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US Tariff: ट्रंप के 50% टैरिफ के बावजूद भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के दरवाजे खुले

US Tariff: ट्रंप के 50% टैरिफ के बावजूद भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के दरवाजे खुले

अमेरिका ने भारत के उत्पादों पर 50% शुल्क लगाया है, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच बातचीत के दरवाजे खुले हैं। दोनों देश वर्तमान व्यापारिक चुनौतियों का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार का रुख दृढ़ है कि भारत एमएसएमई, किसानों और मछुआरों के हितों की रक्षा करेगा, जबकि निर्यात संवर्धन और उत्पाद विविधीकरण पर ध्यान रखा जा रहा है।

US Tariff: अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे निर्यातकों और उद्योगों में चिंता है। इसके बावजूद, भारत और अमेरिका के बीच बातचीत जारी है और दोनों पक्ष व्यापारिक चुनौतियों का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय सरकार ने कहा है कि यह अस्थायी चरण है और निर्यात संवर्धन, उत्पाद विविधीकरण तथा घरेलू मांग बढ़ाने के उपाय जारी रहेंगे।

उच्च शुल्क के बावजूद वार्ता जारी रहने का संकेत

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच संचार माध्यम खुले हैं। अधिकारी के अनुसार, 'दोनों देशों को यह चिंता है कि ये मुद्दे किस तरह सामने आएंगे और दोनों पक्ष समाधान के रास्ते तलाश रहे हैं। यह केवल दीर्घकालिक रिश्ते में एक अस्थायी चरण है। बातचीत का विकल्प खुला रखना महत्वपूर्ण है।'

भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद पर अमेरिका ने अतिरिक्त शुल्क लगाया था, जिसके कारण अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत कुछ समय के लिए ठप हो गई थी। हालांकि अब दोनों देश पुनः वार्ता के लिए तैयार हैं।

दोनों देशों के बीच समाधान की उम्मीद

फॉक्स बिजनेस के साथ बातचीत में अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसंट ने भारत-अमेरिका संबंधों को जटिल बताया। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल रूसी तेल तक सीमित नहीं है। बेसंट ने उम्मीद जताई कि अंततः दोनों देश साथ मिलकर समाधान निकाल लेंगे। उनकी यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 फीसदी जुर्माने के कुछ घंटे बाद आई। नया शुल्क तत्काल प्रभावी हो गया है।

भारत के निर्यात पर संभावित असर

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और निर्यात गंतव्य है। वित्त वर्ष 2025 में भारत के कुल निर्यात का लगभग 20 फीसदी अमेरिका को गया था। ऐसे में 50 फीसदी शुल्क के लागू होने से कुछ क्षेत्रों में निर्यातकों और उद्योगों को चिंता हो सकती है।

सरकारी अधिकारियों ने हालांकि आश्वासन दिया कि इसका असर उतना गंभीर नहीं होगा जितना कि उद्योग द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का निर्यात केवल अमेरिकी बाजार पर निर्भर नहीं है। कुछ क्षेत्रों में असर हो सकता है, लेकिन बड़े खतरे के संकेत नहीं हैं।

निर्यात बढ़ाने के लिए नई पहल

वाणिज्य विभाग निर्यात संवर्धन पर विशेष ध्यान दे रहा है। विभाग ने निर्यात मिशन और उत्पाद व बाजार के विविधीकरण के उपाय शुरू किए हैं। इसके अलावा व्यापार करने की लागत कम करने और घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए जा रहे हैं।

सरकार मूल्य में परिवर्तन के प्रभाव और उपभोक्ता व्यवहार का भी सूक्ष्म विश्लेषण कर रही है। सभी क्षेत्रों से फीडबैक लेकर रणनीतियों को बेहतर बनाया जा रहा है।

व्यापारिक विवादों का समाधान बातचीत से संभव

सरकार का रुख स्पष्ट है कि एमएसएमई, किसानों और मछुआरों के हितों की रक्षा प्राथमिकता है। उच्च शुल्क से प्रभावित क्षेत्रों में सरकार विशेष कदम उठा सकती है। अधिकारी ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों के लिए नीति और समर्थन तंत्र बनाए जा रहे हैं।

भारत का दृष्टिकोण है कि व्यापारिक विवादों का समाधान बातचीत और रणनीति के माध्यम से किया जा सकता है। इस कदम से यह संदेश भी जाता है कि दोनों देशों के बीच लंबी अवधि के रिश्तों को मज़बूत किया जा सकता है।

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