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ट्रंप सरकार की टैरिफ पॉलिसी पर सवाल, जनता ने बढ़ती कीमतों को लेकर जताई चिंता

ट्रंप सरकार की टैरिफ पॉलिसी पर सवाल, जनता ने बढ़ती कीमतों को लेकर जताई चिंता

सर्वे में सामने आया है कि अमेरिका में ट्रंप सरकार की टैरिफ नीति के कारण रोजमर्रा के खर्च बढ़ गए हैं। 65% नागरिकों का मानना है कि किराना, बिजली, पानी और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे घरेलू बजट पर दबाव बढ़ा है।

Trump Tariff: अमेरिका में किए गए एबीसी न्यूज, वॉशिंगटन पोस्ट और इप्सोस के संयुक्त सर्वे में यह बात सामने आई है कि बड़ी संख्या में अमेरिकी नागरिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के असर को अपने दैनिक जीवन में महसूस कर रहे हैं। सर्वे के अनुसार, लगभग 65 प्रतिशत अमेरिकी नागरिकों का मानना है कि टैरिफ की वजह से चीजों की कीमत बढ़ी है और जीवन यापन महंगा हो गया है। यह आंकड़ा यह संकेत देता है कि जो नीति अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत और समृद्ध बनाने के उद्देश्य से लागू की गई थी, वह अब जनता के उलट असर के रूप में सामने आ रही है।

टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को सुरक्षा देना और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना बताया गया था। लेकिन वास्तविकता में इसका प्रभाव सीधे तौर पर रोजमर्रा की खर्च सूची पर दिख रहा है। खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर बिजली-पानी और घर चलाने की अन्य आवश्यकताओं पर इसका असर स्पष्ट रूप से महसूस किया जा रहा है।

दैनिक जीवन पर टैरिफ का बढ़ता दबाव

सर्वे में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि दस में से सात अमेरिकी नागरिकों ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष उन्हें किराने के सामान पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है। यह स्थिति सिर्फ खाद्य पदार्थों तक सीमित नहीं है। सर्वे के अनुसार, दस में से छह लोगों ने दावा किया कि उनके बिजली और पानी के बिलों में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, दस में से चार नागरिकों ने स्वास्थ्य सेवाओं, आवास और ईंधन जैसी बुनियादी जरूरतों की कीमतों में भी बढ़ोतरी की बात स्वीकार की।

इसका मतलब है कि टैरिफ नीति ने सामान्य परिवारों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। ऐसे परिवार, जिनकी आय सीमित है या जो पहले ही वित्तीय संतुलन बनाए रखने में संघर्ष कर रहे थे, उन्हें अब और अधिक आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। सबसे अधिक असर उन लोगों पर हो रहा है जिन्हें हर महीने घरेलू बजट को संतुलित करके चलाना पड़ता है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और स्वीकारोक्ति

सर्वे में केवल आम नागरिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी इस स्थिति को लेकर सहमत दिखाई दिए हैं। आंकड़ों के अनुसार, 89 प्रतिशत डेमोक्रेट, 73 प्रतिशत इंडिपेंडेंट और 52 प्रतिशत रिपब्लिकन नेताओं ने भी यह माना कि किराने की वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि मुद्दा केवल विपक्ष या समर्थन का नहीं है। यह आर्थिक प्रभाव वास्तव में व्यापक और वास्तविक है।

भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ

टैरिफ नीति का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी स्पष्ट रूप से दिख रहा है। ट्रंप प्रशासन ने कई देशों पर भारी आयात शुल्क लगाया, जिनमें भारत भी शामिल है। शुरुआत में भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था। इसके बाद वर्ष 2025 के अगस्त महीने में इस शुल्क को 25 प्रतिशत अतिरिक्त बढ़ाकर कुल 50 प्रतिशत कर दिया गया। यह टैरिफ भारत द्वारा रूस से किए गए तेल खरीद के कारण लगाया गया था। ट्रंप प्रशासन ने इसे रूस की युद्ध क्षमता को ईंधन देने वाली कार्रवाई बताया।

इस टैरिफ ने भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर सीधा असर डाला है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, मई से सितंबर 2025 के बीच अमेरिका को भारत का निर्यात 37.5 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 8.8 अरब डॉलर से घटकर 5.5 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट हाल के समय में सबसे बड़ी अल्पकालिक व्यापारिक कमी में गिनी गई है।

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