भारतीय रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.7425 तक गिरकर नया रिकॉर्ड निचला स्तर दर्ज किया है। यह रुपये की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। भारत के विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) भंडार में भी आठवें लगातार सप्ताह गिरावट का सिलसिला जारी है, जिससे अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
Rupee at all-time low: भारतीय रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपया 84.7425 तक गिरा, जो अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है, और इसने 84.7050 के पुराने रिकॉर्ड को पार कर दिया। यह गिरावट रुपये के लिए एक नया संकट बनकर उभरी है।
अमेरिकी डॉलर की मजबूती
रुपये की इस गिरावट के प्रमुख कारणों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि की चिंता शामिल है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कई एशियाई मुद्राओं में भी कमजोरी देखी गई है। चीन का युआन एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जबकि डॉलर इंडेक्स 106.50 तक बढ़ गया है, जो यूरो में कमजोरी के कारण हुआ।
आरबीआई की कमजोर हस्तक्षेप
एक मुद्रा व्यापारी के अनुसार, रुपये की गिरावट 84.50 से 84.74 तक बिना किसी खास रजिस्टेंस के हुई है। इस स्थिति से यह संकेत मिलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का हस्तक्षेप अपेक्षाकृत कमजोर था, या फिर डॉलर की मांग बहुत अधिक थी। व्यापारियों का मानना है कि रुपये में गिरावट आरबीआई के सीमित हस्तक्षेप और वैश्विक बाजारों की परिस्थितियों के कारण हो रही है।
भारत के जीडीपी आंकड़े और रुपये में गिरावट
सोमवार को जारी हुए भारत के जीडीपी आंकड़े निराशाजनक रहे, जिसके बाद रुपये में 0.25% की गिरावट आई। यह पिछले छह महीनों में रुपये की सबसे बड़ी गिरावट थी। यह गिरावट बैंकर्स और कॉर्पोरेट्स के लिए एक चौंकाने वाली खबर रही, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक लगातार रुपये को मजबूती प्रदान करने के लिए हस्तक्षेप कर रहा था।
रुपये में गिरावट जारी रहने की संभावना
एएनजेड के FX रणनीतिकार और अर्थशास्त्री धीरज निम ने कहा कि भारत की कमजोर जीडीपी ग्रोथ और आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट रुपये की कमजोरी को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। यह स्थिति भारतीय रुपये के लिए एक दीर्घकालिक संकट का संकेत देती है।
फॉरेक्स भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी
भारत के विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) भंडार में गिरावट का सिलसिला लगातार आठवें सप्ताह जारी है, और यह पांच महीने के न्यूनतम स्तर तक पहुंच चुका है। पिछले सात हफ्तों में फॉरेक्स भंडार में कुल $47 बिलियन की गिरावट आई है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय व्यवस्था पर दबाव बढ़ता जा रहा है। 22 नवंबर को समाप्त सप्ताह में फॉरेक्स भंडार $1.31 बिलियन घटकर $656.582 बिलियन हो गया है।
निराशाजनक कॉर्पोरेट रिजल्ट
बीते दो महीनों में रुपये की गिरावट की वजह 30 सितंबर को समाप्त तिमाही के निराशाजनक कॉर्पोरेट रिजल्ट और अमेरिकी चुनावों के परिणामों को माना जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद डॉलर की मजबूती को बढ़ावा मिला है, जो एशियाई मुद्राओं के साथ-साथ रुपये पर भी भारी पड़ रही है। इसने भारतीय इक्विटी बाजार से विदेशी निवेशकों की निकासी को और तेज किया है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा है।