साल 2025 के शुरुआती सात महीनों में टाटा ग्रुप की दो प्रमुख कंपनियों ट्रेंट और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने निवेशकों को गहरी निराशा दी है। जहां ट्रेंट के शेयर करीब 30 प्रतिशत तक गिरे हैं, वहीं आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी टीसीएस के शेयरों में भी 25 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। इन दोनों ही कंपनियों को अब तक भरोसे का पर्याय माना जाता था, लेकिन इस साल उनका बाजार प्रदर्शन चौंकाने वाला रहा है।
ट्रेंट का गिरता शेयर, क्यों टूटी रिटेल सेक्टर की उम्मीदें
ट्रेंट लिमिटेड टाटा ग्रुप की रिटेल शाखा है, जो वेस्टसाइड और जूडियो जैसे ब्रांड्स का संचालन करती है। बीते कुछ वर्षों में ट्रेंट के शेयरों ने शानदार रिटर्न दिया था। रिटेल सेक्टर में कंपनी की पकड़ मजबूत मानी जाती है और इसने कोविड के बाद तेजी से ग्रोथ भी दिखाई थी।
लेकिन 2025 की पहली छमाही में ट्रेंट के शेयर करीब 30 प्रतिशत तक टूट गए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इसकी वजह उपभोक्ता खर्च में आई सुस्ती, महंगाई का असर और रियल एस्टेट किराए में बढ़ोतरी जैसे फैक्टर रहे हैं। इसके अलावा कंपनी के स्टोर्स विस्तार की रफ्तार धीमी हुई है, जिससे निवेशकों की उम्मीदों को झटका लगा।
टीसीएस का कमजोर प्रदर्शन, आईटी सेक्टर की चुनौती
टीसीएस, देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा देने वाली कंपनी है। इसे भारत ही नहीं, बल्कि ग्लोबल स्तर पर भी सबसे भरोसेमंद टेक कंपनियों में गिना जाता है। लेकिन इस साल इसके शेयरों में भी 25 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली है।
आईटी सेक्टर पर वैश्विक मंदी और अमेरिका तथा यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों में खर्चों में कटौती का गहरा असर पड़ा है। बड़ी कंपनियां अपने तकनीकी बजट में कटौती कर रही हैं, जिससे टीसीएस जैसी कंपनियों के लिए नए प्रोजेक्ट्स हासिल करना मुश्किल हो गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बना परेशानी की वजह
टीसीएस को एक और झटका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से मिला है। दुनिया भर की कंपनियां अब एआई आधारित ऑटोमेशन की तरफ तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे पारंपरिक आईटी सेवाओं की मांग घटती जा रही है। इससे टीसीएस जैसे कंपनियों को अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव की जरूरत महसूस हो रही है, लेकिन बदलाव की यह प्रक्रिया धीमी है और निवेशकों की चिंता बढ़ा रही है।
कर्मचारी छंटनी और कमजोर तिमाही नतीजों ने बढ़ाई मुश्किल
टीसीएस ने हाल ही में लगभग 12 हजार कर्मचारियों की छंटनी का फैसला लिया है। यह कंपनी के इतिहास में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही कंपनी के अप्रैल-जून तिमाही के नतीजे भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए हैं। इन आंकड़ों ने निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया है।
ब्रोकरेज हाउसेज ने घटाया शेयर का लक्ष्य मूल्य
कई बड़ी ब्रोकरेज फर्मों ने टीसीएस के लिए अपने टारगेट प्राइस में कटौती की है। एलारा कैपिटल ने पहले 3820 रुपये का लक्ष्य रखा था, जिसे अब घटाकर 3780 रुपये कर दिया है। उनका कहना है कि कंपनी की कमाई और मुनाफा दोनों पर दबाव बना हुआ है।
दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैक्स ने टीसीएस की रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया है, जो इस बात का संकेत है कि ग्लोबल निवेशक भी कंपनी के प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं।
प्रबंधन ने जताया भविष्य में सुधार का भरोसा
हालांकि टीसीएस के प्रबंधन का कहना है कि वित्त वर्ष 2025-26 में कंपनी का अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन बेहतर रहने की संभावना है। उनका यह भी मानना है कि यदि वैश्विक हालात में कुछ सुधार होता है, तो साल की दूसरी तिमाही में परिणाम बेहतर हो सकते हैं।
बाजार में ट्रेंट को लेकर भी चिंताएं बरकरार
जहां टीसीएस का खराब प्रदर्शन वैश्विक हालात से जुड़ा है, वहीं ट्रेंट के मामले में घरेलू बाजार की कमजोरी अहम कारण रही है। रिटेल सेगमेंट में ऑनलाइन खरीदारी का बढ़ता चलन और प्रतिस्पर्धा भी ट्रेंट की बिक्री पर असर डाल रही है। कंपनी की विस्तार नीति पर भी विश्लेषकों की नजर बनी हुई है।
निवेशकों की कमाई पर पड़ा असर
इन दोनों कंपनियों के गिरते शेयरों का सीधा असर खुदरा निवेशकों की कमाई पर पड़ा है। कई निवेशक जिन्होंने ट्रेंट और टीसीएस को सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश माना था, उन्हें इस गिरावट में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है।
आईटी सेक्टर की सुस्ती बनी चुनौती
पूरे आईटी सेक्टर की बात करें तो 2025 की शुरुआत से ही यह सुस्ती का शिकार रहा है। टीसीएस के अलावा इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल जैसी कंपनियों के शेयर भी दबाव में रहे हैं। इसका प्रमुख कारण अमेरिका और यूरोप की कंपनियों द्वारा खर्चों में कटौती और वैश्विक स्तर पर धीमी आर्थिक गतिविधियां रही हैं।