आज, 1 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखी जा रही है, जिससे सेंसेक्स में 500 अंक से अधिक की गिरावट आई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ ही शेयर बाजार में सुस्ती का माहौल बना हुआ है, और इसका कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने का डर है।
बिजनेस न्यूज़: भारतीय शेयर बाजार के नए वित्त वर्ष की शुरुआत मंगलवार, 1 अप्रैल को अच्छी नहीं रही। वित्त वर्ष 2025-26 के पहले दिन बाजार ने बड़ी गिरावट के साथ कारोबार शुरू किया। बीएसई सेंसेक्स 532.34 अंकों की गिरावट के साथ 76,882.58 अंकों पर खुला, जबकि एनएसई का निफ्टी 50 इंडेक्स भी 178.25 अंकों की गिरावट के साथ 23,341.10 अंकों पर खुला।
यह गिरावट पिछले हफ्ते शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 के आखिरी कारोबारी सत्र में सेंसेक्स द्वारा 191.51 अंकों (0.25%) के नुकसान के साथ 77,414.92 अंकों पर और निफ्टी द्वारा 72.60 अंकों (0.31%) की गिरावट के साथ 23,519.35 अंकों पर बंद होने के बाद आई है। शेयर बाजार में इस गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है, और अब सभी की नजरें आने वाले दिनों में बाजार के प्रदर्शन पर हैं।
सेंसेक्स में 500 अंकों की गिरावट
बीएसई सेंसेक्स आज लगभग 500 अंकों की गिरावट के साथ 76,882.58 अंकों पर खुला, जबकि एनएसई निफ्टी भी 178 अंकों की गिरावट के साथ 23,341.10 अंकों पर कारोबार कर रहा था। इस गिरावट का असर खासकर ऑटो, आईटी और टेलीकॉम सेक्टर पर पड़ा है, जहां व्यापक बिकवाली देखी गई। सेंसेक्स की 30 में से 20 कंपनियों के शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं, जबकि सिर्फ 10 कंपनियां ही हरे निशान में हैं।
वोडा-आइडिया में इंटरेस्टिंग मूवमेंट
हालांकि, वोडा-आइडिया के शेयरों में आज के कारोबार में बढ़ोतरी देखने को मिली। इसके अलावा, कुछ अन्य कंपनियों जैसे एनटीपीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, और आईसीआईसीआई बैंक में भी मामूली सुधार देखा गया।
स्मॉल कैप और मिड कैप में हल्की बढ़त
स्मॉल कैप और मिड कैप शेयरों में हल्की बढ़त देखी गई है, जिससे निवेशकों को कुछ राहत मिली। लेकिन, कुल मिलाकर, भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट का माहौल बना हुआ है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे सावधानी से निवेश करें और अमेरिकी टैरिफ नीति के प्रभाव का मूल्यांकन करें।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए जाने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ की नीति के कारण दुनियाभर के बाजारों में अस्थिरता का डर बढ़ा है। यह टैरिफ भारतीय कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, खासकर उन कंपनियों के लिए जो अमेरिका के साथ व्यापार करती हैं।