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त्रिकोणीय खतरे की दस्तक: CDS अनिल चौहान ने चीन-पाक-बांग्लादेश की नजदीकी पर जताई चिंता 

त्रिकोणीय खतरे की दस्तक: CDS अनिल चौहान ने चीन-पाक-बांग्लादेश की नजदीकी पर जताई चिंता 

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने चेतावनी दी है कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की बढ़ती नजदीकी भारत की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकती है, खासकर हिंद महासागर और सीमावर्ती क्षेत्रों में।

चीन‑पाक‑बांग्लादेश गठजोड़: भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को राजधानी में एक प्रतिष्ठित थिंक‑टैंक कार्यक्रम के दौरान कहा कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की परस्पर बढ़ती नज़दीकी भारत की सामरिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर सकती है। उनका भाषण ऐसे समय आया है जब दक्षिण एशिया में आर्थिक और राजनैतिक बदलाओं ने नई महाशक्तियों को पैर पसारने का अवसर दे दिया है।

बदलता भू‑राजनीतिक समीकरण

जनरल चौहान के अनुसार, बीते आधे दशक में चीन‑पाकिस्तान रक्षा सहयोग तेज़ी से गहराया है। पाकिस्तान ने इस अवधि में अपनी 70–80 फ़ीसदी सैन्य ज़रूरतें बीजिंग से पूरी की हैं। हथियार आपूर्ति के साथ‑साथ चीनी रक्षा कंपनियों की 'वाणिज्यिक देनदारियाँ'—यानी लॉजिस्टिक सपोर्ट, तकनीकी अपग्रेड और लोन—से इस साझेदारी को दीर्घकालिक आयाम मिला है। बांग्लादेश को लेकर उन्होंने कहा कि ढाका की आर्थिक महत्वाकांक्षाएँ और ढांचागत विकास लक्ष्यों ने उसे चीनी कर्ज़ व निवेश की ओर झुका दिया है, जिससे संभावित ‘त्रिकोणीय तालमेल’ बनता दिख रहा है।

दो परमाणु‑शक्ति राष्ट्रों की सीधी भिड़ंत का उदाहरण

चौहान ने कश्मीर घाटी के पहलगाम आतंकी हमले (6 मई) के बाद 7–10 मई के बीच भारत‑पाकिस्तान के बीच हुई सीमित सैन्य झड़प—जिसे सेना ने ‘ऑपरेशन सिन्धूर’ नाम दिया—का उल्लेख किया। उनका कहना था, 'यह संभवतः पहला मौका है जब दो परमाणु‑सम्पन्न देश पारम्परिक मोर्चे पर आमने‑सामने आए।' यह घटना भविष्य के लिए चेतावनी है कि क्षेत्रीय तनाव अप्रत्याशित रूप से परमाणु छतरी के नीचे भी उभर सकते हैं।

हिंद महासागर में बाहरी हस्तक्षेप का बढ़ता दबाव

सीडीएस ने खास तौर पर हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) का ज़िक्र किया, जहाँ श्रीलंका, मालदीव और कुछ अफ्रीकी तटीय देशों के आर्थिक संकटों ने 'बाहरी शक्तियों'—मुख्यतः चीन—को बंदरगाह परियोजनाओं व कर्ज़ के सहारे प्रभाव बढ़ाने का मौका दिया है। उनका तर्क था कि यदि ये रुझान जारी रहे, तो भारत की समुद्री संचार लाइनें (Sea‑Lines of Communication) और आपूर्ति शृंखलाएँ आंशिक रूप से नियंत्रण से बाहर जा सकती हैं।

नई चुनौती के पाँच आयाम

  • सामरिक समन्वय: उत्तरी (चीन) व पश्चिमी (पाकिस्तान) सीमाओं के साथ‑साथ पूर्व में बांग्लादेश को भी ध्यान में रखने वाला ‘एकीकृत थियेटर कमांड’ मॉडल।
  • प्रौद्योगिकीय प्रतिस्पर्धा: 5G से लेकर साइबर सुरक्षा तक, चीन‑निर्मित नेटवर्क की पैठ को संतुलित करने के लिए स्वदेशी एवं मित्र देशों की तकनीक पर ज़ोर।
  • नैरेटिव वॉरफ़ेयर: सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों पर गलत जानकारी रोकने हेतु ‘इन्फ़ो‑गार्ड’ तंत्र का विस्तार।
  • आर्थिक‑कूटनीतिक निवेश: बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका व IOR देशों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को तेज़ गति से पूरा करना।
  • सतत निगरानी: अंतरिक्ष, ड्रोन और पनडुब्बी‑रोधी क्षमता में उन्नत सेंसिंग नेटवर्क।

बांग्लादेश—कड़ी या अवसर?

विश्लेषकों के अनुसार, ढाका के साथ लंबे समय से चले आ रहे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध भारत के लिए ‘ब्रिज‑बिल्डिंग’ अवसर भी हैं। चौहान ने सुझाया कि ऊर्जा साझेदारी, जल‑प्रबंधन और कौशल विकास योजनाएँ बांग्लादेश के साथ भरोसा पुनर्स्थापित कर सकती हैं, जिससे संभावित त्रिकोणीय गठजोड़ की धार कुंद हो सकती है।

सरकार के अगले क़दम

रक्षा मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि स्वदेशी युद्धपोत निर्माण, लंबी दूरी के ड्रोन प्रोग्राम और सेना के ‘इंटरनेट ऑफ़ बैटल‑थिंग्स’ प्रोटोटाइप को ‘मिशन मोड’ में रखा गया है। साथ‑साथ ‘सागर सुरक्षा पहल’ के तहत भारतीय नौसेना के गश्ती ऑपरेशन में 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव भी विचाराधीन है।

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