उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल हत्याकांड से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। इस हत्याकांड के आरोपी जावेद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने से इनकार कर दिया है।
राजस्थान: उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल हत्याकांड से जुड़ी न्यायिक प्रक्रिया में नया मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपी जावेद को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को बरकरार रखने का फैसला सुनाया और एनआईए तथा कन्हैयालाल के बेटे की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा जमानत दी गई थी, उस पर हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट की जमानत टिप्पणियाँ ट्रायल की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं डालेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि बाकी आरोपी इस मामले में जावेद का हवाला देकर जमानत का दावा नहीं कर सकते। कोर्ट के इस निर्णय से आरोपी जावेद को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन यह राहत ट्रायल प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं डालेगी।
कन्हैयालाल हत्याकांड का पूरा विवरण
यह खौफनाक घटना 28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर में हुई थी। दो अज्ञात लोगों ने कन्हैयालाल का सिर कलम कर दिया और घटना का वीडियो बनाकर ऑनलाइन प्रसारित किया। कन्हैयालाल, जो कि एक स्थानीय टेलर थे, अपनी दुकान पर ही इस घटना का शिकार बने। इस हत्याकांड के पीछे सामाजिक और धार्मिक विवाद को जोड़ा गया। दरअसल, उस समय बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान को लेकर देश में तनाव की स्थिति थी। '
कन्हैयालाल ने कथित रूप से नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया था, जिसके बाद उन्हें धमकियाँ मिलने लगी थीं। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश फैलाया और राज्य प्रशासन को अलर्ट मोड में आने पर मजबूर किया। हिंदू समुदाय में इस हत्या को लेकर गहरी नाराजगी भी देखी गई।
राजस्थान हाई कोर्ट ने आरोपी जावेद को जमानत दी
इस हत्याकांड के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने आरोपी जावेद को जमानत दी थी। इसके बाद एनआईए और कन्हैयालाल के बेटे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें जमानत रद्द करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत टिप्पणियाँ फैसले की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करेंगी। इस फैसले से आरोपी जावेद फिलहाल जमानत पर हैं, लेकिन उनके खिलाफ ट्रायल प्रक्रिया जारी रहेगी।