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Sustainable Diet क्या है? जानिए सेहतमंद रहने के आसान टिप्स

Sustainable Diet क्या है? जानिए सेहतमंद रहने के आसान टिप्स

सस्टेनेबल डाइट एक स्थायी, संतुलित और पोषणयुक्त आहार है जिसे लंबे समय तक अपनाया जा सकता है। इसमें ताज़ा फल, सब्ज़ियाँ, दालें, साबुत अनाज, प्लांट बेस्ड प्रोटीन, मौसमी और लोकल उपज शामिल होती हैं। प्रोसेस्ड फूड से बचें, मात्रा पर नियंत्रण रखें, पानी पर्याप्त पिएं और खाने की बर्बादी कम करें।

What is sustainable diet: डॉ. अल्का शर्मा के अनुसार, सस्टेनेबल डाइट किसी अल्पकालिक योजना की बजाय भोजन का ऐसा तरीका है जो वर्षों तक अपनाया जा सके। इसमें सलाद, फाइबर युक्त सब्ज़ियाँ, दाल और पौष्टिक प्रोटीन शामिल करना चाहिए। खाने की मात्रा पर नियंत्रण, मौसमी और लोकल उत्पादों का चयन, प्रोसेस्ड फूड से दूरी और पानी का सही सेवन इसे संतुलित और सेहतमंद बनाता है, जिससे शरीर लंबे समय तक पोषित रहता है।

सस्टेनेबल डाइट क्या है

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल की डायटिशियन डॉ. अल्का शर्मा बताती हैं कि सस्टेनेबल डाइट कोई अल्पकालिक भोजन योजना नहीं है। यह खाने का ऐसा तरीका है जिसे आप सालों तक आनंद से फॉलो कर सकते हैं। यह मुश्किल परहेज और एक्सट्रीम डाइटिंग के बजाय संतुलन, विविधता और संयम पर आधारित है। भारतीय भोजन संस्कृति में, जहाँ खाने का सम्मान किया जाता है, स्थायी डाइट शरीर को पोषण देने का एक प्राकृतिक तरीका है।

प्रोसेस्ड फूड से दूरी

ताज़े फल, सब्ज़ियाँ, दालें और साबुत अनाज जैसे कम प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ चुनें। ये लंबे समय तक पेट भरा रखते हैं। भुने हुए चने या मखाना जैसे स्नैक्स, दुकान से खरीदे आलू के चिप्स से बेहतर विकल्प हैं। इससे शरीर को पोषण मिलता है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

सलाद और हल्की सब्ज़ियाँ शामिल करें

भोजन की शुरुआत सलाद या हल्की पकाई सब्ज़ियों से करें। इसके बाद प्रोटीन जैसे दाल, पनीर, अंडे या मछली लें। अंत में जटिल कार्बोहाइड्रेट जैसे ब्राउन राइस, ज्वार या बाजरा खाएं। इससे शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और पेट भरा महसूस होता है।

मात्रा पर नियंत्रण रखें

अपने पसंदीदा खाने को पूरी तरह न छोड़ें, बल्कि कम मात्रा में लें। घर पर छोटी प्लेट और कटोरे इस्तेमाल करें। यह देखने में भरे हुए लगते हैं और ओवरइटिंग रोकते हैं।

प्रोटीन को बढ़ावा दें

डाइट में प्लांट बेस्ड प्रोटीन को शामिल करें। दालें, अंकुरित अनाज, बीन्स और टोफू नियमित रूप से खाने से पोषण संतुलित रहता है। भारी मांस की तुलना में यह स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।

लोकल और मौसमी उपज

ताज़गी और अधिक पोषण के लिए स्थानीय और मौसमी फल-सब्जियों का सेवन करें। गर्मियों में आम और सर्दियों में गाजर जैसी चीजें चुनें। यह न केवल ताज़ा होता है, बल्कि स्वाद और पोषण भी बढ़ाता है।

खाने की बर्बादी कम करें

अक्सर बचा हुआ खाना फेंक दिया जाता है। इसे रचनात्मक तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे कल की दाल से दाल पराठा बनाया जा सकता है या बची सब्ज़ी को होल-व्हीट रैप में लपेट सकते हैं। बचे चावल से सब्ज़ियों के साथ कटलेट बनाना भी एक अच्छा विकल्प है।

पानी और हर्बल चाय

कैमोमाइल या अदरक की हर्बल चाय में कैलोरी कम होती है। दूध वाली चाय की बजाय इन्हें लें। मीठे सोडा की जगह सादा पानी पिएं। खाना खाने से पहले थोड़ा पानी पिएं और खाने के आधे घंटे बाद ही पानी लें। इससे पाचन सही रहता है और भूख संतुलित रहती है।

पौष्टिक प्लेट का उदाहरण

एक आदर्श भारतीय भोजन कुछ इस तरह हो सकता है: एक कटोरी कचुम्बर सलाद से शुरुआत करें, उसके बाद दाल लें। फिर एक सूखी सब्ज़ी जैसे बीन्स या भिंडी और थोड़ा ब्राउन राइस या ज्वार की रोटी। इस तरह आपका भोजन संतुलित, पौष्टिक और लंबे समय तक पेट भरा रहने वाला होगा।

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