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Trump Tariffs: अमेरिका ने टैरिफ कम करने से किया इंकार, भारत का व्यापार प्रस्ताव नहीं हुआ मंजूर

Trump Tariffs: अमेरिका ने टैरिफ कम करने से किया इंकार, भारत का व्यापार प्रस्ताव नहीं हुआ मंजूर

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में शुल्क और कृषि बाजार पहुंच को लेकर मतभेद बने हुए हैं। अमेरिका भारत से प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत शुल्क कम करने को तैयार नहीं है, जबकि भारत अपने डेरी और कृषि उत्पादों के लिए हिचक रहा है। इस वजह से समझौते को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है।

Trump Tariffs: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में शुल्क और बाजार पहुंच को लेकर असहमति है। अमेरिका भारत से अपने मौजूदा 25% ‘जवाबी शुल्क’ को कम करके पड़ोसी एशियाई देशों के स्तर तक लाने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत डेरी और कृषि उत्पादों के मामले में हिचक रहा है। इस कारण दोनों देशों के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। भारतीय वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल वॉशिंगटन में वार्ता कर रहे हैं।

अमेरिका का रुख और भारत की हिचक

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “हम हर देश के साथ उसकी शर्तों के अनुसार वार्ता कर रहे हैं। हमारी कार्रवाई इस पर निर्भर करेगी कि भारत क्या करना चाहता है। क्या भारत सभी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क को शून्य स्तर तक ला सकता है? यह संभव है, लेकिन फिलहाल ऐसा लग नहीं रहा।”

भारत अपने डेरी और कृषि बाजारों को खोलने में हिचक रहा है। यह मुद्दा व्यापार वार्ता में प्रमुख बाधा बना हुआ है। अमेरिकी पक्ष सोयाबीन, मक्का और डेरी उत्पादों में बाजार पहुंच चाहता है। भारत 15 फीसदी शुल्क का लक्ष्य बनाए हुए है, जिससे उसके श्रम आधारित उत्पाद अन्य एशियाई देशों की तुलना में अमेरिका के लिए प्रतिस्पर्धात्मक बने रहें।

वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय व्यापार वार्ताकार वॉशिंगटन में हैं। उनका लक्ष्य बाकी के मतभेदों को सुलझाकर दोनों पक्षों के लिए लाभकारी समाधान निकालना है।

इंडोनेशिया का उदाहरण

अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के तहत अपने शुल्क को घटाने में इंडोनेशिया ने सभी क्षेत्रों में 99 प्रतिशत से अधिक अमेरिकी उत्पादों पर तरजीही आधार पर शुल्क बाधाएं खत्म कर दी हैं। इसमें कृषि उत्पाद, स्वास्थ्य से जुड़े उत्पाद, समुद्री खाद्य वस्तुएं, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, मोटर वाहन और रसायन शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, इस तरह के कदम से अमेरिका में उच्च-गुणवत्ता वाली नौकरियों में मदद मिलेगी और अमेरिकी निर्यात के लिए व्यावसायिक अवसर बढ़ेंगे।

तेल आयात और शुल्क विवाद

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल की खरीद धीरे-धीरे बंद कर देगा। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ऊर्जा आयात नीतियां पूरी तरह भारतीय उपभोक्ताओं के हितों के आधार पर तय होती हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि दोनों नेताओं के बीच बुधवार को कोई टेलीफोन वार्ता नहीं हुई थी।

अमेरिका ने अगस्त महीने में भारत पर 25 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया था। रूस से तेल की खरीद के कारण अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क लगाया गया, जिससे कुल शुल्क 50 फीसदी हो गया। इसके बाद प्रस्तावित व्यापार समझौते की शर्त रखी गई कि भारत रूस से तेल खरीद बंद करने का आश्वासन दे।

व्यापार घाटा और निर्यात पर असर

सितंबर में अमेरिकी शुल्क की वजह से भारतीय वस्तुओं का निर्यात प्रभावित हुआ। अधिकांश उत्पादों पर 50 फीसदी शुल्क के चलते भारत का अमेरिका निर्यात 20.3 फीसदी घटकर 5.5 अरब डॉलर रह गया। यह लगातार चौथी मासिक गिरावट है।

अग्रवाल ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ दोनों पक्षों के लिए फायदे वाला समाधान तलाश रहा है। उनका कहना है कि ‘शुल्क मुद्दा’ सुलझाना प्राथमिकता है। भारत अमेरिका से अपनी मौजूदा ऊर्जा खरीद को लगभग दोगुना करने को लेकर भी उत्सुक है।

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