हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया और यहां तक कि उसे ड्रोन जैसे सैन्य उपकरण भी मुहैया कराए। इस कदम ने भारतीय नागरिकों की भावनाओं को आहत किया है। नतीजतन, अब देशभर में Turkey Boycott की लहर तेज हो गई है। भारतीयों ने न सिर्फ तुर्की की यात्रा करने से इनकार किया है, बल्कि व्यापारिक रिश्तों को भी पूरी तरह खत्म करने का संकल्प लिया है। जनता का संदेश साफ है – जो देश दुश्मन का साथ दे, उसका स्वागत नहीं!
नई दिल्ली: हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हालात युद्ध जैसे बन गए थे, जहां दोनों देशों के बीच ड्रोन हमले तक हुए। इसी दौरान यह चौंकाने वाली खबर सामने आई कि पाकिस्तान को हमले के लिए ड्रोन तुर्की ने भेजे हैं। यह वही तुर्की है जिसे भारत ने समय-समय पर मदद पहुंचाई है।
तुर्की के इस कदम को अब भारतीय जनता दोस्ती में विश्वासघात मान रही है। लोग खुलकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और तुर्की के ट्रेवल और ट्रेड का देशव्यापी बहिष्कार शुरू हो चुका है। अब यह विवाद सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि जन-आंदोलन का रूप ले चुका है।
ट्रेवल बैन से तुर्की की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका
तुर्की की अर्थव्यवस्था में भारतीय पर्यटकों का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। पिछले छह दिनों में भारत से तुर्की और अजरबैजान की यात्राओं की लगभग 50-60% बुकिंग कैंसिल हो चुकी है।
एमएमटी के प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय जनता ने तुर्की का पूरा बहिष्कार कर दिया है। उन्होंने कहा, "हम अपने देश और सेना के साथ पूरी ताकत से खड़े हैं और तुर्की-अजरबैजान ट्रेवल बुकिंग कैंसिलेशन का समर्थन करते हैं।" इसी वजह से अपने प्लेटफॉर्म पर तुर्की और अजरबैजान से जुड़ी सभी ट्रेवल ऑफर भी स्थगित कर दी गई हैं।
JNU ने भी लिया सख्त फैसला – तुर्की के साथ सभी संबंध खत्म
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) ने तुर्की के खिलाफ अपनी स्पष्ट सहमति जताते हुए इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ चल रहे सभी करार समाप्त कर दिए हैं।
JNU ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा,
“Nation First — हम हमेशा अपने देश के साथ हैं।”
कैट ने बहिष्कार अभियान को बनाया और मजबूत, तुर्की-अज़रबेजान-चीन पर सख्त रुख
भारत के प्रमुख व्यापार संगठन, कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीन, तुर्की और अज़रबेजान का बहिष्कार करने की अपील की है। कैट का आरोप है कि इन देशों ने पाकिस्तान को खुलकर समर्थन दिया है, जिसके चलते व्यापारियों ने इस पर कड़ा विरोध जताया है।
कैट ने ट्रैवल और टूर ऑपरेटर्स संगठनों के साथ मिलकर इस बहिष्कार अभियान को व्यापक स्तर पर फैलाने का संकल्प लिया है। इसके लिए वे अन्य संबंधित संगठनों और वर्गों से भी संपर्क कर इस मुहिम को और तेज करेंगे।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि 2024 में तुर्की में कुल विदेशी पर्यटकों की संख्या 62.2 मिलियन थी, जिनमें से करीब 3 लाख भारतीय पर्यटक थे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत के बहिष्कार का तुर्की की टूरिज्म इंडस्ट्री पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
तुर्की के ट्रेड पर बड़ा झटका – भारत ने ठोका आयात पर ब्रेक
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने तुर्की से कुल 2,482 वस्तुओं का आयात किया था, जिसकी कुल कीमत लगभग 3.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। इसमें नमक और प्लास्टरिंग सामग्री (235 मिलियन डॉलर), अकार्बनिक रसायन (188 मिलियन डॉलर), खनिज ईंधन और तेल (1.8 बिलियन डॉलर), परमाणु रिएक्टर के पुर्जे (311 मिलियन डॉलर), प्राकृतिक और कीमती मोती (132 मिलियन डॉलर), तथा पशु उत्पाद (149 मिलियन डॉलर) शामिल हैं।
हालांकि, अब भारतीय व्यापारियों ने तुर्की से सेब सहित कई उत्पादों का आयात रोक दिया है। व्यापारियों का कहना है कि तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन सप्लाई कर भारत के खिलाफ सहयोग किया है। इस ट्रेड और ट्रेवल बहिष्कार का तुर्की की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की पूरी संभावना है।