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Tsar Bomba: दुनिया का सबसे ताकतवर परमाणु हथियार, जानें इसकी खासियत

Tsar Bomba: दुनिया का सबसे ताकतवर परमाणु हथियार, जानें इसकी खासियत

अब तक का सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन बम था, जिसे 1961 में सोवियत संघ ने परीक्षण के लिए बनाया था। इसकी ताकत हिरोशिमा बम से 3,300 गुना अधिक थी। इसका उद्देश्य सैन्य नहीं, बल्कि दुनिया को सोवियत शक्ति दिखाना था।

Tsar Bomba: जब भी हम परमाणु हथियारों की बात करते हैं, तो हिरोशिमा और नागासाकी का जिक्र सबसे पहले आता है। लेकिन अगर कोई ऐसा बम है, जिसने इन दोनों शहरों पर गिराए गए बमों को भी छोटा और कमजोर साबित कर दिया, तो वह है Tsar Bomba—दुनिया का अब तक का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम।

क्या है Tsar Bomba?

Tsar Bomba (आरडीएस-220) सोवियत संघ द्वारा 1961 में तैयार किया गया एक हाइड्रोजन बम था, जिसे शीत युद्ध के तनावपूर्ण दौर में विकसित किया गया था। इसे "किंग ऑफ बॉम्ब्स" यानी "बमों का सम्राट" कहा जाता है। यह बम एक प्रदर्शन और शक्ति प्रदर्शन के तौर पर बनाया गया था, ताकि दुनिया को सोवियत संघ की परमाणु ताकत का अहसास हो।

Tsar Bomba का वजन लगभग 27 टन था और यह करीब 26 फीट लंबा था। इसे इतनी सावधानी से तैयार किया गया था कि इसे ले जाने के लिए TU-95 बमवर्षक विमान में विशेष बदलाव करने पड़े थे।

कहां और कब किया गया परीक्षण?

30 अक्टूबर 1961 को आर्कटिक महासागर में स्थित नोवाया ज़ेमल्या द्वीप समूह पर इसका परीक्षण किया गया। परीक्षण के लिए इस बम को 55 किलोमीटर ऊंचाई पर हवा में ही विस्फोटित किया गया, ताकि ज़मीन पर अधिक विनाश न हो। इसके बावजूद इसकी धमक इतनी थी कि हजारों किलोमीटर दूर तक असर देखा गया।

कितना ताकतवर था Tsar Bomba?

Tsar Bomba की ताकत 50 मेगाटन TNT के बराबर थी। तुलना करें तो हिरोशिमा पर गिराया गया बम सिर्फ 15 किलोटन था, यानी Tsar Bomba उससे करीब 3,300 गुना ज्यादा ताकतवर था।

मूल रूप से यह बम 100 मेगाटन क्षमता के साथ डिज़ाइन किया गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसके रेडिएशन प्रभाव को कम करने के लिए इसे आधा कर दिया। फिर भी, यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा और भयंकर परमाणु परीक्षण था।

विस्फोट के असर कुछ इस प्रकार थे:

  • 1000 किलोमीटर दूर तक इसकी धमक महसूस की गई।
  • 900 किलोमीटर दूर तक इमारतों की खिड़कियां टूट गईं।
  • बादल की ऊंचाई 60 किलोमीटर तक पहुंच गई।
  • विस्फोट की चमक 1000 किलोमीटर दूर तक देखी गई।

किस तकनीक पर आधारित था ये बम?

Tsar Bomba एक थर्मोन्यूक्लियर हथियार था, जिसे हाइड्रोजन बम भी कहा जाता है। इसकी तकनीक बेहद जटिल और तीन चरणों में विभाजित थी:

  1. पहला चरण (फिशन या विखंडन): इसमें यूरेनियम या प्लूटोनियम का विखंडन करके अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। यही प्रक्रिया साधारण एटॉमिक बम में होती है।
  2. दूसरा चरण (फ्यूजन या संलयन): पहले चरण की गर्मी और दबाव से ड्युटीरियम और ट्रिटियम जैसे हाइड्रोजन आइसोटोप में फ्यूजन की प्रक्रिया शुरू होती है, जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
  3. तीसरा चरण: इसमें फिर से फिशन किया जाता है, लेकिन Tsar Bomba में इस चरण को नियंत्रित करने के लिए यूरेनियम की जगह सीसा प्रयोग किया गया, ताकि रेडियोधर्मी प्रभाव कम हो।

इस डिजाइन का मकसद अधिकतम विस्फोटक ऊर्जा पैदा करना था, लेकिन साथ ही इसके रेडियोएक्टिव प्रभाव को कम करना भी जरूरी था, ताकि अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचा जा सके।

क्यों बनाया गया था Tsar Bomba?

Tsar Bomba का उद्देश्य सैन्य इस्तेमाल नहीं था। इसे एक राजनीतिक संदेश देने के लिए बनाया गया था—अमेरिका और बाकी दुनिया को यह दिखाना कि सोवियत संघ कितनी विनाशकारी तकनीक का मालिक है। शीत युद्ध के उस दौर में यह शक्ति प्रदर्शन ही सबसे बड़ी जरूरत बन गया था।

क्या Tsar Bomba दोबारा बन सकता है?

आज के समय में ऐसी बड़ी परमाणु ताकत बनाने की जरूरत नहीं रह गई है, क्योंकि आधुनिक परमाणु हथियार छोटे, मोबाइल और ज्यादा स्मार्ट हो चुके हैं। हालांकि, Tsar Bomba जैसा बम दोबारा बनाना तकनीकी रूप से संभव है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय परमाणु संधियों और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के चलते ऐसा कोई कदम उठाना लगभग नामुमकिन है।

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