हुंडई का आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईपीओ कहा जा रहा है, जबकि कंपनी भारत में दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता है। उसने अगले कुछ वर्षों में भारत में 32,000 करोड़ रुपये के निवेश का भी ऐलान किया है। लेकिन DLF, रिलायंस पावर और पेटीएम जैसे बड़े आईपीओ के प्रदर्शन पर गौर करें, तो उनका रिटर्न काफी खराब रहा है। क्या ऐसे में निवेश करना सही रहेगा?
नई दिल्ली: हाल के समय में हर इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) में निवेश का चलन बढ़ा है, लेकिन कई निवेशक लिस्टिंग गेन के चक्कर में फंडामेंटल्स को दरकिनार कर रहे हैं। ऐसे में, आईपीओ के आकार के आधार पर निवेश करने पर आपको घाटा उठाना पड़ सकता है, यह समझना जरूरी है।
मंगलवार को देश की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी, हुंडई मोटर इंडिया, शेयर बाजार में अपने पहले आईपीओ के साथ उतरने जा रही है। यह आईपीओ 15 अक्टूबर को खुलेगा और इसका आकार 27,870 करोड़ रुपये तक हो सकता है।
हालांकि, हुंडई भारत के कार बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि पहले डीएलएफ, रिलायंस पावर और पेटीएम जैसे कंपनियों ने अपने आईपीओ को देश के सबसे बड़े आईपीओ के रूप में प्रचारित किया, लेकिन अंततः निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा।
डीएलएफ का आईपीओ: निवेशकों को मिली मायूसी
रियल एस्टेट सेक्टर की प्रमुख कंपनी डीएलएफ ने 2007 में अपने आईपीओ को सबसे बड़े इश्यू के रूप में पेश किया। इसका आकार 9,187 करोड़ रुपये था और यह इश्यू लगभग साढ़े तीन गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ, लेकिन खुदरा निवेशकों में खास उत्साह नहीं दिखा।
आईपीओ का मूल्य 525 रुपये प्रति शेयर तय किया गया। करीब पांच साल बाद, कंपनी ने 600 रुपये प्रति शेयर की दर से बायबैक का निर्णय लिया। डीएलएफ ने 2008 में लगभग 1200 रुपये का ऑलटाइम हाई बनाया, लेकिन पिछले 16 सालों में वह कभी भी उस स्तर को फिर से नहीं छू पाई। वर्तमान में, डीएलएफ के शेयर 850 रुपये के आसपास कारोबार कर रहे हैं।
रिलायंस पावर का भी बुरा हाल
अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की रिलायंस पावर ने 2008 में 11,563 करोड़ रुपये का आईपीओ लाया, जिसे कंपनी ने देश के सबसे बड़े आईपीओ के रूप में प्रचारित किया। यह इश्यू 72 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ और खुदरा निवेशकों के लिए शेयर की कीमत 430 रुपये प्रति शेयर निर्धारित की गई।
हालांकि, रिलायंस पावर की शेयर मार्केट में एंट्री बेहद खराब रही। कंपनी अपने इश्यू प्राइस तक भी नहीं पहुंच पाई और वर्तमान में कई कानूनी विवादों में फंसी हुई है। 2020 में रिलायंस पावर का शेयर मूल्य घटकर केवल 1 रुपये तक आ गया था, जो कंपनी के लिए एक मुश्किल समय था। हालाँकि, हाल के महीनों में इसके शेयरों में सुधार देखने को मिला है, और वर्तमान में यह लगभग 45 रुपये के आसपास ट्रेड कर रहे हैं।
पेटीएम की आईपीओ यात्रा: निवेशकों को बड़ा नुकसान
घरेलू फिनटेक कंपनी पेटीएम के आईपीओ की भी काफी चर्चा थी। इसका आईपीओ 2021 में 2,150 रुपये प्राइस पर आया, और वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि वे इसे और अधिक कीमत पर लाने का सोच रहे थे। हालांकि, उन्होंने निवेशकों को कुछ लाभ पहुंचाने के लिए इसे इस दर पर जारी किया।
लेकिन पेटीएम की शेयर मार्केट में एंट्री 9 फीसदी डिस्काउंट के साथ हुई। लिस्टिंग के दिन और गिरावट आई और यह 1,564 रुपये पर बंद हुआ। मई 2024 में इसका शेयर मूल्य घटकर 310 रुपये तक आ गया था। हालाँकि, वहाँ से इसने बाउंस बैक किया और अब लगभग 700 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। फिर भी, अपनी लिस्टिंग प्राइस तक पहुंचने के लिए इसे अभी दोगुना सफर तय करना है।
कोल इंडिया: अपवाद की मिसाल, लेकिन रिटर्न में कमी
सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया का आईपीओ साल 2010 में आया, जो सरकार के विनिवेश कार्यक्रम का हिस्सा था। इसका इश्यू साइज 15,200 करोड़ रुपये था और यह आईपीओ 15 गुना सब्सक्राइब हुआ। 245 रुपये का शेयर 287.75 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ, और वर्तमान में इसके शेयरों का भाव 500 रुपये के करीब है।
हालांकि, पिछले 14 वर्षों में कोल इंडिया का रिटर्न सिर्फ दोगुना हुआ है, जबकि इस अवधि में कई अन्य शेयरों ने मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। भारतीय शेयर बाजार की रफ्तार को देखते हुए कोल इंडिया के रिटर्न को आकर्षक नहीं कहा जा सकता।
हुंडई आईपीओ: विशेषज्ञों की सलाह और ग्रे मार्केट प्रीमियम की स्थिति
हुंडई का आईपीओ 15 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक खुलने जा रहा है, जिसका प्राइस बैंड 1,865 से 1,960 रुपये प्रति शेयर निर्धारित किया गया है। लॉट साइज 7 शेयरों का रहेगा। ब्रोकरेज कंपनियों ने हुंडई मोटर के इस आईपीओ को लेकर सकारात्मक रुख व्यक्त किया है, जिससे निवेशकों में रुचि बढ़ी है।
हालांकि, हुंडई के आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) काफी कम हो गया है। इसकी शुरुआती GMP 1,000 रुपये से अधिक थी, लेकिन अब यह केवल 3 फीसदी यानी करीब 65 रुपये के लिस्टिंग गेन का संकेत दे रही है।
स्वास्तिका इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, "हुंडई के आईपीओ को लेकर निवेशकों में उत्साह होगा, जैसा दो दशक पहले मारुति सुजुकी के आईपीओ में देखा गया था। लेकिन समस्या यह है कि कई बड़े आईपीओ आ चुके हैं, और निवेशकों को तय करना होगा कि कहां रहना है और कहां से हटना है।"