डिजिटल सहमति से मिलेगा स्पैम कॉल्स से छुटकारा: ट्राई ने बैंकों के साथ मिलकर शुरू किया नया पायलट प्रोजेक्ट

डिजिटल सहमति से मिलेगा स्पैम कॉल्स से छुटकारा: ट्राई ने बैंकों के साथ मिलकर शुरू किया नया पायलट प्रोजेक्ट

स्पैम कॉल्स पर लगाम के लिए ट्राई ने डिजिटल सहमति प्रोजेक्ट शुरू किया, अब बिना मंजूरी नहीं आएंगे प्रमोशनल कॉल्स।

TRAI: स्पैम कॉल्स और प्रमोशनल मैसेज से परेशान मोबाइल यूज़र्स को राहत देने के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एक बड़ा कदम उठाया है। ट्राई ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और देश के चुनिंदा बैंकों के साथ मिलकर एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसका मकसद ग्राहकों की डिजिटल सहमति को प्रमाणित और पारदर्शी बनाना है। यह प्रोजेक्ट 13 जून 2025 से लागू हो चुका है।

इस परियोजना का उद्देश्य कमर्शियल कॉल और मैसेज की बाढ़ को रोकना है, जो अक्सर उपभोक्ताओं की बिना सहमति के किए जाते हैं। अब कंपनियों और रिटेल स्टोर्स को ग्राहक से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सहमति लेनी होगी और उसे एक डिजिटल रजिस्ट्री में दर्ज कराना होगा। इसके बाद ही वे ग्राहकों को कॉल या मैसेज भेज सकेंगे।

क्या है ट्राई का डिजिटल सहमति पायलट प्रोजेक्ट?

अब तक कई कंपनियां अपने ग्राहकों से ऑफलाइन तरीके से सहमति लेने का दावा करती थीं। जब किसी ग्राहक को बार-बार प्रमोशनल कॉल्स या मैसेज आते थे और वह शिकायत करता था, तो कंपनियां कहती थीं कि ग्राहक ने पहले सहमति दी थी। लेकिन ऑफलाइन सहमति को वेरिफाई करना लगभग नामुमकिन होता था।

ट्राई ने इस समस्या का हल निकालते हुए अब यह व्यवस्था लागू की है कि केवल डिजिटल रूप से दी गई सहमति ही वैध मानी जाएगी। ग्राहक की यह सहमति टेलीकॉम ऑपरेटर्स द्वारा बनाए गए एक केंद्रीकृत डिजिटल कंसेंट रजिस्ट्री में दर्ज होगी। अगर कोई कंपनी या बैंक इस रजिस्ट्री में सहमति दर्ज नहीं करता है, तो वह ग्राहक को कॉल या मैसेज नहीं कर पाएगा।

डिजिटल रजिस्ट्री कैसे करेगी काम?

ट्राई का यह सिस्टम एक डिजिटल ट्रैकिंग मैकेनिज्म की तरह काम करेगा। जब कोई ग्राहक किसी कंपनी को अपने मोबाइल नंबर पर प्रमोशनल कॉल्स या मैसेज भेजने की इजाजत देगा, तो उस सहमति को एक यूनीक कोड के साथ रजिस्ट्री में सेव किया जाएगा। इससे टेलीकॉम कंपनियां आसानी से यह वेरिफाई कर सकेंगी कि किस ग्राहक ने किस कंपनी को सहमति दी है।

इस सिस्टम के आने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि कोई भी प्रमोशनल कॉल या मैसेज किस आधार पर किया गया है और अगर सहमति नहीं है, तो वह कॉल अवैध मानी जाएगी।

बैंकों के लिए भी बनेगा सख्त नियम

ट्राई और आरबीआई के बीच हुए इस तालमेल के तहत कुछ चुनिंदा बैंकों को इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। अब इन बैंकों को भी अपने ग्राहकों से डिजिटल मंजूरी लेनी होगी, तभी वे उन्हें नए उत्पादों, लोन ऑफर या बीमा योजनाओं के लिए कॉल या मैसेज भेज सकेंगे।

यदि कोई बैंक इस नियम का उल्लंघन करता है, तो ट्राई टेलीकॉम कंपनियों के ज़रिए उस बैंक के प्रमोशनल नंबर को ब्लॉक या बंद भी कर सकता है।

डू नॉट डिस्टर्ब (DND) को मिलेगा और बल

अब तक DND सुविधा होने के बावजूद ग्राहकों को स्पैम कॉल्स आते थे, क्योंकि कंपनियां ऑफलाइन सहमति का हवाला देती थीं। लेकिन इस नई व्यवस्था से अब DND के साथ-साथ डिजिटल कंसेंट रजिस्ट्री की दोहरी सुरक्षा मिल जाएगी।

अगर किसी ग्राहक ने DND ऑन किया है, लेकिन उसने किसी ब्रांड को डिजिटल सहमति दी है, तो उसे कॉल किया जा सकता है। लेकिन बिना सहमति, कॉल करना अब कानून का उल्लंघन माना जाएगा।

आम ग्राहकों को होगा सीधा फायदा

  • स्पैम कॉल्स में भारी कमी: अब बिना सहमति के कॉल्स और मैसेज नहीं आ सकेंगे।
  • डेटा गोपनीयता में सुधार: ग्राहक की जानकारी बिना अनुमति के प्रमोशन के लिए इस्तेमाल नहीं होगी।
  • डिजिटल ट्रैकिंग आसान: कोई भी उपभोक्ता देख सकेगा कि उसने किस ब्रांड को कब सहमति दी।
  • शिकायत दर्ज करना होगा आसान: नियम उल्लंघन की स्थिति में ट्राई कार्रवाई कर सकेगा।

आगे क्या है योजना?

फिलहाल यह एक पायलट प्रोजेक्ट है जिसे कुछ चुनिंदा बैंकों और क्षेत्रों में लागू किया गया है। ट्राई और आरबीआई इस प्रयोग से मिलने वाले फीडबैक के आधार पर इसे भविष्य में राष्ट्रीय स्तर पर लागू कर सकते हैं। इससे टेलीकॉम और फाइनेंस सेक्टर में डिजिटल सहमति की एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया विकसित हो सकेगी।

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