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विधानसभा से पास बिल पर 19 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई, राष्ट्रपति ने विधेयकों की मंजूरी पर मांगी राय

विधानसभा से पास बिल पर 19 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई, राष्ट्रपति ने विधेयकों की मंजूरी पर मांगी राय

सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि विधानसभाओं से पास विधेयकों को राष्ट्रपति या राज्यपाल कब तक मंजूरी दें, इसके लिए कोई तय समयसीमा हो सकती है या नहीं। सुनवाई 19 अगस्त से 10 सितंबर तक चलेगी।

SC Hearing on Bill: सुप्रीम कोर्ट इस महत्वपूर्ण सवाल पर सुनवाई शुरू करने जा रहा है कि क्या विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति या राज्यपाल की सहमति देने की कोई समयसीमा तय की जा सकती है? राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अनुच्छेद 143(1) के तहत राय मांगे जाने के बाद शीर्ष अदालत ने 19 अगस्त से 10 सितंबर के बीच सुनवाई तय की है। इस दौरान अदालत ने सभी पक्षों को अपनी बात रखने का विस्तृत अवसर देने की व्यवस्था भी की है।

सुप्रीम कोर्ट करेगा संविधानिक सवाल पर ऐतिहासिक सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई, 2025 को ऐलान किया कि वह राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 143(1) के तहत भेजे गए सवाल पर 19 अगस्त से सुनवाई शुरू करेगा। यह मामला भारतीय राजनीति और संवैधानिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। प्रश्न यह है कि क्या विधानसभा से पारित बिल पर राष्ट्रपति या राज्यपाल की मंजूरी देने की कोई तय समयसीमा होनी चाहिए?

क्या है अनुच्छेद 143(1)?

अनुच्छेद 143(1) भारतीय संविधान का एक विशेष प्रावधान है जिसके तहत राष्ट्रपति देश के सर्वोच्च न्यायालय से किसी भी विधिक या संवैधानिक सवाल पर राय मांग सकते हैं। यह अनुच्छेद बहुत कम मामलों में प्रयुक्त होता है और जब भी इसे सक्रिय किया जाता है, वह मुद्दा आमतौर पर अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

इस बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसका इस्तेमाल करते हुए सवाल पूछा है कि क्या राज्य विधानसभाओं से पारित विधेयकों पर राज्यपाल या राष्ट्रपति की सहमति के लिए कोई कानूनी समयसीमा निर्धारित की जा सकती है।

सुनवाई की पूरी समय-सारणी घोषित

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। पीठ में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में समर्थन और विरोध करने वाले पक्षों के लिए विस्तृत सुनवाई कार्यक्रम घोषित किया है।

  • 12 अगस्त तक: सभी पक्षों को अपना लिखित पक्ष दाखिल करना होगा।
  • 19 से 26 अगस्त: केंद्र सरकार और अटॉर्नी जनरल की ओर से समर्थन करने वालों की सुनवाई होगी।
  • 28 अगस्त, 2, 3 और 9 सितंबर: राष्ट्रपति के संदर्भ का विरोध करने वाले पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी।
  • 10 सितंबर: प्रत्युत्तर पर सुनवाई की जाएगी।

केरल और तमिलनाडु को मिला विशेष समय

केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने इस विषय पर पहले ही विरोध दर्ज किया है कि राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी देने में अनावश्यक देरी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों को सुनवाई की शुरुआत में पहला घंटा प्रदान किया है ताकि वे मामले की स्वीकार्यता पर अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रख सकें।

राष्ट्रपति ने क्यों मांगी सुप्रीम कोर्ट से राय?

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपनी याचिका में कहा है कि मौजूदा हालात में 14 अलग-अलग कानूनी प्रश्न सामने आ रहे हैं, जिनका उत्तर संवैधानिक दृष्टि से स्पष्ट नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला जनहित और सार्वजनिक महत्व का है और इसलिए सुप्रीम कोर्ट की राय आवश्यक है।

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