स्वच्छ भारत सर्वेक्षण 2024 के नतीजे जारी हो चुके हैं और इस बार भी इंदौर ने इतिहास रचते हुए देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने का गौरव लगातार आठवीं बार हासिल किया है। इंदौर ने इस बार यह स्थान अकेले प्राप्त किया है, जबकि पिछले साल उसने सूरत के साथ यह खिताब साझा किया था। इस बार गुजरात का सूरत दूसरे और महाराष्ट्र का नवी मुंबई तीसरे स्थान पर रहा। स्वच्छता सर्वेक्षण के ये नतीजे आज दिल्ली के विज्ञान भवन में एक समारोह में घोषित किए गए, जहां देशभर से आए प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
इस बार जनसंख्या के आधार पर बांटी गई श्रेणियां
इस साल सर्वेक्षण को अधिक व्यापक और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए शहरों को उनकी आबादी के आधार पर पांच श्रेणियों में बांटा गया था। इसमें 10 लाख से अधिक, 3 से 10 लाख, 50 हजार से 3 लाख, 20 से 50 हजार और 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों को शामिल किया गया। इस मॉडल के तहत हर आकार के शहरों को अपनी श्रेणी में प्रदर्शन का अवसर मिला। इन शहरों का मूल्यांकन नागरिक सहभागिता, ठोस कचरा प्रबंधन, शौचालयों की स्थिति, जागरूकता कार्यक्रमों और सफाई व्यवस्था जैसे मानकों पर किया गया।
इंदौर का ताज बरकरार
इंदौर की इस ऐतिहासिक उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए नगर निगम महापौर पुष्यमित्र भार्गव और नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय नई दिल्ली पहुंचे, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें सम्मानित किया। पुरस्कार मिलने के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए लिखा, सुपर स्वच्छ इंदौर, यह एक अलग दौर! राष्ट्रपति से पुरस्कार पाकर गौरवान्वित हूं। यह जीत हर नागरिक की भागीदारी का परिणाम है। उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश को अन्य श्रेणियों में भी कई पुरस्कार मिले हैं।
नोएडा और नई दिल्ली ने भी दिखाया दम
तीन से दस लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में उत्तर प्रदेश का नोएडा पहली बार शीर्ष स्थान पर रहा। चंडीगढ़ ने दूसरा, मैसूर ने तीसरा, उज्जैन ने चौथा, गांधीनगर ने पांचवां और गुंटूर ने छठा स्थान प्राप्त किया। इस सूची में नोएडा का पहला स्थान आना इस बात का संकेत है कि उत्तर भारत के शहर भी सफाई के मानकों पर खरे उतर रहे हैं।
वहीं 50 हजार से 3 लाख की आबादी वाले शहरों में नई दिल्ली ने बाजी मारी। इस कैटेगरी में तिरुपति ने दूसरा, अंबिकापुर ने तीसरा और लोनावाला ने चौथा स्थान हासिल किया। राजधानी का यह प्रदर्शन नागरिक सहभागिता और योजनाबद्ध कचरा प्रबंधन का परिणाम है।
छोटे शहरों की बड़ी कामयाबी
20 से 50 हजार की आबादी वाली श्रेणी में महाराष्ट्र का विटा पहले, सास्वद दूसरे, देवलानी परवारा तीसरे और डूंगरपुर चौथे स्थान पर रहा। वहीं, 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों में पंचगनी पहले, पाटन दूसरे, पन्हाला तीसरे, विश्रामपुर चौथे और बुदनी ने पांचवां स्थान हासिल किया। इन छोटे शहरों ने दिखाया है कि संसाधनों की सीमाओं के बावजूद मजबूत इच्छाशक्ति और सही प्रबंधन से बेहतरीन सफाई व्यवस्था बनाई जा सकती है।
स्वच्छता अभियान का असर साफ नजर आया
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के एक दशक के भीतर देशभर में इसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिल रहे हैं। चाहे बड़े शहर हों या छोटे कस्बे—हर जगह पर सफाई को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इस बार के परिणाम बताते हैं कि शहरों ने केवल सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन ही नहीं किया, बल्कि आम नागरिकों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। यही कारण है कि लगातार इंदौर जैसे शहर अव्वल बने हुए हैं और अब देश के अन्य हिस्सों के शहर भी उनकी बराबरी कर रहे हैं।