देश की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी, NSDL (नेशनल स्टॉक डिपॉजिटरी लिमिटेड), के लंबे प्रतीक्षित आईपीओ को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से मंजूरी मिल गई है। इससे इस आईपीओ के लिए आगे का रास्ता साफ हो गया है। इस आईपीओ में कई प्रमुख बैंक, जैसे HDFC Bank, अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहे हैं। यह कदम NSDL के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे कंपनी को पूंजी जुटाने का मौका मिलेगा और निवेशकों के लिए नए अवसर भी प्रदान करेगा।
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी, नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL), को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। मार्केट रेगुलेटरी सेबी ने NSDL के बहुप्रतीक्षित आईपीओ को हरी झंडी दे दी है। इस आईपीओ में 57,260,001 शेयरों के ऑफर फॉर सेल में प्रमुख बैंकों जैसे IDBI बैंक, NSE, SBI, HDFC बैंक, और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे।
गौरतलब है कि NSDL ने पिछले साल जुलाई में अपने इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के लिए बाजार नियामक के पास आवश्यक दस्तावेज जमा किए थे। इस दौरान, HDFC बैंक ने यह घोषणा की थी कि वह OFS के जरिए NSDL में अपनी 2 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी बेचेगा।
इन बैंकों के पास NSDL में हिस्सेदारी
IDBI Bank के पास NSDL की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पास 24 प्रतिशत स्टेक है। इसके अलावा, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के पास 5 प्रतिशत, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पास 2.8 प्रतिशत, और केनरा बैंक के पास 2.3 प्रतिशत स्टेक है।
यह जानकारी NSDL के शेयरधारकों की संरचना को दर्शाती है, जिससे यह पता चलता है कि विभिन्न प्रमुख बैंक इसमें महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखते हैं।
पात्र कर्मचारियों के लिए रिजर्व शेयर
आईपीओ में कुल 57,260,001 इक्विटी शेयरों की ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल है। इसके तहत, IDBI Bank की ओर से 22,220,000 इक्विटी शेयर, NSE की ओर से 18,000,001 इक्विटी शेयर, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से 5,625,000 इक्विटी शेयर और भारतीय स्टेट बैंक की ओर से 4,000,000 इक्विटी शेयरों की बिक्री की जाएगी।
इक्विटी शेयरों की बिक्री की जाएगी। इसके अलावा, इस आईपीओ में पात्र कर्मचारियों के लिए कुछ इक्विटी शेयर भी रिजर्व किए जाएंगे, जिससे उन्हें भागीदारी का मौका मिलेगा।
भारत की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी NSDL की भूमिका
NSDL (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) वित्तीय और सुरक्षा बाजार को उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है। 1996 में डिपॉजिटरी अधिनियम की शुरुआत के बाद से, NSDL ने भारत में प्रतिभूतियों के डीमैटरियलाइज़ेशन की प्रक्रिया का नेतृत्व किया है। यह कंपनी जारीकर्ताओं की संख्या, सक्रिय उपकरणों की संख्या, निपटान मात्रा, बाजार हिस्सेदारी और रखी गई संपत्तियों के मूल्य के संदर्भ में भारत में सबसे बड़ी डिपॉजिटरी है।
NSDL के माध्यम से, निवेशक अपने निवेश को सुरक्षित और प्रबंधित कर सकते हैं, जिससे यह भारतीय वित्तीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।