उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा-एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और इंडिया ब्लॉक के बी सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है। बीजद, SAD और बीआरएस ने मतदान का बहिष्कार किया। बहुमत और राजनीतिक असर पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
VP Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों में मतदान जारी है। इस बार मुकाबला सीपी राधाकृष्णन और बी सुदर्शन रेड्डी के बीच है। सीपी राधाकृष्णन सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार हैं, जबकि बी सुदर्शन रेड्डी को इंडिया ब्लॉक का समर्थन प्राप्त है। चुनाव का परिणाम मंगलवार शाम तक आने की संभावना है।
हालांकि, इस चुनाव में तीन महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों ने मतदान का बहिष्कार करने का फैसला किया है। बहिष्कार के चलते उपराष्ट्रपति चुनाव में नंबर गेम प्रभावित हो सकता है। आइए जानते हैं कि कौन हैं ये तीन दल और उन्होंने मतदान से दूरी क्यों बनाई।
बीजू जनता दल का बहिष्कार: राष्ट्रीय स्तर पर बराबर दूरी
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजू जनता दल (बीजद) ने उपराष्ट्रपति चुनाव से अपने सांसदों को दूर रहने का निर्देश दिया है। पार्टी का कहना है कि यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों से समान दूरी बनाए रखने की नीति के तहत लिया गया है।
राज्यसभा में बीजद के सात सांसद हैं। ये सांसद हैं निरंजन बिशी, सुलता देव, मुजीबुल्ला खान, सुभाशीष खुंटिया, मानस रंजन मंगराज, सस्मित पात्रा और देबाशीष सामंतराय। लोकसभा में बीजद का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव स्वीकार नहीं करेंगे और अपने नीति अनुसार उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहेंगे।
शिरोमणि अकाली दल की शिकायतें: पंजाब बाढ़ और मदद का अभाव
शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाई है। पार्टी का कहना है कि राज्य में आई अभूतपूर्व बाढ़ के दौरान न केंद्र सरकार ने मदद की और न ही पंजाब में सत्तारूढ़ पार्टी ने पर्याप्त सहयोग दिया।
पार्टी ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राज्य का लगभग एक-तिहाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ है। घर और फसलें पूरी तरह से तबाह हो गई हैं। अकाली दल ने कहा कि यह पंजाब सरकार की लापरवाही और अक्षमता के कारण हुई मानव-निर्मित त्रासदी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल अकाली दल की इकलौती सांसद हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बाढ़ से पीड़ित पंजाबियों के लिए सरकार की उदासीनता के चलते पार्टी ने चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया।
भारत राष्ट्र समिति का बहिष्कार: तेलंगाना के किसानों की पीड़ा
तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव से अपने सांसदों को दूर रखा। पार्टी का बहिष्कार कारण था राज्य में यूरिया की कमी और किसानों की पीड़ा।
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने कहा कि बीआरएस ने पिछले 20 दिनों से राज्य और केंद्र सरकार को यूरिया की कमी के बारे में चेतावनी दी थी। बावजूद इसके कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विरोध स्वरूप और 71 लाख तेलंगाना किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए बीआरएस ने चुनाव में भाग नहीं लेने का फैसला किया।
राज्यसभा में बीआरएस के चार सांसद हैं: दामोदर राव दिवाकोंडा, बी पार्थसारधि रेड्डी, केआर सुरेश रेड्डी और रवि चंद्र वड्डीराजू। लोकसभा में पार्टी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
मतदान प्रक्रिया: संसद में कैसे हो रहा चुनाव
उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के माध्यम से होता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सांसद शामिल होते हैं। इस बार निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य हैं। इसमें 543 लोकसभा और 245 राज्यसभा के सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य भी मतदान के पात्र हैं।
हालांकि, वर्तमान में कुछ सीटें खाली हैं। राज्यसभा में छह और लोकसभा में एक सीट खाली होने के कारण इस चुनाव में कुल 781 निर्वाचक हैं। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 391 वोट बनता है।
वोटिंग प्रक्रिया गुप्त होती है और सांसद सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम के अनुसार अपनी प्राथमिकता का चयन करते हैं। सांसद केवल अपने मन से वोट डाल सकते हैं और किसी पार्टी के दबाव में नहीं आते।