबसे बड़े 'नेपो किड' राहुल गांधी पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस के अपने दिग्गज नेता भी राहुल गांधी की राजनीति से तंग आ चुके हैं और अब अंदर से ही बगावत शुरू हो गई है।
मनीष तिवारी का जवाब
मनीष तिवारी ने भाजपा की प्रतिक्रिया पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य केवल यह है कि कुछ लोग जिंदगी में आगे बढ़ें। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर चीज को कांग्रेस-भाजपा या 'इसने कहा, उसने कहा' या 'एक्स' या 'वाई' तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया में जो घटनाएं हो रही हैं, उनके राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं और इसे सही परिप्रेक्ष्य में समझना जरूरी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा और एशिया के आंदोलनों का संदर्भ
मनीष तिवारी का कहना है कि दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया में हो रहे विरोधी आंदोलनों की जांच जरूरी है क्योंकि ये केवल स्थानीय राजनीति तक सीमित नहीं हैं। इनका असर क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ सकता है। उन्होंने समझाया कि यह महत्वपूर्ण है कि जनता इस विषय को केवल राजनीतिक एंगल से न देखे, बल्कि गंभीर विश्लेषण के माध्यम से समझे।