अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेंटागन को तुरंत परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है। यह कदम रूस और चीन की बढ़ती परमाणु क्षमताओं के मद्देनजर अमेरिका की सामरिक शक्ति बनाए रखने के लिए उठाया गया।
America: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेंटागन को तुरंत परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब रूस और चीन अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि अगले पांच वर्षों में रूस और चीन अमेरिका की बराबरी कर सकते हैं। उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि अमेरिका अपनी सामरिक शक्ति बनाए रखने के लिए कदम उठा रहा है।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात से पहले निर्णय
यह आदेश ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ दक्षिण कोरिया में मुलाकात से ठीक पहले दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों को देखते हुए, उन्होंने युद्ध विभाग को निर्देश दिया है कि अमेरिका के परमाणु हथियारों का परीक्षण समान आधार पर तुरंत शुरू किया जाए। यह कदम अमेरिका की सामरिक स्थिति को मजबूत करने और दुनिया के अन्य परमाणु शक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखने के लिए माना जा रहा है।
ट्रंप का बयान और चिंता

ट्रंप ने स्पष्ट किया, "रूस दूसरे स्थान पर है और चीन तीसरे स्थान पर है, लेकिन अगले पांच वर्षों में वे अमेरिका के बराबर पहुंच सकते हैं।" उनके इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका को चीन और रूस की बढ़ती ताकत की चिंता है। ट्रंप का यह कदम अमेरिका की परमाणु क्षमता को अद्यतन करने और तकनीकी श्रेष्ठता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
रूस ने किया पोसाइडन सुपर टॉरपीडो का परीक्षण
हाल ही में रूस ने पोसाइडन परमाणु-संचालित सुपर टॉरपीडो का सफल परीक्षण किया है। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह हथियार तटीय क्षेत्रों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने में सक्षम है और इसके विस्फोट से विशाल रेडियोधर्मी समुद्री लहरें पैदा होती हैं। यह हथियार रूस की समुद्री परमाणु क्षमताओं को और मजबूत करता है और अमेरिका के लिए चुनौती पैदा करता है।
रूस ने अन्य परमाणु परीक्षण भी किए
रूस ने 21 अक्टूबर को बुरेवेस्टनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया और 22 अक्टूबर को परमाणु प्रक्षेपण अभ्यास किया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया ताकि रूस की परमाणु ताकत का संदेश दिया जा सके। पुतिन के इस कदम और ट्रंप के परमाणु परीक्षण के आदेश से स्पष्ट होता है कि विश्व की प्रमुख शक्तियां अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ाने और अन्य देशों को संदेश देने की रणनीति अपना रही हैं।
अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में किया था परीक्षण
संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने आखिरी परमाणु हथियार परीक्षण 1992 में किया था। परमाणु परीक्षण से यह सुनिश्चित किया जाता है कि नए हथियार प्रभावी हैं और पुराने हथियार अभी भी कार्य कर रहे हैं। तकनीकी डेटा के अलावा, यह अमेरिका की सामरिक शक्ति का वैश्विक प्रदर्शन भी माना जाता है।













