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Sourav Ganguly Birthday: भारतीय क्रिकेट के ‘दादा’, जानें उनके करियर की 5 ऐतिहासिक झलकियां

Sourav Ganguly Birthday: भारतीय क्रिकेट के ‘दादा’, जानें उनके करियर की 5 ऐतिहासिक झलकियां

9 जुलाई 2025 को भारतीय क्रिकेट के सबसे करिश्माई कप्तानों में शुमार सौरव गांगुली अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। एक ऐसा नाम जिसने भारतीय क्रिकेट को सिर्फ जीतना नहीं, बल्कि दबदबे के साथ खेलना सिखाया। दादा के नाम से मशहूर इस खिलाड़ी ने टीम इंडिया को विदेशी ज़मीं पर खड़ा होना और सिर ऊंचा कर टेस्ट जीतना सिखाया। गांगुली की कप्तानी ने क्रिकेट को एक नई पहचान दी और खिलाड़ियों को आत्मविश्वास।

आज के इस विशेष दिन पर आइए जानते हैं सौरव गांगुली के करियर से जुड़ी 5 सबसे प्रेरणादायक कहानियां, जो उन्हें सिर्फ एक सफल खिलाड़ी नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट का 'आधुनिक युग का आर्किटेक्ट' बनाती हैं।

1. डेब्यू में शतक: लॉर्ड्स में बजा ‘राजकुमार’ का बिगुल

सौरव गांगुली का टेस्ट डेब्यू साल 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में हुआ था। ये वो मैदान है जिसे क्रिकेट का मक्का कहा जाता है। अपने पहले ही टेस्ट में गांगुली ने 131 रनों की शानदार पारी खेली और बता दिया कि भारत को एक क्लास बल्लेबाज़ मिल गया है। वह सिर्फ रन नहीं बना रहे थे, वो धीरज, तकनीक और आत्मविश्वास का प्रदर्शन कर रहे थे। गांगुली के डेब्यू के साथ ही भारत को एक ऐसा बल्लेबाज़ मिला, जो तेज गेंदबाज़ी को भी उसी ठहराव के साथ खेलता था, जैसे वो घरेलू मैदानों पर करता हो।

2. संकट में कप्तानी संभाली, और बदली भारतीय क्रिकेट की किस्मत

साल 2000 में जब सौरव गांगुली को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया, तब भारतीय क्रिकेट मैच फिक्सिंग के साए में डूबा हुआ था। टीम के बड़े नाम संदेह के घेरे में थे और प्रशंसकों का भरोसा टूटा हुआ था। ऐसे माहौल में गांगुली ने नेतृत्व की बागडोर संभाली और भारतीय क्रिकेट को नए सिरे से गढ़ा। उन्होंने युवाओं पर दांव लगाया, उनमें आत्मविश्वास भरा और टीम को एक परिवार की तरह एकजुट किया। यही वजह है कि युवराज सिंह, हरभजन सिंह, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान और यहां तक कि महेंद्र सिंह धोनी जैसे सितारे गांगुली की कप्तानी में ही उभरे।

3. 2001 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज: टॉस में देरी और ऐतिहासिक वापसी

2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की घरेलू टेस्ट सीरीज गांगुली के नेतृत्व की पराकाष्ठा थी। पहले टेस्ट में भारत हार गया, लेकिन कोलकाता टेस्ट में फॉलोऑन के बावजूद भारत ने 171 रनों से जीत दर्ज की, जो क्रिकेट इतिहास की सबसे महान वापसी मानी जाती है। इस सीरीज का एक मज़ेदार किस्सा भी जुड़ा है—गांगुली बार-बार ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ को टॉस के लिए इंतजार करवाते थे, जिससे ऑस्ट्रेलियाई ड्रेसिंग रूम में चिढ़ पैदा हो गई थी। गांगुली ने मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह ‘दादागिरी’ दिखाकर बताया कि भारत अब झुकेगा नहीं।

4. आक्रामक सोच और विदेशों में जीतने का आत्मविश्वास

सौरव गांगुली पहले ऐसे भारतीय कप्तान थे जिन्होंने यह सिद्ध किया कि भारतीय टीम विदेशी सरजमीं पर भी जीत सकती है। उनकी कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज जैसी जगहों पर मुकाबला किया और जीत भी दर्ज की। उन्होंने खिलाड़ी को सिर्फ ‘मैच फिट’ नहीं बल्कि ‘मेंटल वॉरियर’ बनाना सिखाया। यही सोच आगे चलकर धोनी और कोहली की टीमों में भी झलकी।

5. आंकड़ों से भी भरा पड़ा है दादा का सुनहरा सफर

  • 113 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 7212 रन बनाए और 16 शतक जड़े
  • 311 वनडे मैचों में 11363 रन, जिसमें 22 शतक और 72 अर्धशतक शामिल
  • कप्तान के रूप में भारत को 21 टेस्ट जीत और 76 वनडे जीत दिलाई
  • 2003 वर्ल्ड कप में टीम को फाइनल तक पहुंचाया

गांगुली का योगदान केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि उस मानसिकता में है जिसे उन्होंने टीम इंडिया को सौंपा। सौरव गांगुली का जन्मदिन केवल एक खिलाड़ी का जश्न नहीं है, बल्कि उस युग की याद दिलाना है जिसने भारतीय क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया। 

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