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सरकार का बड़ा एक्शन: तीन महीने में निपटेंगे हजारों टैक्स विवाद, CBDT को मिले सख्त निर्देश

सरकार का बड़ा एक्शन: तीन महीने में निपटेंगे हजारों टैक्स विवाद, CBDT को मिले सख्त निर्देश

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है, जो करोड़ों टैक्सपेयर्स के लिए राहत की खबर लेकर आया है। 24 जुलाई 2025 को उन्होंने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी को निर्देश दिया कि वह उन सभी टैक्स अपीलों को तीन महीने के भीतर वापस ले, जो अब संशोधित मौद्रिक सीमा के तहत आती हैं। इस कदम से देश में लंबे समय से लटके टैक्स विवादों का समाधान तेजी से हो सकेगा।

बजट में हुआ था ऐलान, अब अमल में लाई जा रही योजना

2024-25 के बजट में सरकार ने डिपार्टमेंटल टैक्स अपील दाखिल करने की मौद्रिक सीमाओं को बढ़ा दिया था। इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के लिए यह सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 60 लाख रुपये कर दी गई। हाई कोर्ट के लिए इसे 1 करोड़ से 2 करोड़ और सुप्रीम कोर्ट के लिए 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपये तक किया गया।

इन नई सीमाओं की वजह से अब विभाग छोटी राशि के मामलों को अदालत में नहीं ले जाएगा। इसका सीधा फायदा यह होगा कि अदालतों पर अनावश्यक बोझ कम होगा और बड़े टैक्स विवादों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।

2024 में ही दिखने लगे थे असर

बजट के तुरंत बाद ही टैक्स विभाग ने इसके असर को लागू करना शुरू कर दिया था। वर्ष 2024 में विभाग ने 4605 अपीलें वापस ले ली थीं, जबकि 3120 नए मामले दाखिल ही नहीं किए गए, क्योंकि वे नई सीमा के तहत आते थे। इससे साफ है कि विभाग अब विवादों के बजाय समाधान की राह पर तेजी से बढ़ रहा है।

लाखों अपीलें लंबित, अब तेजी से होगा निपटारा

सरकारी आंकड़ों के अनुसार देशभर में अभी भी 5.77 लाख टैक्स अपीलें लंबित हैं। इनमें से 2.25 लाख मामलों को सरकार 2025-26 के कारोबारी साल में निपटाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। यदि यह लक्ष्य पूरा होता है तो करीब 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के टैक्स विवाद सुलझ सकते हैं।

सीतारमण ने सीबीडीटी को यह भी निर्देश दिया कि वो इन लंबित मामलों की गहराई से समीक्षा करे और यह पता लगाए कि इतनी बड़ी संख्या में मामले लंबित क्यों हैं। साथ ही टैक्सपेयर्स की शिकायतों का स्थायी हल भी खोजा जाए।

रिफंड और विवाद समाधान में तेजी के निर्देश

वित्त मंत्री ने टैक्स विभाग को यह भी कहा कि टैक्स रिफंड की प्रक्रिया को तेज किया जाए और सभी विवादित टैक्स मांगों को समयबद्ध तरीके से निपटाया जाए। इससे ना सिर्फ टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी बल्कि विभाग की छवि भी बेहतर होगी। उन्होंने यह भी कहा कि टैक्स विभाग को क्षेत्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन की लगातार समीक्षा करनी चाहिए ताकि कोई भी क्षेत्र पिछड़ न जाए।

टैक्स व्यवस्था में पारदर्शिता की ओर एक और कदम

वित्त मंत्री ने अपने भाषण में यह भी बताया कि सीबीडीटी इस समय एक नया इनकम टैक्स बिल तैयार कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस काम में करीब 60 हजार मानव-घंटे लगाए गए हैं। पुराना कानून लगभग पांच लाख शब्दों का था, जिसे अब आधा किया गया है। फिर भी यह सुनिश्चित किया गया है कि कानूनी मजबूती बनी रहे।

यह नया टैक्स बिल टैक्स व्यवस्था को सरल, स्पष्ट और आम आदमी के लिए समझने योग्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

सरकार का फोकस मुकदमेबाजी से समाधान पर

यह साफ दिख रहा है कि सरकार का फोकस अब मुकदमेबाजी से हटकर समाधान और संवाद की ओर बढ़ रहा है। पहले जहां छोटी-छोटी राशि के विवादों के लिए वर्षों तक कोर्ट के दरवाजे खटखटाए जाते थे, अब वही मामले विभाग द्वारा वापस लिए जा रहे हैं।

इससे अदालतों पर भार कम होगा, टैक्सपेयर्स की मानसिक और वित्तीय परेशानी घटेगी और विभाग का समय और संसाधन बड़े और गंभीर मामलों पर केंद्रित हो पाएगा।

सीबीडीटी की भूमिका को सराहा गया

सीतारमण ने सीबीडीटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग ने न केवल तकनीकी रूप से जटिल मसलों को सरल भाषा में पेश करने की कोशिश की है, बल्कि एक आधुनिक टैक्स प्रशासन की नींव भी रखी है। अब टैक्सपेयर्स को हर बात के लिए कोर्ट का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, क्योंकि विभाग खुद छोटे मामलों को खत्म करने की ओर बढ़ रहा है।

बदलती टैक्स संस्कृति की झलक

इस पूरे घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में टैक्स व्यवस्था अब केवल राजस्व संग्रह तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसमें नागरिक सुविधा और पारदर्शिता को भी प्राथमिकता दी जा रही है।

देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब सरकार खुद यह कह रही है कि वह ऐसे मामलों को अदालतों से वापस लेगी, जो वास्तव में विवाद के लायक नहीं हैं। यह एक नई और सकारात्मक टैक्स संस्कृति की ओर बढ़ता भारत है, जहां भरोसे और सम्मान की भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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