गेहूं की कमी से जूझ रहा ग्लोबल बाजार: किसानों ने क्यों रोकी फसल की बिक्री? जानें वजह

गेहूं की कमी से जूझ रहा ग्लोबल बाजार: किसानों ने क्यों रोकी फसल की बिक्री? जानें वजह
Last Updated: 22 नवंबर 2024

Wheat Supply Shortage: ग्लोबल मार्केट में गेहूं की आपूर्ति घटने के पीछे किसानों की फसल बेचने की वजह सामने आई है, जो कम कीमतों के कारण हो रही है।

ग्लोबल बाजार में गेहूं की आपूर्ति में गिरावट देखी जा रही है, खासकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और काला सागर जैसे प्रमुख गेहूं के एक्सपोर्ट क्षेत्रों में, जहां किसान कम कीमतों के चलते अपनी फसल को बेचने से बच रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप एशिया और मिडिल-ईस् में मिलर्स को स्टॉक की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस कमी से गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है।

वैश्विक गेहूं भंडार में कमी

वैश्विक गेहूं भंडार 2025 तक 9 साल के निचले स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। ऊंची ब्याज दरें गेहूं के भंडारण को प्रभावित कर रही हैं, जिससे आपूर्ति और कम होती जा रही है। उत्तरी गोलार्ध में मौसम की अनिश्चितता ने गेहूं की फसल को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे फसल की वृद्धि में रुकावट सकती है। इससे गेहूं की कीमतों में वैश्विक स्तर पर वृद्धि हो सकती है, जिससे खाद्य महंगाई के और बढ़ने का जोखिम भी बढ़ गया है।

दुनिया भर के गेहूं बाजारों में सप्लाई में कमी देखी जा रही है, क्योंकि प्रमुख निर्यातक क्षेत्रों जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और काला सागर (ब्लैक सी) के किसान कम कीमतों के कारण अपनी फसल की बिक्री नहीं कर रहे हैं। इस समय 12.5% प्रोटीन वाला ब्लैक सी गेहूं 265 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के भाव पर बिक रहा है, जो कुछ हफ्तों पहले के 275 डॉलर के स्तर से गिरा है। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई प्रीमियम व्हाइट गेहूं की कीमतें 290 डॉलर से घटकर 280 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई हैं।

गेहूं बेचने से हिचक रहे हैं किसान, कीमतों में अस्थिरता का खतरा

दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere) में जहां अच्छी फसलें हुई हैं, वहीं किसान बेहतर कीमतों का इंतजार कर रहे हैं और गेहूं बेचने से हिचक रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई किसान इस समय छोले और कैनोला जैसी फसलों को प्राथमिकता दे रहे हैं, ताकि उन्हें तुरंत नकद मिल सके। वहीं, अमेरिकी किसान घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद में अपने गेहूं को स्टोर कर रहे हैं। इस रवैये के कारण वैश्विक बाजार में गेहूं की आपूर्ति घट गई है, जिससे कीमतों में अस्थिरता का जोखिम बढ़ गया है।

एशिया और मिडिल-ईस् में गेहूं के स्टॉक में कमी

एशिया और मिडिल-ईस् में गेहूं के स्टॉक कवरेज में भारी कमी आई है। एशिया में स्टॉक कवरेज अब दो महीने से भी कम हो गया है, जबकि मिडिल ईस्ट में यह 45 दिनों से भी कम रह गया है। यूएसडीए के अनुसार, दक्षिणी गोलार्ध में मजबूत उत्पादन के बावजूद, 2025 के मध्य तक ग्लोबल गेहूं स्टॉक नौ साल के निचले स्तर पर पहुंच सकता है।

हालांकि, रूस के कुछ किसान अपना स्टॉक बेच रहे हैं, जिससे संकट में थोड़ी राहत मिली है, लेकिन रूस का निर्यात कोटा पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। इससे गेहूं के निर्यात में भी बाधाएं रही हैं। इस संकट के चलते गेहूं के बाजार में सप्लाई रिस्क बढ़ गया है, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो सकता है।

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