सोमवार को जैसे ही बाजार खुले, जापान के शेयर मार्केट में भारी गिरावट दर्ज की गई। वहीं, चीन और हांगकांग के शेयर बाजारों में तेजी का दौर जारी है। आइए समझते हैं कि जापान के शेयर मार्केट में गिरावट के पीछे क्या कारण हैं और चीन का बाजार तेजी के घोड़े पर क्यों सवार है। इसके साथ ही, हम देखेंगे कि इन दोनों फैक्टरों का भारत के शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
नई दिल्ली: जापान के शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है। सोमवार (30 सितंबर) को शुरुआती कारोबार में यह लगभग 5 फीसदी गिर गया। इसके विपरीत, चीन के शेयर बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिली है। शंघाई कंपोजिट (SSE Composite Index) ने शुरुआती कारोबार में लगभग 6 फीसदी की बढ़त हासिल की। इसी दौरान, भारतीय शेयर बाजार में प्री-ओपन सेशन में गिरावट का सामना करना पड़ा।
प्री-ओपन सत्र में सेंसेक्स में 363.09 अंक यानी 0.42 फीसदी की कमी देखी गई, जिससे यह 85,208.76 पर बंद हुआ। इसी तरह, निफ्टी भी 117.65 अंक यानी 0.45 फीसदी की गिरावट के साथ 26,061.30 के स्तर पर पहुंच गया।
जापान के मार्केट में गिरावट सुनामी जैसी चुनौतियाँ
जापान के स्टॉक मार्केट में गिरावट का मुख्य कारण राजनीतिक परिवर्तन है। वास्तव में, जापान के सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेट्स ने पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरू इशिबा को अगला प्रधानमंत्री चुन लिया है। इशिबा मंगलवार को मौजूदा प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की जगह लेंगे, जिन्होंने अपनी लोकप्रियता रेटिंग में गिरावट के कारण इस्तीफा देने का निर्णय लिया है।
इशिबा ने शुक्रवार को पार्टी के मतदान में जीत के बाद कहा कि वह जापान की सुस्त आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए किशिदा के दृष्टिकोण को लागू करने का प्रयास करेंगे। हालांकि, जापान के राजनीतिक हालात के विशेषज्ञों का कहना है कि इशिबा के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी और आर्थिक सुरक्षा मंत्री साने ताकाइची की जीत को बाजार और निवेशक अधिक सकारात्मक रूप से स्वीकार करेंगे।
चीन का स्टॉक मार्केट तेजी के कारण
चीनी सरकार लगातार रियल एस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के प्रयासों में जुटी हुई है। इसके तहत राहत पैकेज की घोषणा की गई है, जिसका शेयर बाजार पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। हैंग सेंग और शंघाई केवल एक सप्ताह में 13 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। चीन रियल एस्टेट क्षेत्र की उधारी लागत को कम करने के लिए कदम उठा रहा है। कई प्रांतों में उसने घर खरीदारों के लिए नियमों को सरल बनाया है।
शंघाई कंपोजिट सुबह 9:10 बजे 5.70 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3,263.59 अंक पर कारोबार कर रहा था। हांगकांग के हैंग सेंग में भी 3 प्रतिशत से अधिक की तेजी देखी गई।
जापान और चीन का भारत पर संभावित प्रभाव
पिछली बार जब 'येन कैरी ट्रेड' के कारण जापानी शेयर बाजार में गिरावट आई थी, तो इसका भारतीय बाजार पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा था। हालांकि, इस बार ऐसा होने की संभावना कम है, क्योंकि जापान में गिरावट की मुख्य वजह वहां की राजनीतिक अस्थिरता है। यदि राजनीतिक स्थिति में सुधार होता है, तो जापान का स्टॉक मार्केट फिर से सामान्य स्तर पर आ सकता है।
वहीं, अगर हम चीन की बात करें, तो उसका भारतीय शेयर बाजार पर सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह से प्रभाव पड़ सकता है। चीन के रियल एस्टेट मार्केट का पुनरुत्थान इस बात का संकेत है कि अब वह स्टील जैसे उत्पादों को बेहद सस्ते में भारत जैसे बाजारों में नहीं बेचेगा, जिससे भारतीय उद्योग को लाभ होगा।
दूसरी ओर, चीन में संभावित अच्छी वृद्धि की स्थिति में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकालकर वहां निवेश कर सकते हैं। यह निकट भविष्य में हमारे लिए हानिकारक साबित हो सकता है।