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Stock Market: 2 अप्रैल को ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू, बाजारों में डर का माहौल, जानें वजह 

Stock Market: 2 अप्रैल को ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू, बाजारों में डर का माहौल, जानें वजह 
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

डोनाल्ड ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ 2 अप्रैल से लागू होगा, जिससे वैश्विक बाजारों में गिरावट आ रही है। जापान और कोरिया के बाजारों में बड़ी गिरावट, अमेरिकी बाजार भी प्रभावित।

Stock Market: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल से लागू होने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ ने दुनियाभर के शेयर बाजारों में हड़कंप मचा दिया है। 2 अप्रैल से इस नीति का प्रभाव शुरू होते ही निवेशकों में घबराहट देखी जा रही है, जिसका असर सोमवार के कारोबारी दिन साफ तौर पर देखा गया। हालांकि भारतीय बाजार ईद के कारण बंद थे, लेकिन एशियाई बाजारों में भारी गिरावट आई।

जापान और कोरिया के बाजारों में भारी गिरावट

सोमवार को जापान का निक्केई इंडेक्स 4.05 प्रतिशत गिरकर 35,617.56 के स्तर पर पहुंच गया, जो एक बड़ी गिरावट है। इसी तरह, दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स भी 3 प्रतिशत तक गिरकर 2481.12 पर कारोबार करता नजर आया। हांगकांग के हैंगसैंग इंडेक्स में भी 1.31 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इन सबका मुख्य कारण ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का डर बताया जा रहा है।

अमेरिकी बाजारों में भी गिरावट

अमेरिका के शेयर बाजारों में भी इसी डर का असर साफ दिख रहा है। डाउ जोन्स इंडेक्स 1.69 प्रतिशत की गिरावट के साथ 41,604.90 पर ट्रेड कर रहा था। वहीं, नास्डैक 1.63 प्रतिशत नीचे गिरकर 17,098.75 पर पहुंच गया, और एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.10 प्रतिशत टूटकर 5570 के स्तर पर आ गया।

रेसिप्रोकल टैरिफ का असर और व्यापारियों का डर

रेसिप्रोकल टैरिफ नीति के लागू होने से यह साफ हो गया है कि जब एक देश किसी दूसरे देश के उत्पादों पर टैरिफ लगाएगा, तो वह भी उसी अनुपात में टैरिफ लगाएगा। ट्रंप ने एयरफोर्स वन पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह नीति उन देशों के लिए लागू होगी जो अमेरिकी निर्यात पर शुल्क लगाते हैं। इस नीति का मुख्य उद्देश्य व्यापार में असंतुलन को बराबरी पर लाना है।

बाजारों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का असर

ट्रंप का यह निर्णय वैश्विक व्यापार और निवेशकों के लिए चिंता का कारण बन चुका है। चूंकि 2 अप्रैल को यह नीति लागू हो जाएगी, इसके बाद अधिकांश देशों के बीच व्यापार में अस्थिरता और तनाव का माहौल उत्पन्न हो सकता है। यह स्थिति शेयर बाजारों को और कमजोर कर सकती है, क्योंकि निवेशक इस नई नीति के संभावित परिणामों को लेकर अनिश्चित हैं।

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